सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

धान खरीदी में खुलेआम भ्रष्टाचार, किसान ठगा गया, व्यापारी हुआ मालामाल, खरीदी केंद्रों में मचा भ्रष्टाचार का तांडव, किसानों की मेहनत पर व्यापारी हों रहे मालामाल, गड़बड़ियों में बटा धान खरीदी सिस्टम, किसान त्रस्त व्यापारी मस्त, केंद्रों पर भ्रष्टाचार हावी, किसानों की जेब खाली व्यापारियों की तिजोरी भरी, धान खरीदी केंद्र बना भ्रष्टाचार का गढ़ किसान परेशान, व्यापारी मालामाल

 धान खरीदी में खुलेआम भ्रष्टाचार, किसान ठगा गया, व्यापारी हुआ मालामाल, खरीदी केंद्रों में मचा भ्रष्टाचार का तांडव, किसानों की मेहनत पर व्यापारी हों रहे मालामाल, गड़बड़ियों में बटा धान खरीदी सिस्टम, किसान त्रस्त व्यापारी मस्त, केंद्रों पर भ्रष्टाचार हावी, किसानों की जेब खाली व्यापारियों की तिजोरी भरी, धान खरीदी केंद्र बना भ्रष्टाचार का गढ़ किसान परेशान, व्यापारी मालामाल



कटनी  |  किसानों के हित में चलाई जा रही धान खरीदी व्यवस्था का उद्देश्य था कि कोई भी गरीब किसान अपने धान को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सके और उसका मेहनताना बिना किसी कटौती, रिश्वत या दलाली के सीधे बैंक खाते में पहुंचे।लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। कई जिलों में धान खरीदी केंद्र अब पारदर्शिता के बजाय भ्रष्टाचार, मिलीभगत और अवैध कमाई के बड़े अड्डे बन चुके हैं। किसानों को फसल बेचने से पहले दलालों, केंद्र प्रभारियों और सर्वेयरों की जेबें भरनी पड़ रही हैं। जो पैसा नहीं देता, उसकी फसल उठाकर भी नहीं देखी जाती। कहीं अधिकारी अपना हिस्सा तय करके बैठे हैं, तो कहीं व्यापारी पूरे सिस्टम का मालिक हैं।

*पैसा देकर बनते हैं प्रभारी, बिना रिश्वत नहीं होती खरीदी*

स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि धान खरीदी केंद्रों पर प्रभारी बनाने की प्रक्रिया भी पूरी तरह से भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है। केंद्र प्रभारी वही बन पाता है जो मोटी रकम चुकाता है। चयन प्रक्रिया में न तो पारदर्शिता है और न ही किसी प्रकार की जवाबदेही। परिणाम यह होता है कि एक बार पैसा लेकर पद पर बैठ चुका प्रभारी फिर किसानों को लूटकर अपना निवेश निकालता है। धान की आवक के समय किसानों को बताया जाता है कि टोकन तभी मिलेगा जब “खुशामद” ठीक से की जाए। कई किसानों ने आरोप लगाया कि टोकन पास करने से पहले ही पैसे मांग लिए जाते हैं। जबकि असल में किसी भी किसान का ढेर लगने से पहले भौतिक सत्यापन और पंजीयन के आधार पर टोकन जारी होना चाहिए। लेकिन यहाँ प्रक्रिया उलट है पहले रिश्वत, फिर टोकन, और अंत में तौल।

*व्यापारी चला रहे असली खेल, किसान सिर्फ दर्शक*

धान खरीदी केंद्रों पर असली खेल व्यापारी कर रहे हैं। किसान के नाम पर पंजीयन कराने वाले व्यापारी 15 से 17 रुपए किलो की दर से बाजार में धान खरीदते हैं और फिर उसे समर्थन मूल्य पर बेचकर प्रति क्विंटल 100 से 200 रुपए तक का फायदा उठाते हैं। इस खेल में शामिल कर्मचारी और सर्वेयर भी चौकसी में दिलचस्पी नहीं दिखाते। किसान के वास्तविक ढेर की जांच करने के बजाय वे व्यापारी के माल को प्राथमिकता देते हैं। व्यापारी के माल की आवक तुरंत “किसान” के नाम से खाते में चढ़ा दी जाती है, जिससे उसे समय पर भुगतान मिल जाए। दूसरी ओर किसान का असल माल एक-एक सप्ताह तक धूल खाता रहता है और भुगतान अंतिम दिनों तक टलता रहता है।

*ढेर पलटने का खेल – असली किसान की फसल को व्यापारी बना लेता है अपना*

सबसे बड़ा घोटाला यहाँ होता है जब किसान का ढेर लगाया जाता है तो उसकी देखरेख में न तो प्रभारी होता है और न ही सर्वेयर। ढेर लगने के बाद व्यापारी मौके का फायदा उठाकर बोरी से बोरी में माल बदल देते हैं। किसान सोचता है कि उसकी फसल स्वीकार हो रही है, लेकिन तौल मशीन पर पहुंचने तक उसमें व्यापारी का धान भर दिया होता है। यह सब कुछ खुलेआम होता है और कर्मचारी जानकर भी अनजान बने रहते हैं। व्यापारी को हर बोरी पर कमीशन देना पड़ता हैं इसीलिए कर्मचारी भी उसे “VIP सुविधा” देते हैं। जबकि बेचारा किसान लाइन में लगा रहता है, उसके ढेर पर तिरपाल तक नहीं डाला जाता और उसकी आवक हफ्तों तक रुकी रहती है।

