सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पुल तो अब ऐसे बनाएं जाते हैं ताकि बह जाएं, अंग्रेजो के समय की सड़क आज भी चल रहीं ढीमरखेड़ा क्षेत्र के अनेकों पुल और सड़क भ्रष्टाचार की गवाह

 पुल तो अब ऐसे बनाएं जाते हैं ताकि बह जाएं, अंग्रेजो के समय की सड़क आज भी चल रहीं ढीमरखेड़ा क्षेत्र के अनेकों पुल और सड़क भ्रष्टाचार की गवाह



ढीमरखेड़ा | एक तरफ जहां अंग्रेजों द्वारा बनाए गए सड़कों और पुलों की मजबूती और टिकाऊपन को सराहा जाता है, वहीं आजकल के पुल और सड़कों के गुणवत्ता मानकों में गिरावट देखी जा रही है। वर्तमान समय में कई पुलों और सड़कों को ऐसा बनाया जा रहा है कि वे प्राकृतिक आपदाओं या सामान्य उपयोग में कुछ ही समय में खराब हो जाते हैं। अंग्रेजी शासनकाल के दौरान निर्मित सड़कें और पुल मुख्यतः इंजीनियरिंग के उच्चतम मानकों का पालन करते हुए बनाए गए थे। इन निर्माण कार्यों में दीर्घकालिक उपयोगिता और मजबूती पर विशेष ध्यान दिया गया। उदाहरण के तौर पर, कई ऐसे मार्ग और पुल हैं जो लगभग 100 से अधिक वर्षों से उपयोग में आ रहे हैं। इन सड़कों का निर्माण प्राकृतिक सामग्रियों, जैसे कि पथरीले पत्थर और मजबूत सीमेंट से किया गया था, जिससे ये अत्यधिक टिकाऊ और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति प्रतिरोधी बने। अंग्रेजी शासनकाल के दौरान सड़कों और पुलों के निर्माण में दीर्घकालिक योजना और कड़े इंजीनियरिंग सिद्धांतों का पालन किया गया। वे अपने काम में कम से कम 50 से 100 वर्षों तक टिकाऊ रहने वाले ढांचे को प्राथमिकता देते थे, क्योंकि उनका उद्देश्य था कि उनकी बनाई गई बुनियादी ढांचा सदियों तक चले।

 *आधुनिक पुलों और सड़कों की कमजोरियाँ*

वर्तमान समय में पुलों और सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता की कमी का मुख्य कारण भ्रष्टाचार, अपर्याप्त निगरानी, और गलत निर्माण प्रक्रियाएं हैं। आजकल निर्माण कार्य में जल्दीबाजी और बजट में कटौती के कारण ठेकेदार और इंजीनियर अक्सर निर्माण सामग्री की गुणवत्ता से समझौता कर लेते हैं। यह देखा गया है कि पुलों का निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि वे कुछ वर्षों के भीतर ही बह जाते हैं, खासकर बारिश के मौसम में। इसके अलावा, कई बार सड़कों और पुलों के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री का सही तरीके से परीक्षण नहीं किया जाता है। नतीजन, थोड़ी भी बारिश या बाढ़ आने पर ये ढांचे कमजोर हो जाते हैं और बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

 *भ्रष्टाचार और अनुचित निर्माण प्रक्रियाएं*

भ्रष्टाचार निर्माण की गुणवत्ता में सबसे बड़ी बाधा है। कई ठेकेदार और अधिकारी निर्माण कार्य में अनियमितताएं करते हैं। अक्सर कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के लिए निर्माण सामग्री की गुणवत्ता को नजरअंदाज किया जाता है। इसके अलावा, निर्माण प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली तकनीकें भी कई बार पुरानी या गलत होती हैं, जिससे निर्माण कमजोर हो जाता है।अधिकांश ठेकेदार यह सुनिश्चित नहीं करते कि निर्माण सामग्री उच्च गुणवत्ता वाली हो। इसके बजाय, वे सस्ते और निम्न गुणवत्ता वाले सामग्री का उपयोग करते हैं, जिससे पुल और सड़कें थोड़े समय में ही टूटने लगती हैं। इसके अलावा, कभी-कभी सामग्री की सही मात्रा का भी उपयोग नहीं किया जाता है। इससे निर्माण की ताकत कमजोर हो जाती है।

