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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया सिलौंड़ी उप तहसील भवन कलेक्टर के निरीक्षण में खुली पोल जांच उपरांत भ्रष्टाचारियों पर गिरेगी गाज 2 वर्ष में ही जगह-जगह से जर्जर हो गई बिल्डिंग

 भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया सिलौंड़ी उप तहसील भवन

कलेक्टर के निरीक्षण में खुली पोल

 जांच उपरांत भ्रष्टाचारियों पर गिरेगी गाज

2 वर्ष में ही जगह-जगह से जर्जर हो गई बिल्डिंग  



ढीमरखेड़ा ।  ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत सिलौंड़ी उप तहसील के भवन निर्माण में ठेकेदार और संबंधित विभागीय अधिकारियों के द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। ठेकेदार और अधिकारियों के द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की कलाई उस समय खुल गई जब कलेक्टर अवि प्रसाद क्षेत्र के दौरे पर थे और उप तहसील सिलौंड़ी पहुंचे थे, इसी दौरान नायब तहसीलदार दिनेश असाटी के द्वारा उक्त संबंध में जानकारी दी गई तब कलेक्टर के द्वारा उप तहसील सिलौंड़ी के नवीन भवन का जायजा लिया गया। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2021 में ही उक्त भवन बनकर  तैयार हुआ है और इतने अल्प समय में ही दीवारों में दरारें दिखाई दे रहीं थी। साथ ही घटिया गुणवत्ता की वजह से कमरों एवं बाथरूम में लगी टाईल्सें टूटी हुई पाईं गई। बिजली फिटिंग का भी कार्य संतोषजनक नहीं पाया गया। मौके  पर जो स्थिति परिलक्षित हो रही है वह यह स्पष्ट कर रही है कि उप तहसील का भवन बनाने में व्याप्त पैमाने पर गुणवत्ता को दरकिनार कर निर्माण किया है जिसमें ठेकेदार विनोद कुमार रजक के साथ ही विभागीय अधिकारियों के द्वारा भी गुणवत्ता की अनदेखी जानबूझकर की गई जिस कारण से उक्त नवीन भवन दो वर्ष में ही जर्जर हालत में पहुंच गया है। बहरहाल मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने ग्रामीण यंत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री जांच के लिये निर्देश किया है।

*कार्यवाही कर प्रतिवेदन करें प्रस्तुत*

कलेक्टर नें गुरूवार को उपतहसील भवन सिलौंडी के जांच हेतु जारी आदेश में कहा है कि उपतहसील भवन सिलौंड़ी के भवन निर्माण का विधिवत स्थल जांच कर दोषी पाये गए संबंधित क्रियान्वयन एजेसी, ठेकेदार विनोद कुमार रजक तथा विभागीय अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।

*निर्माण के समय अधिकारी क्यों नहीं देते ध्यान*

लोक निर्माण विभाग तथा अन्य एजेंसियां जो सरकारी भवन बनाने का कार्य करवाती है उनकी कारगुजारियां किसी से छिपी नहीं है और अल्प समय में ही लाखों-करोड़ों रूपये की इमारतें जर्जर हो रही है जो ठेकेदार और अधिकारियों की संगामित्ती को परिलक्षित करती है। चूंकि शासन के द्वारा किसी भी शासकीय भवन बनाने का टेंण्डर जारी किया जाता है जिसमें ठेकेदार के द्वारा निर्माण कार्य करवाया जाता है और किसी भी एजेंसी को निर्माण कार्य करवाने की जिम्मेदारी होती है तो उसके द्वारा निर्माण कार्य के समय गुणवत्ता की मॉनिटरिंग क्यों नहीं की जाती। वर्तमान में जो स्थिति उप तहसील भवन सिलौंडी में उत्पन्न हुई है उसमें ठेकेदार के साथ ही निर्माण एजेंसी भी बराबर की दोषी है चूंकि ठेकेदार यदि गुणवत्ता को ताक पर रखकर कार्य कर रहा था तो निर्माण एजेंसी क्या कर रही थी।

*कमीशन की भेंट चढ़ रहीं बिल्डिंगें*

शासन के द्वारा किसी भी भवन-ईमारत बनाने के लिये लाखों-करोड़ों रूपये खर्च किये जा रहे है लेकिन धरातल पर क्या स्थिति है यह किसी से छुपा नहीं है। इस संबंध में विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस तरह के काम में हर अधिकारी, निर्माण एजेंसी सभी का कमीशन फिक्स रहता है जिस कारण से आंख बंद कर उनके द्वारा ठेकेदार को खुली छूट दे दी जाती है। इसी बात का फायदा ठेकेदार के द्वारा उठाया जाता है। कमीशन के चक्कर में नये-नये भवन जर्जर हालत में पहुंच रहे है लेकिन तथाकथित भ्रष्टाचारियों को इससे मतलब नहीं है, उन्हें मात्र अपने जेब गर्म करने है।

*उमरियापान उप - तहसील भवन भी हुआ जर्जर*

जिस तरह की स्थिति उप तहसील सिलौंड़ी में निर्मित हुई है ठीक इसी तरह की स्थिति उमरियापान उप तहसील भवन की है। उक्त भवन भी कुछ ही वर्षों पहले बनाया गया था।जिसमें भी जगह-जगह दरारें देखने को मिल रही है और जहां पर नायब तहसीलदार बैठते है उक्त कक्ष की टाईल्स भी टूट रही है। भवन में जगह-जगह दरार आने से अंदाजा लगाया जा सकता है ठेकेदार के द्वारा कितना अच्छा काम करवाया गया होगा?  गुणवत्ता को ताक में रखकर ठेकेदार के द्वारा निर्माण कार्य करवाया गया है जिसमें अधिकारियों की संलिप्ता स्पष्ट परिलक्षित हो रही है।

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