सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

धान की फसल हुई पैरा में तब्दील सूखा रोग से हुआ नुकसान अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके को किसानों ने सौपा ज्ञापन

 धान की फसल हुई पैरा में तब्दील सूखा रोग से हुआ नुकसान अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके को किसानों ने सौपा ज्ञापन 



ढीमरखेड़ा | धान की फसल में सूखा रोग एक प्रकार की बीमारी है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में 'ब्लास्ट' (Blast) कहा जाता है। इस रोग का प्रभाव पौधे की पत्तियों, तनों और दानों पर होता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और धान का उत्पादन कम हो जाता है। जब इस रोग का प्रसार तेजी से होता है, तो फसलें सूखने लगती हैं और उत्पादन में भारी गिरावट आ जाती है। सूखा रोग कई कारणों से होता है, जिनमें प्रतिकूल मौसम, मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी, जल की अनुपलब्धता, और फसल की देखभाल में कमी प्रमुख हैं।

*प्रभावित क्षेत्र और नुकसान*

ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी क्षेत्र के कई गाँवों जैसे गोपालपुर, गूंडा, अतरसूमा, घाना, बम्हौरी, दशरमन, गनियारी, मुरवारी, और पिड़रई में धान की फसल सूखा रोग से बुरी तरह प्रभावित हो चुकी है। किसानों के अनुसार सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर खड़ी धान की फसल का 60 से 80 प्रतिशत तक हिस्सा खराब हो चुका है। यह संकट बहुत बड़ा है क्योंकि इन गाँवों में ज्यादातर किसान धान की खेती पर निर्भर रहते हैं। धान की फसल इन इलाकों के किसानों की मुख्य आय का स्रोत है, और जब उनकी फसल नष्ट होती है, तो उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है।सूखा रोग के कारण फसलें सड़ने लगी हैं, और किसानों की मेहनत पूरी तरह से बर्बाद हो रही है। यह स्थिति न केवल आर्थिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी किसानों के लिए बहुत हानिकारक है। जब महीनों की मेहनत बर्बाद हो जाती है, तो किसान हताशा और निराशा के शिकार हो जाते हैं। इसके चलते कई किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए भी मजबूर हो जाते हैं, जो एक सामाजिक त्रासदी का रूप ले सकती है।

*अनुविभागीय अधिकारी से की गई अपील*

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए ढीमरखेड़ा एवं सिलौड़ी क्षेत्र के किसानों ने अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) विंकी सिंह मारे उइके से मुलाकात की और उन्हें इस संकट से अवगत कराया। किसानों ने अपनी खराब हुई फसल का नमूना दिखाकर वास्तविक स्थिति को उनके सामने रखा। यह अपील की गई कि इस नुकसान का जल्द से जल्द सर्वे कराया जाए और प्रभावित किसानों को मुआवजा, बीमा कवर और अन्य सहायता दी जाए। किसानों ने यह भी कहा कि जब तक इस नुकसान का सही आकलन नहीं किया जाएगा और उन्हें उचित मदद नहीं मिलेगी, तब तक उनकी स्थिति और खराब होती जाएगी। सरकार और प्रशासन से उन्हें यह उम्मीद है कि वे उनके संकट को गंभीरता से लें और त्वरित कार्यवाही करें। किसानों का यह भी कहना है कि उन्हें बीमा की राशि भी जल्द मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति को कुछ हद तक सुधार सकें और अगली फसल के लिए तैयारी कर सकें।

*कृषि बीमा की आवश्यकता*

कृषि बीमा किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच होता है, विशेषकर तब जब उनकी फसल प्राकृतिक आपदाओं या बीमारियों के कारण नष्ट हो जाती है। सूखा रोग से प्रभावित धान की फसल के मामले में, बीमा के माध्यम से किसानों को मुआवजा मिल सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को कुछ हद तक सुधारा जा सकता है। लेकिन कई बार बीमा की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है, जिसके चलते किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पाता। किसानों ने अपनी अपील में इस बात का भी जिक्र किया कि उन्हें जल्दी से जल्दी बीमा राशि मिलनी चाहिए, ताकि वे अपनी आर्थिक तंगी से उबर सकें। सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण पहल है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कई बार समस्याएं आती हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें बीमा के तहत समय पर मुआवजा नहीं मिलता, और अगर मिलता भी है, तो वह उनकी वास्तविक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता। इसके अलावा, बीमा कंपनियों द्वारा नुकसान का सही आकलन न करने की शिकायतें भी आम हैं।