 *प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अनुकूलन की कमी*

अंग्रेजों के समय में सड़कें और पुल प्राकृतिक आपदाओं, जैसे कि बाढ़ और भारी बारिश के खिलाफ स्थिर बनाए जाते थे। वर्तमान में, हालांकि तकनीकी संसाधनों की अधिकता है, फिर भी कई बार इन निर्माणों को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति पर्याप्त रूप से तैयार नहीं किया जाता है। आधुनिक पुल और सड़कें अधिकांशतः जलभराव और भारी बारिश का सामना करने में असफल रहती हैं। इसके अतिरिक्त, नई निर्माण परियोजनाओं में दीर्घकालिक योजना का अभाव होता है। केवल अल्पकालिक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर निर्माण कार्य किए जाते हैं, जिससे उनकी दीर्घकालिक उपयोगिता प्रभावित होती है। इसके परिणामस्वरूप, निर्माण कार्य कुछ ही वर्षों में गिरने या बहने लगते हैं, जैसा कि कई बार देखा गया है।

 *तकनीकी अनुभव और विशेषज्ञता की कमी*

एक और बड़ा कारण यह है कि आधुनिक इंजीनियरों और ठेकेदारों में आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभव की कमी हो सकती है। अंग्रेजों के समय में, निर्माण कार्यों के लिए प्रशिक्षित और योग्य इंजीनियरों का चयन किया जाता था, जो निर्माण प्रक्रियाओं में अत्यधिक अनुभव रखते थे। जबकि आजकल कई बार अनियमितताओं और अव्यवस्थाओं के कारण अनुभवहीन या अयोग्य लोग इन कार्यों का नेतृत्व करते हैं।तकनीकी अनुभव की कमी के चलते कई बार सही निर्माण प्रक्रिया को लागू नहीं किया जाता है। इसके अलावा, परियोजना की निगरानी में भी लापरवाही बरती जाती है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता में गिरावट आती है। नतीजतन, इन कमजोर निर्माणों का सामना प्राकृतिक आपदाओं के सामने नहीं हो पाता है।

*अंग्रेजों के समय की सड़कों की गुणवत्ता और टिकाऊपन*

जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ा कारण है जिससे वर्तमान समय के पुल और सड़कें जल्दी खराब हो रही हैं। अंग्रेजों के समय में मौसम की स्थिति स्थिर थी और निर्माण कार्यों को इसी के अनुसार डिजाइन किया गया था। लेकिन आज के समय में, जलवायु में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। भारी बारिश, बाढ़ और तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के कारण सड़कों और पुलों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इन बदलते मौसमों के अनुरूप नए निर्माण कार्यों को नहीं बनाया जा रहा है। इसका परिणाम यह होता है कि भारी बारिश या बाढ़ आने पर पुल और सड़कें बह जाती हैं या ध्वस्त हो जाती हैं।

 *मरम्मत और रखरखाव की कमी*

वर्तमान समय में निर्माण कार्यों के बाद मरम्मत और रखरखाव की कमी भी एक महत्वपूर्ण समस्या है। अंग्रेजों के समय में, बनाए गए ढांचों की नियमित देखभाल और रखरखाव किया जाता था। इसके विपरीत, आजकल पुल और सड़कों की मरम्मत के प्रति लापरवाही बरती जाती है। यह देखा गया है कि यदि समय पर मरम्मत और रखरखाव नहीं किया जाता है, तो निर्माण कार्यों की जीवन अवधि घट जाती है। इससे पुल और सड़कों में दरारें आने लगती हैं और वे कमजोर हो जाते हैं। नतीजतन, हल्की सी बारिश में भी वे बहने लगते हैं।

*ढीमरखेड़ा में भी अनेकों पुल बह गए*

इस समस्या का समाधान यह है कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और ईमानदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। ठेकेदारों और इंजीनियरों को उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करना चाहिए और निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके अलावा, सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और निर्माण कार्यों की नियमित रूप से जांच करनी चाहिए। मरम्मत और रखरखाव का काम समय पर और सही तरीके से किया जाना चाहिए, ताकि इन ढांचों की दीर्घकालिक उपयोगिता बनी रहे।

टिप्पणियाँ

popular post

शिक्षा के मंदिर में सोती संवेदनाएँ, सो रहे शिक्षक रो रहा बच्चो का भविष्य जब बच्चो की नींव ही अच्छी नहीं होगी तो बच्चे कैसे बनेंगे समझदार बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया का मामला

