सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

एक आदमी को देखने के लिए अनेकों आदमियों की भीड़ एकजुट होती हैं जिला कलेक्टर का रुतबा आज भी ऐसा कि सब लोग समस्या के साथ देखने के लिए रहते हैं तैयार UPSC जैसी परीक्षा को पास करके IAS के पद पर मनोनीत होते हैं, भारत के सबसे कठिन परीक्षा में से एक हैं UPSC

 एक आदमी को देखने के लिए अनेकों आदमियों की भीड़ एकजुट होती हैं जिला कलेक्टर का रुतबा आज भी ऐसा कि सब लोग समस्या के साथ देखने के लिए रहते हैं तैयार UPSC जैसी परीक्षा को पास करके IAS के पद पर मनोनीत होते हैं, भारत के सबसे कठिन परीक्षा में से एक हैं UPSC 



ढीमरखेड़ा | दैनिक ताजा ख़बर के प्रधान संपादक राहुल पाण्डेय का कहना है कि आज के समय में भी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का आकर्षण और सम्मान बरकरार है। भारतीय समाज में IAS अधिकारी का रुतबा किसी भी अन्य सरकारी सेवा से कहीं ऊंचा माना जाता है। एक IAS अधिकारी को समाज में न केवल एक उच्च स्थान प्राप्त होता है, बल्कि वे जनता के विभिन्न मुद्दों को सुलझाने में भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसमें उनकी निर्णय लेने की क्षमता, प्रशासनिक दक्षता, और सामाजिक मुद्दों के प्रति उनकी संवेदनशीलता प्रमुख होती है। यह मान्यता आज भी कायम है कि जब एक जिला कलेक्टर किसी स्थान पर पहुंचता है, तो उसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो जाते हैं। जिला कलेक्टर भारतीय प्रशासनिक ढांचे में सबसे महत्वपूर्ण पदों में से एक है। एक जिला कलेक्टर का मुख्य कार्य अपने जिले की समग्र देखभाल और प्रबंधन करना होता है। जिला कलेक्टर का पद एक बहुआयामी भूमिका निभाता है जिसमें प्रशासनिक कार्य, कानूनी निगरानी, विकास योजनाओं का कार्यान्वयन और आपातकालीन स्थिति में नेतृत्व करना शामिल है। भारतीय समाज में कलेक्टर को एक "मिनी सरकार" के रूप में देखा जाता है क्योंकि वह जिले के सभी प्रमुख कार्यों का पर्यवेक्षक होता है। जब एक कलेक्टर जिले में किसी कार्यक्रम में शामिल होता है या कोई मुद्दा हल करने के लिए मौके पर पहुंचता है, तो यह स्वाभाविक रूप से लोगों को आकर्षित करता है। चाहे वह किसान की समस्या हो, बिजली कटौती का मामला हो, या किसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना हो, लोग कलेक्टर के आने की प्रतीक्षा करते हैं। इसका कारण यह है कि जनता में यह विश्वास होता है कि कलेक्टर उनकी समस्या को गंभीरता से सुनेगा और उस पर त्वरित कार्रवाई करेगा। इसलिए जब कोई कलेक्टर मौके पर आता है, तो बड़ी भीड़ अपने मुद्दे लेकर पहुंच जाती है। इस भीड़ में अलग-अलग वर्गों के लोग होते हैं, चाहे वे व्यापारी हों, किसान हों, मजदूर हों या अन्य कोई नागरिक।

*UPSC की कठिन परीक्षा*

IAS बनने के लिए उम्मीदवारों को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है, जो दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इस परीक्षा की कठिनाई का स्तर इस बात से समझा जा सकता है कि हर साल लाखों अभ्यर्थी इसके लिए आवेदन करते हैं, लेकिन उनमें से केवल कुछ हजार ही प्रारंभिक परीक्षा पास कर पाते हैं, और अंततः सैकड़ों में से कुछ चुनिंदा उम्मीदवार ही अंतिम रूप से चुने जाते हैं। UPSC परीक्षा का मुख्य उद्देश्य सबसे योग्य और सक्षम उम्मीदवारों का चयन करना है, जो बाद में प्रशासनिक सेवाओं में जाकर देश की सेवा कर सकें। यह परीक्षा तीन चरणों में आयोजित होती है - प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार। प्रारंभिक परीक्षा सामान्य ज्ञान और वैकल्पिक विषयों पर आधारित होती है, जबकि मुख्य परीक्षा में गहन विषयवस्तु का ज्ञान, लेखन कौशल और विश्लेषणात्मक क्षमता की परीक्षा ली जाती है। अंतिम चरण में साक्षात्कार के दौरान उम्मीदवार की व्यक्तित्व, तर्क क्षमता, और सामाजिक मुद्दों की समझ की जांच की जाती है।

