सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

झिन्ना खदान को पुनः चालू करने के लिए मजदूर संघ द्वारा अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा एस.डी.एम. को ज्ञापन सौंपा गया, खदान को तत्काल चालू करने को लेकर मजदूर संघ ने उठाया कदम, ऐसा कौन सा कानून जिसमे आम जनता भूखी मरे, खदान को चालू होना चाहिए नहीं तो होगा उग्र - प्रदर्शन

 झिन्ना खदान को पुनः चालू करने के लिए मजदूर संघ द्वारा अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा एस.डी.एम. को ज्ञापन सौंपा गया, खदान को तत्काल चालू करने को लेकर मजदूर संघ ने उठाया कदम, ऐसा कौन सा कानून जिसमे आम जनता भूखी मरे, खदान को चालू होना चाहिए नहीं तो होगा उग्र - प्रदर्शन 



ढीमरखेड़ा |  झिन्ना खदान को पुनः चालू करने के लिए मजदूर संघ द्वारा अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा एस.डी.एम. को सौंपे गए ज्ञापन ने क्षेत्र में गहरे सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को उजागर किया है। इस ज्ञापन में न केवल श्रमिकों की पीड़ा का विवरण है, बल्कि इसके माध्यम से यह भी दर्शाया गया है कि इस खदान के बंद होने के कारण किस प्रकार स्थानीय लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। मजदूर संघ का यह कदम, जो कि स्थानीय श्रमिकों की बुरी हालत को देखते हुए उठाया गया है, बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न केवल आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है, बल्कि इससे सामाजिक असमानताओं को भी दूर किया जा सकता है। झिन्ना पिपरिया स्थित खदान क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत रही है, जिसमें हजारों मजदूरों की रोजी-रोटी का सहारा था। यह खदान पहले आनंद गोयनका द्वारा संचालित होती थी और इससे आसपास के ग्रामों के श्रमिकों को काम मिलता था। खदान की बंदी के कारण इन मजदूरों के लिए रोजगार का कोई अन्य विकल्प नहीं था, और यह स्थिति अत्यधिक कठिनाई उत्पन्न कर रही थी।

*वन विभाग की हठधर्मिता*

ज्ञापन में यह बताया गया है कि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अपनी हठधर्मिता के कारण खदान को बंद कराने पर अड़े हुए हैं, जिससे न केवल खदान मालिक, बल्कि पूरे क्षेत्र के श्रमिक भी प्रभावित हुए हैं। वन विभाग का यह कदम स्थानीय विकास के लिए एक बड़ी बाधा बन गया है। इसके परिणामस्वरूप खदान संचालित करने वाले यंत्रों की जप्ती भी की गई, जो कि खदान के संचालन में बाधा डालने का मुख्य कारण बनी।

*सामाजिक और आर्थिक प्रभाव*

झिन्ना पिपरिया, ग्राम बांध, ग्राम रामपुर और अन्य आस-पास के ग्रामों के मजदूरों के लिए यह खदान जीवनदायिनी थी। खदान बंद होने के बाद से क्षेत्र के महिला-पुरुष श्रमिकों को भूखमरी और बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। इन मजदूरों के पास जीविका कमाने का कोई दूसरा साधन नहीं है, क्योंकि क्षेत्र में अन्य रोजगार के अवसर भी सीमित हैं।

*विकास और रोजगार के विकल्प*

इस समस्या का एक प्रमुख कारण क्षेत्र में रोजगार के अन्य विकल्पों का अभाव है। यदि झिन्ना खदान को फिर से चालू किया जाए, तो यह न केवल मजदूरों को रोजगार प्रदान करेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। खदान का संचालन क्षेत्र के अन्य उद्योगों और व्यापारों के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जैसे कि परिवहन, व्यापार, और सेवा क्षेत्र।

*राजस्व की कमी और सरकारी नीतियाँ*

इस खदान के बंद होने से स्थानीय सरकारी खजाने को भी नुकसान हो रहा है, क्योंकि खदान से प्राप्त होने वाली राजस्व राशि सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत थी। इसके अलावा, सरकार की नीतियाँ, जो इस खदान के संचालन को प्रभावित करती हैं, भी क्षेत्र के विकास में अवरोध डाल रही हैं। यदि सरकार इस खदान को पुनः संचालित करने के पक्ष में कदम उठाती है, तो इससे सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी और स्थानीय जनता के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।

 *प्रभावित श्रमिकों के जीवन की हकीकत*

झिन्ना पिपरिया खदान के बंद होने के बाद श्रमिकों की हालत दयनीय हो गई है। इनके पास काम के कोई अन्य विकल्प नहीं हैं, और स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि इन मजदूरों के परिवारों को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। महिला और पुरुष मजदूरों दोनों को ही इस संकट का सामना करना पड़ रहा है, और यह स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। यह मुद्दा केवल एक खदान के पुनः संचालन का नहीं, बल्कि क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को मजबूत करने का भी है। सरकार और वन विभाग को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और इन श्रमिकों के जीवन की स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। यदि खदान को फिर से चालू किया जाता है, तो यह ना केवल मजदूरों की मदद करेगा, बल्कि क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को भी मजबूत करेगा।

