सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जनता की आवाज़ बने राहुल पाण्डेय पत्रकारिता में दुगने जोश के साथ लौटे दैनिक ताज़ा खबर के प्रधान संपादक , जो डर गया, वो पत्रकार नहीं, पत्रकार का धर्म है सच बोलना, चाहे सामने कोई भी खड़ा हो

 जनता की आवाज़ बने राहुल पाण्डेय पत्रकारिता में दुगने जोश के साथ लौटे दैनिक ताज़ा खबर के प्रधान संपादक , जो डर गया, वो पत्रकार नहीं, पत्रकार का धर्म है सच बोलना, चाहे सामने कोई भी खड़ा हो



ढीमरखेड़ा |  आज के समय में जब मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सत्ता और पूंजी के दबाव में काम कर रहा है, ऐसे दौर में भी कुछ पत्रकार ऐसे हैं जो पत्रकारिता को उसकी मूल आत्मा से जोड़कर, जनता की आवाज़ को बुलंद करने का काम कर रहे हैं। इन्हीं नामों में प्रमुख हैं 'दैनिक ताज़ा खबर' के प्रधान संपादक राहुल पाण्डेय, जो अब पत्रकारिता में एक नई ऊर्जा, नए दृष्टिकोण और दुगने जोश के साथ वापसी कर रहे हैं। राहुल पाण्डेय की पत्रकारिता का केंद्र बिंदु जनता है, जनता की समस्याएँ हैं और उनकी आवाज़ को शासन तक पहुँचाना है। अब वे और भी सक्रिय भूमिका में नज़र आ रहे हैं और यह संकल्प लिया है कि किसी भी छोटी या बड़ी खबर को अनदेखा नहीं किया जाएगा।उनकी यही प्रतिबद्धता उन्हें आम जनता का सच्चा साथी बनाती है।

*राहुल पाण्डेय का पत्रकारिता सफर संघर्ष से सेवा तक*

राहुल पाण्डेय ने पत्रकारिता की शुरुआत एक साधारण संवाददाता के रूप में की थी। सीमित संसाधनों में काम करते हुए उन्होंने जमीनी हकीकत को समझा और उसे शब्दों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया। उनकी रिपोर्टिंग का अंदाज़, विषयवस्तु की गंभीरता और आम जनमानस की जुड़ाव ने उन्हें एक विश्वसनीय नाम बना दिया। दैनिक ताज़ा खबर के माध्यम से उन्होंने सिर्फ खबरें ही नहीं दीं, बल्कि उन खबरों को जीवंत बना दिया जो अक्सर मुख्यधारा की मीडिया में दबा दी जाती हैं जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएँ, स्थानीय भ्रष्टाचार, शिक्षा व स्वास्थ्य से जुड़ी दुर्दशा, और आमजन के अधिकारों की अनदेखी।

*जनता की माँग और दबाव ने लौटाया पत्रकारिता में*

हाल ही में राहुल पाण्डेय ने कुछ समय के लिए पत्रकारिता से दूरी बनाई थी, ताकि वे अपने संगठनात्मक ढांचे को पुनः व्यवस्थित कर सकें। परंतु जब जनता ने देखा कि पत्रकारिता में एक निष्पक्ष, निर्भीक और जनहितकारी आवाज़ की कमी महसूस हो रही है, तब क्षेत्रवासियों ने एक स्वर में राहुल पाण्डेय की वापसी की माँग की।गाँव-गाँव, कस्बा-कस्बा से लोगों ने उन्हें संदेश भेजे कि "अब और चुप मत रहिए, हमारी आवाज़ फिर से उठाइए।" इस अपार समर्थन और आग्रह के बाद राहुल पाण्डेय ने निश्चय किया कि वे पत्रकारिता में पहले से भी दुगने उत्साह और शक्ति के साथ लौटेंगे।