*नोडल अधिकारी सिर्फ व्हाट्सऐप पर सक्रिय, जमीनी हकीकत से दूर*

जिन नोडल अधिकारियों की नियुक्ति खरीदी केंद्रों की निगरानी और शिकायतों के निस्तारण के लिए की जाती है, वे ज्यादातर समय केंद्रों पर पहुंचते ही नहीं। उनका पूरा काम सिर्फ व्हाट्सऐप पर फोटो और संदेश फॉरवर्ड करने तक सीमित है। न तो भौतिक सत्यापन होता है और न ही स्टॉक की वास्तविक जांच। साप्ताहिक स्टॉक सत्यापन जो अनिवार्य है, वह भी कागजों में पूरा कर लिया जाता है। जब जमीनी स्तर पर ही अधिकारी मौजूद नहीं होंगे, तो नीचे के कर्मचारी और प्रभारी कैसे अनुशासन में रहेंगे?

*कैमरों की फुटेज सब सच बयान कर रही – रोज व्यापारी की गाड़ियाँ आती हैं*

धान खरीदी केंद्रों में लगे CCTV कैमरे सच्चाई को उजागर करते हैं। कई केंद्रों पर रोजाना एक ही व्यापारिक वाहन पिकअप, ट्रैक्टर या ट्राली में धान लेकर आता है और किसानों के नाम पर खरीदी करवा रहा है। फुटेज में दिखने वाले वाहन संख्या से आसानी से पता चल सकता है कि कौन व्यापारी रोज अपने माल को किसानों के नाम से बेच रहा है। लेकिन फुटेज देखने का समय न कर्मचारियों के पास है, न विभागीय अधिकारियों के पास या यूँ कहें कि जानबूझकर देखने की जरूरत ही नहीं समझी जाती। यदि इन्हीं फुटेज का इस्तेमाल कार्रवाई के लिए किया जाए तो कई नकली “किसानों” का भंडाफोड़ हो सकता है।

*भू-माफिया भी शामिल – पंजीयन के नाम पर कमीशन का धंधा*

कुछ किसान नहीं, बल्कि बड़े भू-माफिया और दलाल अपने नाम पर पंजीयन करवाते हैं। वे वास्तविक कृषि आय को दिखाकर अवैध धन को सफेद करते हैं। उनका उद्देश्य खेती नहीं बल्कि पैसा नंबर एक करना होता है। वे दलालों से 50 से 100 रुपए क्विंटल तक कमीशन वसूलते हैं और बदले में अपना पंजीयन उन्हें उपयोग के लिए दे देते हैं। इससे न केवल सिस्टम भ्रष्ट होता है, बल्कि वास्तविक गरीब किसान का हक भी छिन जाता है।

*किसान परेशान, प्रशासन मौन – आखिर कब मिलेगी राहत*

पूरे सिस्टम का सबसे बड़ा नुकसान किसान को ही होता है। उसकी मेहनत की फसल तौलाई के लिए इंतजार करती रहती है, भुगतान सप्ताहों तक अटक जाता है और खरीदी प्रभारी उसे हड़काने से भी नहीं चूकते। प्रणाली ऐसी बन चुकी है कि किसान को खरीद केंद्र से ज्यादा डर व्यापारी, दलाल और कर्मचारियों से लगता है।अधिकारियों तक शिकायतें पहुँचती हैं, लेकिन जब नीचे से ऊपर तक “हिस्सेदारी” तय हो, तो कार्रवाई आखिर किसके खिलाफ होगी? यही वजह है कि किसान आज भी भ्रष्टाचार के इस जाल में फंसा हुआ है, जबकि व्यापारी और कर्मचारी दोनों मिलकर लाखों रुपए कमा रहे हैं।

*व्यवस्था सुधारने को इच्छाशक्ति चाहिए, केवल आदेशों से कुछ नहीं बदलेगा*

धान खरीदी व्यवस्था को वास्तविक अर्थों में पारदर्शी बनाने के लिए सबसे पहले स्थानीय स्तर के भ्रष्टाचार पर नकेल कसनी होगी। नोडल अधिकारियों की नियमित उपस्थिति, साप्ताहिक स्टॉक सत्यापन, ढेर लगने की लाइव रिकॉर्डिंग, टोकन जारी प्रक्रिया का स्वचालन, और व्यापारी वाहनों के प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध जैसे कदम उठाने होंगे।

