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भगवान परशुराम जयंती को लेकर सघन जनसंपर्क चालू, ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर कार्यक्रम को रोचक बनाएं

 भगवान परशुराम जयंती को लेकर सघन जनसंपर्क चालू, ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर कार्यक्रम को रोचक बनाएं



ढीमरखेड़ा ।  भगवान परशुराम जयंती को लेकर सघन जनसंपर्क चालू हैं लिहाज़ा परशुराम जयंती के आगमन पर ब्राह्मण वर्ग में बेहद उत्साह देखा जा रहा हैं। लगातार बैठक के माध्यम से योजना बनाकर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए रणनीति तैयार की जा रही हैं। विदित है कि कार्यक्रम में युवा शक्ति को आगे आकर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। पुराणों में मान्यता है कि भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम को साहस का देवता माना जाता है। अक्षय तृतीया को भी परशुराम जयंती के रूप में मनाते हैं। परशुराम जी का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में पुत्रेष्टि से हुआ था। महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम जी हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि के पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम जी कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। स्मरण रहे कि ब्राह्मण समाज के द्वारा उमरियापान के आस पास के ग्रामों में आज जमकर सघन जनसंपर्क किया गया।

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