सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

*खरी-अखरी*(सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) *भाजपा के शैतान बच्चे की गलतियों पर पर्दा डालने की कवायद से ज्यादा नहीं है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बयानबाजी*

 *खरी-अखरी*(सवाल उठाते हैं पालकी नहीं) 


*भाजपा के शैतान बच्चे की गलतियों पर पर्दा डालने की कवायद से ज्यादा नहीं है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बयानबाजी*



*2024 के लोकसभा चुनाव में 400 पार के उडनखटोले में सवार भारतीय जनता पार्टी 240 पर क्या सिमटी गैर तो गैर अपने भी आंखें तरेरने लगे हैं। पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा को कटघरे में खड़ा कर नसीहत दी तो चार दिन बाद संघ से जुड़े इंद्रेश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी। जिससे लोगों के बीच यह संदेश गया कि भाजपा का पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा से नाराज है। इसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की इस बात से भी जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें नड्डा ने कहा था कि अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है, भाजपा अब अपने फैसले लेने में सक्षम हो गई है। चुनाव परिणाम जब भाजपा के मनमुताबिक नहीं आये तो यह कहा जाने लगा कि संघ के लोगों ने भाजपा के लिए मन लगाकर प्रचार नहीं किया। संघ भाजपा के लिए समर्पित हो कर चुनाव प्रचार ना करें असंभव है।*


*आरएसएस और भाजपा के बीच चोली-दामन सा नाता है या यूं कहें कि आरएसएस और भाजपा दो शरीर एक जान हैं । तो यह कहना कि संघ भाजपा से नाराज है अकल्पनीय है। हां वह कुछ हद तक नरेन्द्र मोदी, अमित शाह से नाराज हो सकता है पर इतना भी नहीं कि वह उन्हें सत्ता से बाहर करने की साजिश रचने लगे । संघ अपनी विचारधारा के जिन कामों को अटल बिहारी वाजपेयी - लालकृष्ण आडवाणी की सरकार से नहीं करा पाया उन कामों को उसने नरेन्द्र मोदी - अमित शाह की सरकार के जरिए पूरा करा लिया है। 2024 के चुनाव में भी 2014, 2019 के चुनाव की तरह भाजपा और संघ ने मिलकर एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था 400 पार पहुंचने के लिए। मगर चूंकि इस बार राजनीतिक पार्टियों से ज्यादा जनता चुनाव लड़ रही थी। ओवरकांफीडेंस के कारण भाजपा और संघ इसी बात का अंदाजा लगाने में चूक गए। नतीजा सबके सामने है।*


*स्वाभाविक है कि लड़का और वह भी खासतौर पर बिगड़ैल लड़का जब बाहर कोई गलती करके आता है तो माता-पिता, दादा-दादी उसकी गलती को ढकने के लिए सामने आ जाते हैं। अपने लड़के को भला बुरा कहने लगते हैं ताकि लोगों को ये लगे कि घर के बुजुर्ग खुद लड़के की हरकतों से हलाकान हैं, भले ही भीतर लड़के से पूछें कि बता आज कितना माल हड़प कर लाया है। ठीक वैसे ही बिगड़ैल लड़का नरेन्द्र मोदी की गलतियों पर पर्दा डालने के लिए घर के बुजुर्ग मोहन भागवत, इंद्रेश कुमार मोर्चा सम्हालने बाहर आ गए हैं। जिससे लोगों को लगने लगा है कि संघ भाजपा से नाराज है। भाजपा अब तो गई। देशवासियों को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए।*


*सोचिए अगर भाजपा सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 सीटों पर जीत जाती तो क्या मोहन भागवत हों या फिर इंद्रेश कुमार यह सब कुछ कहते जो आज भाजपा के बहुमत से दूर रह जाने पर कह रहे हैं। नरेन्द्र मोदी ने साम्प्रदायिकता के हलाहल से बुझे तीर कोई 2024 में पहली बार तो चलाये नहीं है उनने तो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इन्हीं तीरों का उपयोग किया था या यूं भी कह सकते हैं कि वे तो चुनाव दर चुनाव (लोकसभा - विधानसभा) यही करते रहे हैं, तब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मुंह क्यों नहीं खोला था। मणिपुर को तो सालभर से ज्यादा हो गये नस्लीय हिंसा में झुलसते हुए। जिस बात को मोहन भागवत ने चुनाव परिणाम आने के बाद बोला वही बात उन्होंने चुनाव के दौरान क्यों नहीं बोली। महिलाओं, बालिकाओं पर यौनाचार तो 2014 से हो रहा है, चुनाव के दौरान ही कर्नाटक से प्रज्जवल रेवन्ना का सैकड़ों महिलाओं के साथ किया गया सैक्स स्कैंडल सामने आया जिसके लिए नरेन्द्र मोदी वोट मांग रहे थे तब मोहन भागवत किस गुफा में ध्यान मग्न थे। दिल्ली में महिला पहलवानों पर मोदी सरकार द्वारा की गई ज्यादतियों पर तो एक शब्द भी नहीं बोला था मोहन भागवत ने।*


