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खुशियों की दास्तां, घूंघट से बाहर निकल आजीविका संवर्धन गतिविधि से लखपति दीदी बनीं प्रेमवती

 खुशियों की दास्तां, घूंघट से बाहर निकल आजीविका संवर्धन गतिविधि से लखपति दीदी बनीं प्रेमवती



ढीमरखेड़ा |  कभी घर की चहार दीवारी में कैद रहकर घूंघट में रहने वाली विकासखण्ड कटनी के ग्राम पंचायत कैलवारा की श्रीमती प्रेमवती पटेल ने  स्व-सहायता समूह से जुड़कर आर्थिक स्वावलंबन की मिसाल बन गई हैं।। स्व-सहायता समूह की आजीविका संवर्धन गतिविधि के माध्यम से दुकान की विस्तारित स्वरूप देकर और कृषि कार्य में आधुनिक तकनीक की मदद से प्रेमवती अब हर माह 22 हजार रूपये  की आय अर्जित कर लखपति दीदी बन गई हैं। प्रेमवती पटेल बताती है कि समूह से जुड़ने के पहले उनकी मासिक आमदनी हर माह करीब 8 हजार रूपये ही थी। परिवार चलाना भी मुश्किल हो पा रहा था, बच्चों  की देख-रेख में भी कठिनाई हो रही थी और पति कि छोटी दुकान थी, जो बहुत ज्यादा चलती भी नहीं थी। ऐसे में स्व -सहायता समूह से जुड़ने के बाद उनके लिए तरक्की  के द्वार खुल गए ।प्रेमवती ने 10 महिलाओं के साथ मिलकर संकट मोचन स्व-सहायता समूह गठित किया और वे स्वयं इस समूह की अध्यक्ष चुनीं गईं। उन्होंने इस समूह से जुड़कर  कृषि कार्य में उन्नत बीज और खेती को अपनाया। इसके लिए बैंक से लोन लिया। जिससे व्यवसाय को विस्तारित स्वरूप देने में सहायता मिलीं। वे कहती हैं कि समूह के माध्यम से बैंक लिंकेज की राशि से पहली बार उनको 15 हजार रूपये किराना दुकान के लिए ऋण मिला ।जिसको उन्होंने मासिक किस्तों में ब्याज सहित चुका कर के दोबारा 30 हजार रूपये की राशि प्राप्त किया और अपने किराना दुकान को बढ़ाया ज्यादा सामग्री रखना शुरू किया। दुकान में जनरल स्टोर की भी सामग्री  विक्रय करना शुरू किया। इसके बाद प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से भी 1 लाख रुपये की ऋण राशि लेकर दुकान को और विस्तारित किया ।जिससे कि दुकान में हर रोज 3 से 4 हजार रुपये की बिक्री होने लग गई। प्रेमवती बताती है कि एक समय था जब वे कभी घर से बाहर नही निकलीं थी, घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नही होने के कारण उन्होंने परिवार चलाने में पति की मदद करने के उद्देश्य से स्व -सहायता समूह से जुड़कर दुकान को विस्ताारित करके काम-धंधा शुरू किया जो चल निकला।, वे बताती है कि उनके पति खेती किसानी का भी कार्य करते हैं और उसमें उन्नत तकनीक का भी उपयोग करते हैं जिससे खेती में भी अच्छा मुनाफा हो जाता है। प्रेमवती अब दुकान से प्रतिमाह करीब 10 हजार रूपये से ऊपर की आमदनी हासिल कर पा रही है। जबकि उनके पति चुन्नी  लाल पटेल कृषि कार्य से 1 से डेढ़ लाख रूपये सालाना की आमदनी कृषि कार्य से अर्जित कर लेते है। इस प्रकार से पटेल परिवार को हर माह आसानी से 20 से 25 हजार रूपये की आमदनी हो जाती है। प्रेमवती ने बताया कि स्वयं के व्यवसाय से मिले आमदनी से उन्होंने 60 हजार रूपये के अपने खुद के लिए जेवर-गहने भी खरीदे हैं। जो उनके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आस-पास और समाज में पटेल परिवार स्व -सहायता समूह की गतिविधियों से जुड़ने के बाद अब आर्थिक रूप से सशक्तिकरण की इबारत लिख रहा है।

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