थाना ढीमरखेड़ा परिसर के हनुमान मंदिर में हुआ रामायण पाठ और कीर्तन, भक्ति भाव में दिखे भक्त
ढीमरखेड़ा | रामायण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की शैली, मर्यादा, कर्तव्य और धर्म का पथप्रदर्शक है। हनुमानजी के मंदिर में जब यह पाठ सम्पन्न होता है, तो उसका प्रभाव न केवल धार्मिक होता है बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी गहरा प्रभाव डालता है।क्षेत्र में शांति और सौहार्द की स्थापना, आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति, सामूहिक सद्भावना और नैतिकता का संचार, प्राकृतिक आपदाओं और संकटों से मुक्ति की कामना, समाज में सदाचार और मर्यादा का पुनः स्थापन, कीर्तन आस्था का संगीतमय स्वरूप रामायण पाठ के बाद सुंदरकांड का कीर्तन आयोजित किया गया, जिसमें भजन मंडलियों ने हारमोनियम, ढोलक, मंजीरा और अन्य वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के साथ प्रभु श्रीराम और हनुमानजी की स्तुति की। कीर्तन में "जय श्रीराम", "बजरंगबली की जय", "राम लला हम आए हैं" जैसे भजनों ने भक्तों को झूमने और भावविभोर होने पर मजबूर कर दिया। कीर्तन के माध्यम से भक्तों ने सामूहिक रूप से यह प्रार्थना की कि प्रभु श्रीराम और उनके परमभक्त हनुमान जी सभी के जीवन में सुख-शांति, स्वास्थ्य और सुरक्षा का वरदान प्रदान करें।
*पुलिस और आमजन की सहभागिता एक प्रेरणादायक उदाहरण*
इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसे थाना परिसर में आयोजित किया गया, जिससे यह संदेश गया कि पुलिस न केवल कानून व्यवस्था की संरक्षक है, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन की भी सहायक है।
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