*मोदी सरकार ने जब संसद से सैकड़ा भर विपक्षी सांसदों को बाहर करवा दिया था तब भागवत ने क्यों नहीं कहा कि लोकतांत्रिक मर्यादा का पालन करते हुए उनकी बात सुनी जानी चाहिए। मंहगाई, बेरोजगारी, भृष्टाचारियों का शुध्दीकरण अभियान भाजपा में शामिल करके, नवयुवकों के भविष्य से खिलवाड़ की जाने वाली योजना अग्निवीर के संबंध में तो मोहन मुंह में दही भरे बैठे रहे, तब मोदी, शाह, भाजपा को नैतिक शुचिता का पाठ क्यों नहीं पढाया गया संघ प्रमुख द्वारा। इंद्रेश कुमार जो कि आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के साथ ही मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक हैं, संघ के वरिष्ठ प्रचारक भी रह चुके हैं। आप मुसलमानों को संघ की विचारधारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं। 2014 बल्कि 2002 से नरेन्द्र मोदी मुसलमानों के खिलाफ नफरती बीज बोते चले आ रहे हैं खासतौर पर 2024 के लोकसभा चुनाव में तो नरेन्द्र मोदी ने मुसलमानों के बारे में नफरती बयानों की झड़ी लगाते हुए मर्यादाओं की सारी सीमा लांघ दी थी तब इंद्रेश कुमार ने मोदी को क्यों नहीं रोका। भगवान राम को कमतर आंकने के लिए जब यह नारा गढा गया कि "जो राम को लाये हैं हम उनको लायेंगे" तब ये राम के पैरोकार कहां वनवास काट रहे थे और आज भी जब इंद्रेश बोल रहे हैं तो खुद भी लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले शब्दों का उपयोग कर रहे हैं। एक तरफ तो वो राम की भक्ति करने वाली पार्टी को अहंकारी बताते हैं वहीं सत्ता में आने पर उसकी पीठ भी थपथपाते हैं दूसरी तरफ सत्ता से बाहर रहने वालों को राम विरोधी कहते हैं। जैसे राम ने इनको भक्त होने वालों को सर्टिफिकेट बांटने का ठेका दे दिया हो। मोदी तो तब भी अहंकारी थे जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और आज भी अहंकारी हैं जब वे भारत के प्रधानमंत्री हैं।*


*संघ प्रमुख मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार द्वारा भाजपा के खिलाफ कही गई बातों से यह सोचना सबसे बड़ी भूल होगी कि संघ और भाजपा के बीच भितरखाने ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा के 240 पर सिमट जाने से आरएसएस की साख को भी धक्का लगा है और अब सारी कवायद संघ की साख को बचाने के लिए ही की जा रही है। 2015 में मोदी ने जिस तरीके से संघ को हासिये पर डाल दिया था उससे निकलने के लिए प्रेसर की राजनीतिक चाल चली जा रही है। सारी कहानी इसलिए गढी जा रही है जिससे घर के भीतर छाई मायूसी, पसरे मातम वाले माहौल को कम किया जा सके। कार्यकर्ताओं के गिरे हुए मनोबल को उभारा जा सके। मोदी के द्वारा खराब कर दिए गए देश के माहौल को सम्हालने के लिए ही संघ ने मोर्चा सम्हाला है। संघ के मुखपत्र पांचजन्य (हिन्दी) और आर्गनाइजर (अंग्रेजी) ने भले ही भाजपा के परफार्मेंस पर "लोकसभा चुनाव - 2024/एनडीए : सबक है और सफलता भी" शीर्षक से आलोचनात्मक लेख छापा हो मगर सब कुछ लोगों को वास्तविकता से गुमराह करने के लिए ही है। राजनीतिक विश्लेषकों का तो यह भी मानना है कि कि इस कवायद के पीछे चुनाव आयोग द्वारा भाजपा को जिताने के लिए की गई कलाबाजी से भी ध्यान भटकाने की भी कोशिश है।*