*IAS बनने का सफर आसान नहीं, पर ज्यादा कठिन भी नहीं*

IAS बनने का सफर आसान नहीं होता। यह न केवल शैक्षिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक तैयारी की भी आवश्यकता होती है। एक अभ्यर्थी को समाज, राजनीति, अर्थशास्त्र, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी के हर पहलू पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। इसके अलावा, अभ्यर्थी को लगातार अध्ययन और तैयारी करनी होती है, जिसमें समय प्रबंधन और सही दिशा में मेहनत अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। UPSC की परीक्षा के लिए तैयारी करने वाले छात्रों को कई बार समाज और परिवार से भी दबाव का सामना करना पड़ता है। सफलता की गारंटी नहीं होती, और असफलता का भय हमेशा बना रहता है। यह तैयारी का दौर अभ्यर्थी के धैर्य और समर्पण की परीक्षा भी होता है। सफल होने वाले अभ्यर्थी अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर इस मुश्किल परीक्षा को पास करते हैं और देश के सबसे प्रतिष्ठित पदों पर आसीन होते हैं।

*IAS का पद और जिम्मेदारियां*

IAS अधिकारी बनने के बाद व्यक्ति को कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का काम केवल प्रशासनिक मामलों तक सीमित नहीं होता, बल्कि उन्हें नीतियों के निर्माण और उनके क्रियान्वयन में भी अहम भूमिका निभानी पड़ती है। वे न केवल जिले के प्रमुख होते हैं, बल्कि जनता के कल्याण के लिए योजनाओं का कार्यान्वयन, विकास परियोजनाओं की निगरानी और आपातकालीन स्थितियों में राहत कार्यों का नेतृत्व भी करते हैं। एक IAS अधिकारी के रूप में जिला कलेक्टर जिले के हर क्षेत्र में अपनी पैठ बनाता है, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, जल प्रबंधन हो या कानून व्यवस्था। उनका काम न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी होता है कि जिले के हर नागरिक को सरकार की योजनाओं और सुविधाओं का लाभ मिल सके। इसी कारण से कलेक्टर का रुतबा आज भी भारतीय समाज में बरकरार है।

*जनता का विश्वास आज भी कलेक्टर पर*

एक IAS अधिकारी के रूप में जनता का विश्वास प्राप्त करना सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। जब लोग किसी कलेक्टर से उम्मीदें रखते हैं, तो इसका मतलब होता है कि वे उसे अपनी समस्याओं का समाधानकर्ता मानते हैं। कई बार जिले में विकास कार्यों की धीमी प्रगति, भ्रष्टाचार, या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जनता की कठिनाइयों को दूर करने के लिए कलेक्टर को विशेष तौर पर सक्रिय होना पड़ता है। भारतीय समाज में कलेक्टर को एक भरोसेमंद अधिकारी के रूप में देखा जाता है, जो निष्पक्ष रूप से काम करता है और जनता की भलाई के लिए निर्णय लेता है। उनका कार्य न केवल शासन को जनता तक पहुंचाना होता है, बल्कि उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होता है कि शासन की योजनाएं सही ढंग से कार्यान्वित हो रही हैं या नहीं।

*कलेक्टर के रुतबे के प्रभाव के कारण अधिकारी - कर्मचारी घूमते हैं आगे पीछे*

कलेक्टर का रुतबा केवल सरकारी पद या अधिकारों की वजह से नहीं होता, बल्कि उसकी कड़ी मेहनत, निर्णय लेने की क्षमता, और जनता की समस्याओं के प्रति उसकी संवेदनशीलता की वजह से होता है। एक IAS अधिकारी का कार्यकाल केवल फाइलों में सीमित नहीं रहता, बल्कि उसे जिले के हर क्षेत्र में जाकर वहां की समस्याओं को समझना और उनका हल निकालना पड़ता है। यही कारण है कि जब एक कलेक्टर किसी गांव या शहर में जाता है, तो वहां के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं।इसके पीछे एक और कारण यह भी है कि भारतीय समाज में अभी भी सरकारी अधिकारियों, खासकर IAS अधिकारियों को विशेष सम्मान दिया जाता है। लोग उन्हें अपने क्षेत्र के विकास और समस्याओं के समाधान का प्रमुख कारक मानते हैं। इसलिए जब कोई कलेक्टर किसी समस्या का निरीक्षण करने के लिए मौके पर आता है, तो लोगों की भीड़ उसे देखने और अपनी समस्याएं सुनाने के लिए जमा हो जाती है। जिला कलेक्टर का रुतबा आज भी भारतीय समाज में बहुत ऊंचा है। लोग उसे अपनी समस्याओं का समाधानकर्ता मानते हैं और उसकी उपस्थिति में आशा की किरण देखते हैं। UPSC जैसी कठिन परीक्षा को पास करके IAS अधिकारी बनने का सफर चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन जो इसे पार कर लेते हैं, वे समाज और देश के लिए अमूल्य योगदान देते हैं। कलेक्टर का पद न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एक जिम्मेदारी भरी भूमिका निभाने वाला होता है, जो जनता के विश्वास पर खरा उतरता है।