*किसानों के संकट का सामाजिक और मानसिक प्रभाव*

फसल का नुकसान सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक रूप से भी किसानों को प्रभावित करता है। जब किसान अपनी मेहनत से उपजाई गई फसल को नष्ट होते हुए देखते हैं, तो उनके अंदर निराशा और तनाव का भाव उत्पन्न होता है। इसका प्रभाव उनके परिवार पर भी पड़ता है, क्योंकि खेती से होने वाली आय ही उनके जीवनयापन का मुख्य स्रोत होती है।कई बार यह निराशा इतनी बढ़ जाती है कि किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है और इसका समाधान तुरंत निकालना जरूरी है। सरकारी सहायता और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता इस संकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। किसानों को न केवल आर्थिक मदद की जरूरत है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी सशक्त करने की आवश्यकता है ताकि वे इस संकट से उबर सकें।

*सूखा रोग ने धान को किया बर्बाद*

इस संकट से उबरने के लिए किसानों को सरकार और प्रशासन से बहुत उम्मीदें हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रशासन जल्द से जल्द उनकी फसलों का सर्वे कराएगा और उन्हें मुआवजा दिलाएगा। इसके अलावा, किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनकी बीमा क्लेम प्रक्रिया को भी सरल और तेज करेगी ताकि उन्हें समय पर सहायता मिल सके। सरकार को चाहिए कि वह सूखा रोग जैसी बीमारियों से निपटने के लिए अधिक जागरूकता फैलाए और किसानों को फसल सुरक्षा के उपायों के बारे में जानकारी दे। इसके अलावा, बीज, उर्वरक, और कीटनाशक जैसे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि किसानों को इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े।इस दौरान किसान मोर्चा अध्यक्ष अरविंद तिवारी, भाजपा ढीमरखेड़ा मंडल उपाध्यक्ष डॉक्टर योगेन्द्र सिंह ठाकुर, सिलौड़ी भाजपा मंडल अध्यक्ष डॉक्टर प्रशांत राय, सोनू गौतम, सुलभ त्रिपाठी, विजय राय, मस्तराम विश्वकर्मा, संतोष कुमार, प्रदीप सिंह, मनोज यादव की रही उपस्थिति।

टिप्पणियाँ

popular post

झाड़ियों में मिला नवजात शिशु, रंडीबाजी की चुप्पी और नवजात की चीख

 झाड़ियों में मिला नवजात शिशु, रंडीबाजी की चुप्पी और नवजात की चीख ढीमरखेड़ा |  मध्यप्रदेश के कटनी जिले के ढीमरखेड़ा जनपद की ग्राम पंचायत भटगवां के आश्रित ग्राम भसेड़ा में एक हृदयविदारक घटना सामने आई। गांव के बाहरी हिस्से में स्थित घनी झाड़ियों में एक नवजात शिशु लावारिस अवस्था में पड़ा मिला। उसकी किलकारियों ने वहां से गुजर रहे ग्रामीणों का ध्यान खींचा और जल्द ही यह खबर पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। आनन-फानन में सरपंच अशोक दाहिया ने अपनी सक्रियता दिखाई और नवजात को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उमरियापान पहुंचाया, जहां उसका इलाज जारी है।यह घटना केवल एक बच्चे के मिलने भर की नहीं है; यह उस सामाजिक विडंबना की ओर इशारा करती है जहां अनैतिक संबंधों, देह व्यापार और सामाजिक डर के कारण नवजातों को उनके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया जाता है। ग्राम भसेड़ा में सुबह के समय कुछ ग्रामीण लकड़ी बीनने निकले थे। तभी उन्हें झाड़ियों से किसी नवजात की रोने की आवाज सुनाई दी। पहले तो उन्हें भ्रम हुआ, पर जब वे पास पहुंचे तो वहां एक नवजात शिशु खून और माटी से सना हुआ पड़ा मिला। उसे देखकर सबके रोंगटे खड़े हो गए...

