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खरी - अखरी सवाल उठाते हैं पालकी नहीं पेंशनर्स निराश और नाराज - मुख्यमंत्री तत्काल घोषित करें मंहगाई राहत का आदेश

 खरी - अखरी सवाल उठाते हैं पालकी नहीं पेंशनर्स निराश और नाराज - मुख्यमंत्री तत्काल घोषित करें मंहगाई राहत का आदेश



*मध्यप्रदेश के पेंशनर्स एसोसिएशनों का मानना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साबित कर दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की माफिक उनकी नजर में भी पेंशनर्स की कोई अहमियत नहीं है। गत दिवस मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सरकारी अधिकारियों - कर्मचारियों को जनवरी 2024 से 4 फीसदी मंहगाई भत्ता देने का ऐलान किया है जिसे दीवाली तोहफे की तरह पेश किया जा रहा है। जबकि कर्मचारी संगठन (रेगुलर - पेंशनर्स) महीनों पहले से 4 फीसदी मंहगाई भत्ता और मंहगाई राहत बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इसी बीच केंद्रीय सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को जुलाई 2024 से 3 फीसदी मंहगाई भत्ते और मंहगाई राहत दिये जाने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसका मतलब यह है कि मध्यप्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स को 7 फीसदी मंहगाई भत्ता और मंहगाई राहत दिये जाने का आदेश जारी किया जाना चाहिए था जो नहीं किया गया है। अब एक बार फिर कर्मचारी संगठन सरकार के आगे 3 फीसदी के लिए गिडगिडायेंगे।*

*खास बात यह है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश के पेंशनरों को मंहगाई राहत दिये जाने के ना तो आदेश जारी किए ना ही उन्हें मंहगाई राहत दिये जाने का भरोसा दिलाया है । जिससे पेंशनरों के बीच निराशा और गुस्सा व्याप्त है। जो इस बात को जाहिर करता है कि वे भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की माफिक पेंशनर्स को बोझ मानकर चलते हैं और उनकी नजर में पेंशनर्स की कोई अहमियत नहीं है। अगर होती तो आधा अधूरा ही सही (4 फीसदी) मंहगाई राहत दिये जाने का आदेश जारी किया जा सकता था । प्रदेश के पेंशनर्स संगठनों का कहना है कि अगर ऐसा नहीं है तो मुख्यमंत्री मोहन यादव को पेंशनर्स को भी 4 फीसदी मंहगाई राहत दिये जाने का आदेश तत्काल जारी करना चाहिए।*

*अश्वनी बडगैया अधिवक्ता*

_स्वतंत्र पत्रकार_

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