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भगवान ने बरसाया किसानो और केंद्र प्रभारियों पर पानी रूपी कहर, प्रशासन के पास किसानों की समस्या को लेकर कोई नहीं हैं निदान, विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह तत्काल ध्यान आकर्षित कराएंगे मुख्यमंत्री का

 भगवान ने बरसाया किसानो और केंद्र प्रभारियों पर पानी रूपी कहर, प्रशासन के पास किसानों की समस्या को लेकर कोई नहीं हैं निदान, विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह तत्काल ध्यान आकर्षित कराएंगे मुख्यमंत्री का 



ढीमरखेड़ा | ढीमरखेड़ा क्षेत्र में हाल ही में हुई तेज बारिश ने किसानों के लिए बड़ी समस्या पैदा कर दी है। बारिश की वजह से धान की खरीदी केंद्रों पर स्थित धान भीगने की समस्या गंभीर रूप से उत्पन्न हो गई है। किसानों के लिए यह एक कठिन समय है क्योंकि बारिश के कारण धान की सुरक्षा के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई थी। इस स्थिति ने प्रशासन की भी चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि धान की ढुलाई और संरक्षण में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

*बारिश का प्रभाव और किसानों की चिंता*

ढीमरखेड़ा क्षेत्र में बारिश की शुरुआत शुक्रवार से हो गई थी, जब मौसम अचानक बिगड़ गया था। बादलों ने पूरा आसमान ढक लिया था और रात से ही बूंदाबांदी का सिलसिला शुरू हो गया था। सुबह से तेज बारिश का दौर जारी है, जो दो घंटे से अधिक समय तक चला। इस तेज बारिश ने किसानों की परेशानी को और बढ़ा दिया, विशेष रूप से उन किसानों को, जिनकी धान खुले में रखी हुई थी। इन किसानों का प्रमुख चिंता का विषय यह है कि बारिश से उनका धान भीगने से उसका वजन बढ़ गया है, जो बाजार में बिकने के समय समस्या पैदा कर सकता है। इसके अलावा, धान की उठाई में भी देरी हो रही है, जिससे केंद्रों पर धान के ढेर लग गए हैं। केंद्रों में पर्याप्त तिरपाल की व्यवस्था नहीं होने से कई केंद्रों में पानी भर गया है, जिससे धान खराब हो रहा है। इस स्थिति में किसान दिनभर अपनी धान को बचाने के उपायों में लगे हुए हैं। वे अपनी धान को जितना हो सके तिरपाल से ढकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन समस्या का हल अभी तक नहीं निकल पाया है।

*खरीदी केंद्रों की स्थिति*

चूंकि खरीदी केंद्रों पर धान की सुरक्षा के लिए कोई प्रभावी इंतजाम नहीं हैं, वहां धान के ढेर खुले में रखे जा रहे हैं। जहां तिरपाल से एक-दो ढेर ही बचाए गए हैं, वहीं अन्य केंद्रों पर स्थिति काफी बिगड़ी हुई है। कुछ केंद्रों में तो पानी भर गया है और धान खराब हो रही है। इसके अलावा, मिलर्स द्वारा धान की उठाई में भी देरी की जा रही है, जिससे केंद्रों पर धान की बोरियो का ढेर हो गया है। यह समस्या प्रशासन के लिए भी चुनौतीपूर्ण बन गई है क्योंकि किसान और प्रशासन दोनों ही इस स्थिति से जूझ रहे हैं।

*खरीदी प्रक्रिया और पंजीयन का मुद्दा*

ढीमरखेड़ा क्षेत्र में खरीदी की प्रक्रिया 2 दिसंबर से शुरू हुई थी, और यह 20 जनवरी तक चलने वाली है। हालांकि, खरीदी के लिए महज 22 से 23 दिन ही शेष रह गए हैं, लेकिन अभी तक पंजीयन कराने वाले किसानों में से आधी धान भी नहीं बेची जा सकी है। जिले में लगभग 56 हजार किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है, लेकिन इनमें से सिर्फ 20 हजार किसान ही शासन को धान बेच पाए हैं। जिले में अब तक लगभग 1 लाख 79 हजार 535 टन धान खरीदी जा चुकी है, लेकिन अधिकांश धान अभी भी खुले में पड़ी हुई है। यह स्थिति प्रशासन और किसानों दोनों के लिए चिंता का विषय है।

*विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह को योगेंद्र सिंह दादा ठाकुर ने किसानों की समस्या से अवगत कराया*

जिले में धान के सुरक्षित उठाव और खरीदी के लिए प्रशासन ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन यह कदम पूरी तरह से पर्याप्त नहीं साबित हो पा रहे हैं। बड़वारा विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह के नेतृत्व में योगेंद्र सिंह दादा ठाकुर ने खरीदी केंद्रों का दौरा किया और केंद्र प्रभारियों से उनकी स्थिति के बारे में जानकारी ली। केंद्र प्रभारियों ने अपनी समस्या बताते हुए यह बताया कि वे अपनी स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं और धान की सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। इस स्थिति से नर्वस होकर योगेंद्र सिंह दादा ठाकुर ने विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह का ध्यान आकर्षित किया। विधायक ने तत्काल मुख्यमंत्री से संपर्क करने का आश्वासन दिया है, जिससे जल्द ही कोई ठोस समाधान निकल सके। इस स्थिति का समाधान ढूंढना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। सबसे पहले, खरीदी केंद्रों पर तिरपाल और सुरक्षित धान रखने की व्यवस्था को तुरंत मजबूत करना होगा। प्रशासन को किसानों को उचित सुरक्षा प्रदान करने के लिए तिरपाल, प्लास्टिक शीट्स और अन्य संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके साथ ही, केंद्रों में धान की उठाई में तेजी लाने के लिए मिलर्स से दबाव बनाना होगा ताकि धान का उठाव समय पर हो सके और किसान अपने अनाज को सुरक्षित रूप से बेच सकें। इसके अलावा, किसानों को भी अपने धान को सुरक्षित रखने के लिए उचित उपायों की जानकारी दी जानी चाहिए। प्रशासन को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि किसान जानते हों कि वे अपनी धान को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं और बारिश से बचा सकते हैं। ढीमरखेड़ा क्षेत्र में हुई तेज बारिश ने किसानों को बड़ी समस्या में डाल दिया है। धान की खरीदी केंद्रों पर सुरक्षा के इंतजाम न होने से किसान अपनी मेहनत से उगाई गई फसल को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि किसानों की परेशानी को कम किया जा सके। राजनीतिक नेताओं और प्रशासन को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके और उनका अनाज सुरक्षित तरीके से खरीदी केंद्रों तक पहुंच सके।

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