 *सार्वजनिक दबाव और प्रशासन की जिम्मेदारी*

मजदूर संघ द्वारा ज्ञापन सौंपने के बाद प्रशासन पर इस मुद्दे को हल करने का दबाव बनता है। यह दबाव इस बात को सुनिश्चित करता है कि सरकार और प्रशासन इस मामले को त्वरित और प्रभावी ढंग से सुलझाएं। प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस समस्या को सुलझाने के लिए उचित कदम उठाए और श्रमिकों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित रोजगार के अवसर सुनिश्चित करें। झिन्ना खदान के पुनः संचालन के लिए मजदूर संघ द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल मजदूरों के हक की लड़ाई है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास और सामाजिक समृद्धि की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार और प्रशासन को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए इसे प्राथमिकता देनी चाहिए और खदान के पुनः संचालन की प्रक्रिया को शीघ्रता से लागू करना चाहिए। इस कदम से श्रमिकों की जीवनशैली में सुधार होगा और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिलेगी।

टिप्पणियाँ

popular post

पोड़ी कला बी निवासी अजय पटैल का निधन, रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर, उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा

 पोड़ी कला बी निवासी अजय पटैल का निधन, रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर, उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा ढीमरखेड़ा  |  पोड़ी कला बी ग्राम के प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय शिक्षक अजय पटैल का असामयिक निधन हो गया। उनके निधन से समूचे क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। अजय पटैल अपने पीछे पुत्र योगेश पटैल तथा पुत्रियाँ अनुराधा पटैल, पूजा पटैल और आस्था पटैल को शोकाकुल छोड़ गए हैं। परिवार के साथ ही पूरा समाज उनकी इस अनुपम क्षति से व्यथित है। शिक्षण क्षेत्र में अजय पटैल का योगदान अमूल्य माना जाता है। गणित जैसे कठिन विषय को वे इतनी सरलता और सहजता से समझाते थे कि छात्र न केवल विषय में दक्ष होते, बल्कि पढ़ाई के प्रति उनमें रुचि भी जागृत होती। उनके पढ़ाने का अंदाज़ विद्यार्थियों के दिल को छू लेने वाला था। दैनिक ताज़ा खबर के संपादक राहुल पाण्डेय ने गहरे दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि जब मैं स्वयं पढ़ाई करता था, तब अजय पटैल जी से गणित पढ़ना मेरे लिए सौभाग्य था। उनकी शिक्षा देने की कला अद्वितीय थी। आज यह समाचार लिखते समय मेरी आँखें बार-बार भर आ रही हैं और आँसू रुकने का नाम नहीं ले...

थाना उमरियापान पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोपियों को किया गिरफ्तार, भेजा जेल

 थाना उमरियापान पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोपियों को किया गिरफ्तार, भेजा जेल   कटनी |  थाना उमरियापान पुलिस ने हत्या के प्रयास के मामले में फरार चल रहे आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने में सफलता प्राप्त की है, लिहाजा दिनांक 18 अगस्त 2025 को प्रार्थी बेडीलाल चौधरी निवासी पकरिया थाना उमरियापान ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गांव के ही सूरज चौधरी, सुरेन्द्र चौधरी एवं सोनाबाई चौधरी ने उसे गंदी-गंदी गालियां दीं और जान से मारने की नीयत से मारपीट कर गंभीर चोटें पहुंचाईं। प्रार्थी की रिपोर्ट पर थाना उमरियापान में अपराध क्रमांक 293/25 धारा 296, 109(1), 3(5) बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक कटनी श्री अभिनय विश्वकर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री संतोष डेहरिया तथा अनुविभागीय अधिकारी पुलिस स्लीमनाबाद श्रीमती आकांक्षा चतुर्वेदी के निर्देशन में आरोपियों की तलाश शुरू की गई। इस दौरान लगातार प्रयासों के बाद थाना उमरियापान पुलिस ने फरार चल रहे आरोपी सूरज चौधरी पिता शिवकुमार चौधरी उम्र 35 वर्ष एवं सुरेन्द्र चौधरी पिता शिवकुमार चौध...

कटनी में पदस्थ बीईओ ऑफिस में फैज़ अहमद संविदा लिपिक की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर हुआ खेल, जांच हुई तो खुलेंगे बड़े राज

 कटनी में पदस्थ बीईओ ऑफिस में फैज़ अहमद संविदा लिपिक की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर हुआ खेल, जांच हुई तो खुलेंगे बड़े राज कटनी  |  मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग हमेशा चर्चा में रहा है। एक ओर जहां सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर विभागीय कार्यालयों से आए दिन ऐसे समाचार सामने आते हैं जो पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देते हैं।खासकर संविदा नियुक्तियाँ, जिन्हें बेरोजगार युवाओं के लिए अवसर माना जाता है, वे ही भ्रष्टाचार और मनमानी का अड्डा बन गई हैं। कटनी जिले के बीईओ ऑफिस में पदस्थ संविदा लिपिक फैज़ अहमद की नियुक्ति का मामला भी इसी तरह का है। आरोप है कि उनकी नियुक्ति नियमों और प्रक्रिया को ताक पर रखकर की गई। अगर इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो, तो कई ऐसे राज सामने आ सकते हैं जो यह साबित करेंगे कि संविदा नियुक्तियाँ पारदर्शी नहीं बल्कि “संपर्क और सिफारिश तंत्र” पर आधारित होती जा रही हैं। *बीईओ ऑफिस और उसकी भूमिका* बीईओ ऑफिस किसी भी ब्लॉक की शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होता है। यहाँ से प्राथमिक और माध...