 शिक्षा के मंदिर में सोती संवेदनाएँ, सो रहे शिक्षक रो रहा बच्चो का भविष्य जब बच्चो की नींव ही अच्छी नहीं होगी तो बच्चे कैसे बनेंगे समझदार बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया का मामला कटनी |  शिक्षा किसी भी समाज का सबसे मजबूत स्तंभ है। यह वह आधार है जिस पर राष्ट्र की नींव खड़ी होती है, लेकिन कटनी जिले के बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया से जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने शिक्षा की पवित्रता और शिक्षक की गरिमा दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।विद्यालय, जिसे ‘ज्ञान का मंदिर’ कहा जाता है, वहाँ बच्चों को दिशा देने वाले शिक्षक स्वयं गहरी नींद में सोए मिले।कुछ ने बाकायदा बिस्तर बिछा लिया था, तो कुछ मोबाइल स्क्रीन पर डूबे हुए थे। और सबसे हैरानी की बात यह रही कि प्राचार्य महोदय भी कक्षा के समय खर्राटे भरते नज़र आए। यह दृश्य केवल शर्मनाक ही नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की आत्मा को झकझोर देने वाला है। *जब गुरु ही सो जाए तो शिष्य किससे सीखे?* हमारी परंपरा में गुरु को देवता का स्...

बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया, ग्राम पंचायत भमका के रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का निधन एक संवेदनशील श्रद्धांजलि

 बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया, ग्राम पंचायत भमका के रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का निधन एक संवेदनशील श्रद्धांजलि ढीमरखेड़ा |  जीवन और मृत्यु का रिश्ता ऐसा है जिसे कोई भी बदल नहीं सकता। जन्म लेना और फिर इस संसार को छोड़कर चले जाना, प्रकृति का अटल नियम है। लेकिन जब यह क्षण हमारे अपने किसी प्रियजन के साथ आता है, तब यह एक गहरी चोट की तरह दिल को भेद जाता है। ग्राम पंचायत भमका में पदस्थ रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का गंभीर बीमारी के उपचार के दौरान निधन इस सच्चाई का ताजा उदाहरण है, जिसने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया। कुछ महीनों पहले उन्हें अचानक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां शुरू हुईं। शुरुआत में इसे सामान्य कमजोरी समझा गया, लेकिन जब स्थिति बिगड़ती गई, तो परिवार ने उन्हें बड़े अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने गंभीर बीमारी की पुष्टि की, जिसके बाद इलाज का लंबा दौर शुरू हुआ। बीमारी के दौरान भी उन्होंने मानसिक रूप से हार नहीं मानी। अस्पताल में रहते हुए भी वे पंचायत के काम और लोगों के हालचाल के बारे में पूछते थे। परिवारजन और मित्र उन...

शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने दबंगता के साथ पैकारी का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर कार चढ़ाई , रौंदा घायल नागरिकों ने आंदोलन तेज किया कहा - सभी गुर्गों सहित सरगना पर संगीन धाराओं में केस दर्ज करो पुलिस- प्रशासन के पसीने छूटे , कारण बेईमान अफसरों के पैसे से चलते हैं शराब ठेके तो मंचू उनका अज़ीज़ है

 शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने दबंगता के साथ पैकारी का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर कार चढ़ाई , रौंदा घायल नागरिकों ने आंदोलन तेज किया कहा - सभी गुर्गों सहित सरगना पर संगीन धाराओं में केस दर्ज करो पुलिस- प्रशासन के पसीने छूटे , कारण  बेईमान  अफसरों के पैसे से चलते हैं शराब ठेके तो मंचू उनका अज़ीज़ है  कटनी ।  स्लीमनाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम संसारपुर में  अवैध पैकारियों का विरोध करने वाले ग्रामीणों के ऊपर शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने अपनी कार चढ़ाकर उन्हें घायल कर दिया और चला भी गया l  घटना मंगलवार देर रात को हुई और दो दिन बाद तक पुलिस और प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है कि  ठेकेदार  मंचू की दबंगई के खिलाफ चूँ भी कर सके l कारण यही चर्चित है कि कटनी सहित एमपी के अधिकांश जिलों में महाभृष्ट पुलिस और आबकारी अधिकारियों की हराम की पूंजी शराब के ठेकों में लगती है और गुंडे मवाली टाइप के लोग ठेके चलाते हैं, मारपीट उपद्रव का तांडव मचाते हैं पुलिस की हिम्मत नहीं होती कि उनकी गुंडई को रोक सके । कुछ दिन पहले कटनी में शराब ठेकेदार एंड गैंग ने मिशन चौक पर कार सवार...