टिप्पणियाँ

popular post

शिक्षा के मंदिर में सोती संवेदनाएँ, सो रहे शिक्षक रो रहा बच्चो का भविष्य जब बच्चो की नींव ही अच्छी नहीं होगी तो बच्चे कैसे बनेंगे समझदार बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया का मामला

 शिक्षा के मंदिर में सोती संवेदनाएँ, सो रहे शिक्षक रो रहा बच्चो का भविष्य जब बच्चो की नींव ही अच्छी नहीं होगी तो बच्चे कैसे बनेंगे समझदार बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया का मामला कटनी |  शिक्षा किसी भी समाज का सबसे मजबूत स्तंभ है। यह वह आधार है जिस पर राष्ट्र की नींव खड़ी होती है, लेकिन कटनी जिले के बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया से जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने शिक्षा की पवित्रता और शिक्षक की गरिमा दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।विद्यालय, जिसे ‘ज्ञान का मंदिर’ कहा जाता है, वहाँ बच्चों को दिशा देने वाले शिक्षक स्वयं गहरी नींद में सोए मिले।कुछ ने बाकायदा बिस्तर बिछा लिया था, तो कुछ मोबाइल स्क्रीन पर डूबे हुए थे। और सबसे हैरानी की बात यह रही कि प्राचार्य महोदय भी कक्षा के समय खर्राटे भरते नज़र आए। यह दृश्य केवल शर्मनाक ही नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की आत्मा को झकझोर देने वाला है। *जब गुरु ही सो जाए तो शिष्य किससे सीखे?* हमारी परंपरा में गुरु को देवता का स्...

बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया, ग्राम पंचायत भमका के रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का निधन एक संवेदनशील श्रद्धांजलि

 बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया, ग्राम पंचायत भमका के रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का निधन एक संवेदनशील श्रद्धांजलि ढीमरखेड़ा |  जीवन और मृत्यु का रिश्ता ऐसा है जिसे कोई भी बदल नहीं सकता। जन्म लेना और फिर इस संसार को छोड़कर चले जाना, प्रकृति का अटल नियम है। लेकिन जब यह क्षण हमारे अपने किसी प्रियजन के साथ आता है, तब यह एक गहरी चोट की तरह दिल को भेद जाता है। ग्राम पंचायत भमका में पदस्थ रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का गंभीर बीमारी के उपचार के दौरान निधन इस सच्चाई का ताजा उदाहरण है, जिसने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया। कुछ महीनों पहले उन्हें अचानक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां शुरू हुईं। शुरुआत में इसे सामान्य कमजोरी समझा गया, लेकिन जब स्थिति बिगड़ती गई, तो परिवार ने उन्हें बड़े अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने गंभीर बीमारी की पुष्टि की, जिसके बाद इलाज का लंबा दौर शुरू हुआ। बीमारी के दौरान भी उन्होंने मानसिक रूप से हार नहीं मानी। अस्पताल में रहते हुए भी वे पंचायत के काम और लोगों के हालचाल के बारे में पूछते थे। परिवारजन और मित्र उन...

शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने दबंगता के साथ पैकारी का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर कार चढ़ाई , रौंदा घायल नागरिकों ने आंदोलन तेज किया कहा - सभी गुर्गों सहित सरगना पर संगीन धाराओं में केस दर्ज करो पुलिस- प्रशासन के पसीने छूटे , कारण बेईमान अफसरों के पैसे से चलते हैं शराब ठेके तो मंचू उनका अज़ीज़ है

 शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने दबंगता के साथ पैकारी का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर कार चढ़ाई , रौंदा घायल नागरिकों ने आंदोलन तेज किया कहा - सभी गुर्गों सहित सरगना पर संगीन धाराओं में केस दर्ज करो पुलिस- प्रशासन के पसीने छूटे , कारण  बेईमान  अफसरों के पैसे से चलते हैं शराब ठेके तो मंचू उनका अज़ीज़ है  कटनी ।  स्लीमनाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम संसारपुर में  अवैध पैकारियों का विरोध करने वाले ग्रामीणों के ऊपर शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने अपनी कार चढ़ाकर उन्हें घायल कर दिया और चला भी गया l  घटना मंगलवार देर रात को हुई और दो दिन बाद तक पुलिस और प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है कि  ठेकेदार  मंचू की दबंगई के खिलाफ चूँ भी कर सके l कारण यही चर्चित है कि कटनी सहित एमपी के अधिकांश जिलों में महाभृष्ट पुलिस और आबकारी अधिकारियों की हराम की पूंजी शराब के ठेकों में लगती है और गुंडे मवाली टाइप के लोग ठेके चलाते हैं, मारपीट उपद्रव का तांडव मचाते हैं पुलिस की हिम्मत नहीं होती कि उनकी गुंडई को रोक सके । कुछ दिन पहले कटनी में शराब ठेकेदार एंड गैंग ने मिशन चौक पर कार सवार...