टिप्पणियाँ

popular post

रोटावेटर की चपेट में आया मासूम, ढीमरखेड़ा में दर्दनाक हादसा, ट्रैक्टर चालक गिरफ्तार, वाहन जब्त

 रोटावेटर की चपेट में आया मासूम, ढीमरखेड़ा में दर्दनाक हादसा, ट्रैक्टर चालक गिरफ्तार, वाहन जब्त कटनी  |  ढीमरखेड़ा थाना क्षेत्र में रविवार सुबह एक हृदय विदारक हादसा सामने आया, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। ग्राम सगौना निवासी सुशील कुमार पिता कोदो लाल मेहरा के खेत में जुताई-बुवाई का कार्य चल रहा था। रविवार सुबह लगभग 9:25 बजे खेत में खड़ा उनका 14 वर्षीय मासूम बेटा दिव्यांशु मेहरा अचानक एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गया। जानकारी के अनुसार खेत में कार्यरत ट्रैक्टर लाल रंग का मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर था, जिसे नारायण यादव नामक व्यक्ति चला रहा था। जुताई के दौरान दिव्यांशु ट्रैक्टर पर बैठा हुआ था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ट्रैक्टर चालक की लापरवाही और असावधानी के चलते दिव्यांशु अचानक ट्रैक्टर के हिस्से में फंस गया। मशीनरी की तेज कटनी और भारी उपकरणों की वजह से हादसा इतना भीषण था कि बच्चे ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।घटना के बाद खेत में चीख-पुकार मच गई। परिवारजन और ग्रामीण दौड़कर पहुँचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मासूम की मौत की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। घर मे...

खमतरा निवासी मनोज साहू की नदी में मिली लाश, क्षेत्र में सनसनी, प्रशासन लगातार सक्रिय

 खमतरा निवासी मनोज साहू की नदी में मिली लाश, क्षेत्र में सनसनी, प्रशासन लगातार सक्रिय ढीमरखेड़ा  |  ढीमरखेड़ा थाना अंतर्गत ग्राम खमतरा निवासी 40 वर्षीय मोटरसाइकिल मैकेनिक मनोज साहू का रहस्यमयी ढंग से लापता होना अब दुखद मोड़ ले चुका है। बीते कई दिनों से गायब चल रहे मनोज की लाश महानदी में मिली, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। जानकारी के मुताबिक मनोज साहू किसी वैवाहिक समारोह में शामिल होने के लिए घर से निकले थे, लेकिन देर रात तक घर न लौटने पर परिजनों को अनहोनी की आशंका होने लगी । वहीं महानदी पुल के पास उनकी मोटरसाइकिल खड़ी मिली, जबकि मनोज का कहीं पता नहीं चला। इसे परिजनों ने गहरी शंका जताते हुए मुख्य मार्ग पर चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन भी किया था। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल खोजबीन की मांग की थी। घटना की गंभीरता को देखते हुए एसडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। कई घंटों की तलाश के बाद एक शव दिखाई दिया, जिसकी पहचान मनोज साहू के रूप में की गई। शव मिलते ही मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया और बड़ी संख्या में ग्रामीण व परिजन वहां पहुंच गए।...

माधवनगर में सट्टा माफिया की दहशत पर जनाक्रोश: झूठी रिपोर्ट और धमकियों के आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग तेज* वर्षों से सक्रिय सट्टा किंग गिरोह पर कार्रवाई के बावजूद क्षेत्र में दहशत कायम; महिलाओं के माध्यम से झूठे केस दर्ज कराने और पीड़ितों को फँसाने की संगठित साज़िश के आरोप उभरे

 माधवनगर में सट्टा माफिया की दहशत पर जनाक्रोश: झूठी रिपोर्ट  और धमकियों के आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग तेज* वर्षों से सक्रिय सट्टा किंग गिरोह पर कार्रवाई के बावजूद क्षेत्र में दहशत कायम; महिलाओं के माध्यम से झूठे केस दर्ज कराने और पीड़ितों को फँसाने की संगठित साज़िश के आरोप उभरे कटनी  l  माधवनगर क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय सट्टा किंग विनय वीरवानी उर्फ नीरू मैडम और उसके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद भी गैंग की दहशत समाप्त नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा विवादास्पद पूर्व एसपी को हटाए जाने तथा नए एसपी अभिनव विश्वकर्मा के पदभार ग्रहण करने के बाद ही कुख्यात विनय वीरवानी और उसका हिंसक वसूली गिरोह गिरफ्तार हुआ था। लेकिन गिरफ्तारी के बाद भी गैंग के बाहरी सहयोगियों द्वारा दबाव, धमकियों और झूठी रिपोर्ट  दर्ज कराने की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। सबसे ताज़ा मामला जितेंद्र शिवलानी और मूलचंद के खिलाफ महिला के माध्यम से दर्ज कराई गई छेड़छाड़ की कथित झूठी रिपोर्ट का है, जिसके पीछे सट्टा गिरोह के प्रमुख सहयोगी अज्जू मामा की सक्रिय भूमिका बताई जा रही है। उ...