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ढीमरखेड़ा को जिला बनाए जाने की पुरज़ोर मांग, विधायक को सौंपा गया ज्ञापन

 ढीमरखेड़ा को जिला बनाए जाने की पुरज़ोर मांग, विधायक को सौंपा गया ज्ञापन



कटनी  |  ढीमरखेड़ा क्षेत्र की जनता लंबे समय से अपने क्षेत्र को जिला बनाए जाने की मांग कर रही है। इसी क्रम में हाल ही में ढीमरखेड़ा को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर क्षेत्रीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने बड़वारा विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री धीरेन्द्र बहादुर सिंह को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से आम जनमानस की भावना को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हुए आग्रह किया गया कि ढीमरखेड़ा को जिला घोषित किया जाए, जिससे क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके। ढीमरखेड़ा तहसील वर्तमान में अपने आप में एक बड़ी और महत्वपूर्ण तहसील है। इस तहसील के अंतर्गत लगभग 73 ग्राम पंचायतें आती हैं, जो इसकी प्रशासनिक और भौगोलिक व्यापकता को दर्शाती हैं। इतनी बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों का एक ही तहसील के अंतर्गत होना यह संकेत देता है कि यहां प्रशासनिक कार्यों का बोझ अत्यधिक है। यदि ढीमरखेड़ा को जिला बनाया जाता है तो प्रशासनिक व्यवस्था अधिक सुदृढ़ होगी और शासन-प्रशासन की योजनाएं अंतिम व्यक्ति तक प्रभावी ढंग से पहुंच सकेंगी। क्षेत्र की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि ढीमरखेड़ा तहसील का बड़ा हिस्सा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। आदिवासी समाज की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक आवश्यकताएं सामान्य क्षेत्रों से अलग होती हैं। जिला मुख्यालय की दूरी अधिक होने के कारण आदिवासी अंचलों के लोगों को अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए भी लंबा सफर तय करना पड़ता है। जिला बनने से प्रशासनिक कार्यालय नजदीक होंगे, जिससे आदिवासी समुदाय को न्याय, विकास योजनाओं और सरकारी सुविधाओं तक सरल और त्वरित पहुंच मिल सकेगी। भौगोलिक दृष्टि से भी ढीमरखेड़ा जिला बनने के लिए अत्यंत उपयुक्त प्रतीत होता है। ढीमरखेड़ा से लगे हुए जिले जबलपुर, कटनी और डिंडौरी हैं, जिनकी दूरी कई क्षेत्रों से लगभग 70 से 80 किलोमीटर तक है। इतनी लंबी दूरी तय करना ग्रामीण और आदिवासी अंचल के लोगों के लिए आसान नहीं होता। खासकर बुजुर्गों, महिलाओं और बीमार व्यक्तियों को जिला मुख्यालय पहुंचने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यदि ढीमरखेड़ा जिला बनता है तो यह दूरी कम होगी और लोगों को राहत मिलेगी।

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