पैंगोलिन के आरोपी ढीमरखेड़ा न्यायालय से भेजे गए जेल, वन विभाग की टीम को मिली बड़ी सफलता
ढीमरखेड़ा | वन्यजीवों की तस्करी आज पर्यावरण और जैव विविधता के लिए एक गंभीर खतरा बन चुकी है। विशेष रूप से पैंगोलिन जैसे दुर्लभ और संकटग्रस्त जीवों की अवैध तस्करी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग के कारण लगातार बढ़ रही है। पैंगोलिन का मांस और इसकी कवच (स्केल्स) पारंपरिक चिकित्सा में प्रयोग किए जाने की वजह से इसकी तस्करी में संगठित गिरोह लगे हुए हैं। ढीमरखेड़ा क्षेत्र में हाल ही में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है, जहां वन विभाग की मुस्तैद कार्रवाई के चलते पैंगोलिन तस्करी में लिप्त आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया और फिर उन्हें जेल भेज दिया गया। इस घटनाक्रम ने न सिर्फ कानून व्यवस्था को सशक्त किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि वन्यजीवों की रक्षा के लिए प्रशासन और वन विभाग कितने सतर्क हैं। ढीमरखेड़ा वन परिक्षेत्र अंतर्गत कार्यरत वन विभाग की टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि क्षेत्र में कुछ लोग अवैध रूप से एक पैंगोलिन को पकड़कर तस्करी की योजना बना रहे हैं। सूचना के आधार पर टीम ने जाल बिछाकर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू की। लगातार निगरानी के बाद टीम ने आरोपियों को रंगे हाथों पैंगोलिन के साथ आरोपियो को पकड़ लिया। पैंगोलिन एक विलुप्तप्राय स्तनधारी जीव है, जिसकी पहचान उसकी शरीर पर उपस्थित कठोर शल्कों (स्केल्स) से होती है। ये शल्क केराटिन से बने होते हैं, जो मनुष्य के नाखूनों और बालों का भी मुख्य घटक है। पैंगोलिन की खासियत यह है कि यह खतरे के समय अपने शरीर को गोल करके खुद को शिकारियों से बचाने की कोशिश करता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, यही प्रवृत्ति उसे शिकारियों के लिए आसान निशाना बना देती है। विश्व भर में आठ प्रजातियों के पैंगोलिन पाए जाते हैं, जिनमें से भारत में दो प्रजातियाँ भारतीय पैंगोलिन और चीनी पैंगोलिन मौजूद हैं।
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