उमरियापान पुलिस की शानदार कार्यवाही, चोरी के 72 घंटे के भीतर आरोपी गिरफ्तार, लाखों के जेवरात व नगदी बरामद

 उमरियापान पुलिस की शानदार कार्यवाही, चोरी के 72 घंटे के भीतर आरोपी गिरफ्तार, लाखों के जेवरात व नगदी बरामद ढीमरखेड़ा |  उमरियापान थाना क्षेत्र के ग्राम महनेर में 22 अप्रैल को घटित चोरी की घटना ने न केवल पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी, बल्कि पुलिस के सामने भी एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी थी। चोरी की यह वारदात एक बुजुर्ग व्यक्ति के घर में हुई थी, जहां से लाखों रुपये मूल्य के सोने-चांदी के जेवरात और नगदी चोरी कर ली गई थी। किंतु उमरियापान पुलिस ने महज 72 घंटे के भीतर इस गंभीर मामले का खुलासा कर यह साबित कर दिया कि यदि नीयत और निगरानी सशक्त हो तो कोई भी अपराधी कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकता।  *बुजुर्ग के घर से लाखों की चोरी* 22 अप्रैल की रात ग्राम महनेर निवासी हरभजन काछी पिता राम गोपाल काछी, उम्र 70 वर्ष, जब अपने किसी पारिवारिक कार्य में व्यस्त थे, तभी उनके घर का ताला तोड़कर अज्ञात चोर ने कमरे में घुसकर घर में रखे बहुमूल्य सामान पर हाथ साफ कर दिया। हरभजन काछी द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि चोर ने घर से सोने की पंचाली, पेंडल, अंगूठी, झुमकी, सोने की चेन, द...

कंपनी को हड़पने की महेन्द्र गोयनका की साजिश हुई नाकाम कटनी के विधायक संजय पाठक के पूर्व कर्मचारी गोयनका ने रची थी साजिश,कंपनी के 3 डायरेक्टरों की गिरफ्तारी को रोकने आईजी के पत्र पर हाईकोर्ट ने जताई हैरानी, कंपनी के डायरेक्टरों की अपील खारिज कर हाईकोर्ट ने कहा आईजी सिर्फ विवेचना अधिकारी बदल सकते हैं, गिरफ्तारी नहीं रोक सकते अब गिरफ्तार हो सकेंगे यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी के तीनों फरार डायरेक्टर

 कंपनी को हड़पने की महेन्द्र गोयनका की साजिश हुई नाकाम कटनी के विधायक संजय पाठक के पूर्व कर्मचारी गोयनका ने रची थी साजिश,कंपनी के 3 डायरेक्टरों की गिरफ्तारी को रोकने आईजी के पत्र पर हाईकोर्ट ने जताई हैरानी, कंपनी के डायरेक्टरों की अपील खारिज कर हाईकोर्ट ने कहा  आईजी सिर्फ विवेचना अधिकारी बदल सकते हैं, गिरफ्तारी नहीं रोक सकते अब गिरफ्तार हो सकेंगे यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी के तीनों फरार डायरेक्टर जबलपुर । कटनी की एक इस्पात कंपनी को हड़पने के संबंध में महेन्द्र गोयनका की साजिश नाकाम हो गई है। कटनी के भाजपा विधायक संजय पाठक के पूर्व कर्मचारी गोयनका ने कंपनी हड़पने का यह पूरा ताना बाना रचा था इस साजिश में शामिल कंपनी के 4 डायरेक्टरों की अपील हाईकोर्ट से खारिज हो गई है।  मामले में आईजी की भूमिका पर सवाल उठने के बाद मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की युगलपीठ ने अपने विस्तृत फैसले में कहा है कि आईजी वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते किसी भी मामले का विवेचना अधिकारी तो बदल सकते हैं, लेकिन अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद वे आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं रोक सकते। इसके सा...