*अब हर छोटी-बड़ी खबर पर रहेगी पैनी नज़र*

राहुल पाण्डेय की वापसी का सबसे बड़ा संकेत यह है कि अब वे किसी भी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी खबर को बिना जाँचे-बूझे नहीं छोड़ेंगे। उनके लिए किसी छोटे गाँव की टूटी सड़क भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी किसी मंत्री का भ्रष्टाचार। वे मानते हैं कि “हर खबर महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर खबर किसी की ज़िन्दगी से जुड़ी होती है।” अब वे अपने पत्रकारिता नेटवर्क को ब्लॉक, तहसील और पंचायत स्तर तक सक्रिय कर रहे हैं, ताकि क्षेत्र की हर समस्या को, हर जनप्रतिनिधि की जवाबदेही को और हर विकास कार्य की सच्चाई को उजागर किया जा सके।

*जनहित की पत्रकारिता, असली चौथे स्तंभ की भूमिका*

राहुल पाण्डेय की पत्रकारिता का आधार जनहित है, जनसरोकार है और जनदबाव है। उनके लिए खबर का मतलब सिर्फ सनसनी फैलाना नहीं, बल्कि सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत करना है। वे मानते हैं कि पत्रकार को सरकार और जनता के बीच एक पुल का कार्य करना चाहिए एक ऐसा पुल जो सच को बिना डर के सामने रखे।

*ग्रामीण पत्रकारिता को दी नई पहचान*

आज जब अधिकांश मीडिया संस्थान शहरी मुद्दों तक ही सीमित हैं, राहुल पाण्डेय ने ग्रामीण पत्रकारिता को एक नई पहचान दी है। वे उन जगहों तक पहुँचे हैं जहाँ आज तक कैमरा नहीं पहुँचा, उन लोगों से बात की है जो अब तक किसी रिपोर्टर को देख ही नहीं पाए थे। उनकी पहल से अब कई ग्राम पंचायतों में लोग खुद अपनी समस्या को पत्रकारों के पास लाकर उन्हें उजागर करते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि राहुल पाण्डेय जैसे संपादक उनके पीछे खड़े हैं।पत्रकारिता के क्षेत्र में सबसे कठिन कार्य होता है दबावों से न डरना। यह दबाव राजनीतिक हो सकता है, प्रशासनिक हो सकता है या माफियाओं से हो सकता है। लेकिन राहुल पाण्डेय ने कभी भी इन दबावों के आगे घुटने नहीं टेके।

*दैनिक ताज़ा खबर, अब नई दिशा में*

राहुल पाण्डेय ने अब दैनिक ताज़ा खबर को पूरी तरह डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ाया है। वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया पेज के माध्यम से अब खबरें ज्यादा तेज़ी से और ज्यादा लोगों तक पहुँच रही हैं। आज जब पत्रकारिता को “चौथा स्तंभ” कहने में भी लोग संकोच करने लगे हैं, तब राहुल पाण्डेय जैसे पत्रकार हमें उम्मीद की किरण दिखाते हैं। वे न सिर्फ सच्ची पत्रकारिता करते हैं, बल्कि इसे जनचेतना का माध्यम भी बनाते हैं। उनकी पत्रकारिता में जो जोश है, वह जनता की पीड़ा से उपजा है। उनकी दृष्टि में जो स्पष्टता है, वह वर्षों के अनुभव से आई है। और जो वचन उन्होंने दिया है कि अब हर छोटी - बड़ी खबर पर पैनी नज़र रखी जाएगी वह सिर्फ एक वादा नहीं, बल्कि एक जन सरोकार की प्रतिज्ञा है।

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

popular post

शिक्षा के मंदिर में सोती संवेदनाएँ, सो रहे शिक्षक रो रहा बच्चो का भविष्य जब बच्चो की नींव ही अच्छी नहीं होगी तो बच्चे कैसे बनेंगे समझदार बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया का मामला

 शिक्षा के मंदिर में सोती संवेदनाएँ, सो रहे शिक्षक रो रहा बच्चो का भविष्य जब बच्चो की नींव ही अच्छी नहीं होगी तो बच्चे कैसे बनेंगे समझदार बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया का मामला कटनी |  शिक्षा किसी भी समाज का सबसे मजबूत स्तंभ है। यह वह आधार है जिस पर राष्ट्र की नींव खड़ी होती है, लेकिन कटनी जिले के बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया से जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने शिक्षा की पवित्रता और शिक्षक की गरिमा दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।विद्यालय, जिसे ‘ज्ञान का मंदिर’ कहा जाता है, वहाँ बच्चों को दिशा देने वाले शिक्षक स्वयं गहरी नींद में सोए मिले।कुछ ने बाकायदा बिस्तर बिछा लिया था, तो कुछ मोबाइल स्क्रीन पर डूबे हुए थे। और सबसे हैरानी की बात यह रही कि प्राचार्य महोदय भी कक्षा के समय खर्राटे भरते नज़र आए। यह दृश्य केवल शर्मनाक ही नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की आत्मा को झकझोर देने वाला है। *जब गुरु ही सो जाए तो शिष्य किससे सीखे?* हमारी परंपरा में गुरु को देवता का स्...

शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने दबंगता के साथ पैकारी का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर कार चढ़ाई , रौंदा घायल नागरिकों ने आंदोलन तेज किया कहा - सभी गुर्गों सहित सरगना पर संगीन धाराओं में केस दर्ज करो पुलिस- प्रशासन के पसीने छूटे , कारण बेईमान अफसरों के पैसे से चलते हैं शराब ठेके तो मंचू उनका अज़ीज़ है

 शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने दबंगता के साथ पैकारी का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर कार चढ़ाई , रौंदा घायल नागरिकों ने आंदोलन तेज किया कहा - सभी गुर्गों सहित सरगना पर संगीन धाराओं में केस दर्ज करो पुलिस- प्रशासन के पसीने छूटे , कारण  बेईमान  अफसरों के पैसे से चलते हैं शराब ठेके तो मंचू उनका अज़ीज़ है  कटनी ।  स्लीमनाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम संसारपुर में  अवैध पैकारियों का विरोध करने वाले ग्रामीणों के ऊपर शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने अपनी कार चढ़ाकर उन्हें घायल कर दिया और चला भी गया l  घटना मंगलवार देर रात को हुई और दो दिन बाद तक पुलिस और प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है कि  ठेकेदार  मंचू की दबंगई के खिलाफ चूँ भी कर सके l कारण यही चर्चित है कि कटनी सहित एमपी के अधिकांश जिलों में महाभृष्ट पुलिस और आबकारी अधिकारियों की हराम की पूंजी शराब के ठेकों में लगती है और गुंडे मवाली टाइप के लोग ठेके चलाते हैं, मारपीट उपद्रव का तांडव मचाते हैं पुलिस की हिम्मत नहीं होती कि उनकी गुंडई को रोक सके । कुछ दिन पहले कटनी में शराब ठेकेदार एंड गैंग ने मिशन चौक पर कार सवार...

ढीमरखेड़ा थाना प्रभारी मोहम्मद शाहिद खान का स्थानांतरण, विदाई समारोह में छलकते जज़्बात

 ढीमरखेड़ा थाना प्रभारी मोहम्मद शाहिद खान का स्थानांतरण, विदाई समारोह में छलकते जज़्बात कटनी |  ढीमरखेड़ा पुलिस थाने का वह दिन बेहद भावुक कर देने वाला था, जब थाना प्रभारी मोहम्मद शाहिद खान का स्थानांतरण रीठी के लिए हो गया और उनके सम्मान में एक विदाई समारोह आयोजित किया गया। पूरे थाना प्रांगण से लेकर क्षेत्रीय जनता तक में निराशा और उदासी का माहौल था, क्योंकि शाहिद खान न केवल एक कुशल अधिकारी थे बल्कि अपनी हंसमुख प्रवृत्ति, मिलनसार स्वभाव और भाईचारे की भावना के कारण सबके दिलों में एक खास जगह बना चुके थे। *हंसमुख और प्रतिभाशाली व्यक्तित्व* मोहम्मद शाहिद खान का व्यक्तित्व हमेशा से ही उनकी पहचान रहा है। वे हर परिस्थिति में हंसी-खुशी और सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्य करते थे। यही कारण था कि थाने का हर कर्मचारी उन्हें केवल एक अधिकारी नहीं बल्कि भाई जैसा साथी मानता था। उनकी यह शैली पुलिस महकमे में बहुत कम दिखाई देती है, जहाँ अनुशासन और कठोरता आमतौर पर छवि को परिभाषित करते हैं। *हीरा जहाँ भी जाएगा, चमकेगा* विदाई समारोह में बार-बार यह भाव सुनाई दिया कि शाहिद खान वास्तव में एक हीरे की तरह है...