*भाजपा को 240 तक पहुंचाने में मीडिया, सरकारी सिस्टम ने भी पूरी तन्मयता के साथ अपना योगदान दिया है। यह भी कहा जा सकता है कि संघ की यह उछलकूद इंडिया एलायंस के उभार को कमतर दिखाने की कोशिश है। मामला भाजपा बनाम इंडिया एलायंस भर न रहे बल्कि बनाम आरएसएस भी हो जाय। हो सकता है जल्द ही नीट को लेकर भी संघ के किसी पदाधिकारी का बयान सामने आ जाय। नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेने के बाद अपने नेताओं को गलत बयानबाजी देने से दूर रहने की सलाह दी है मगर सवाल यह है कि नरेन्द्र मोदी को गलत बयानबाजी से दूर रहने की सलाह कौन देगा। कौन कहेगा कि राजा नंगा है।*


*खबर है कि आरएसएस और संघ के बीच 3 दिवसीय समन्वय बैठक का आयोजन आगामी 31 जुलाई से 02 अगस्त के बीच केरल के पलक्कड़ में किया जा रहा है। जिसमें भाजपा के चुनावी परफार्मेंस पर चर्चा होगी। मगर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक में भाजपा किस तरह से बहुमत के आंकड़े तक पहुंच सकती है इस पर भी विचार होगा साथ ही इस पर भी विचार किया जा सकता है कि यदि भाजपा बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने में असफल रहती है तो कैसे एनडीए के सहयोगियों और इंडिया एलायंस पर ठीकरा फोड़कर मध्यावधि चुनाव की चौसर बिछाई जाए और चुनाव के जरिए बहुमत लाकर सरकार बनाई जाय।*


*अश्वनी बडगैया अधिवक्ता* 

_स्वतंत्र पत्रकार_

टिप्पणियाँ

popular post

शिक्षा के मंदिर में सोती संवेदनाएँ, सो रहे शिक्षक रो रहा बच्चो का भविष्य जब बच्चो की नींव ही अच्छी नहीं होगी तो बच्चे कैसे बनेंगे समझदार बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया का मामला

 शिक्षा के मंदिर में सोती संवेदनाएँ, सो रहे शिक्षक रो रहा बच्चो का भविष्य जब बच्चो की नींव ही अच्छी नहीं होगी तो बच्चे कैसे बनेंगे समझदार बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया का मामला कटनी |  शिक्षा किसी भी समाज का सबसे मजबूत स्तंभ है। यह वह आधार है जिस पर राष्ट्र की नींव खड़ी होती है, लेकिन कटनी जिले के बहोरीबंद जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय ए.एल. राय हायर सेकेंडरी स्कूल बचैया से जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने शिक्षा की पवित्रता और शिक्षक की गरिमा दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।विद्यालय, जिसे ‘ज्ञान का मंदिर’ कहा जाता है, वहाँ बच्चों को दिशा देने वाले शिक्षक स्वयं गहरी नींद में सोए मिले।कुछ ने बाकायदा बिस्तर बिछा लिया था, तो कुछ मोबाइल स्क्रीन पर डूबे हुए थे। और सबसे हैरानी की बात यह रही कि प्राचार्य महोदय भी कक्षा के समय खर्राटे भरते नज़र आए। यह दृश्य केवल शर्मनाक ही नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की आत्मा को झकझोर देने वाला है। *जब गुरु ही सो जाए तो शिष्य किससे सीखे?* हमारी परंपरा में गुरु को देवता का स्...

बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया, ग्राम पंचायत भमका के रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का निधन एक संवेदनशील श्रद्धांजलि

 बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया, ग्राम पंचायत भमका के रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का निधन एक संवेदनशील श्रद्धांजलि ढीमरखेड़ा |  जीवन और मृत्यु का रिश्ता ऐसा है जिसे कोई भी बदल नहीं सकता। जन्म लेना और फिर इस संसार को छोड़कर चले जाना, प्रकृति का अटल नियम है। लेकिन जब यह क्षण हमारे अपने किसी प्रियजन के साथ आता है, तब यह एक गहरी चोट की तरह दिल को भेद जाता है। ग्राम पंचायत भमका में पदस्थ रोजगार सहायक श्रीकांत रावते का गंभीर बीमारी के उपचार के दौरान निधन इस सच्चाई का ताजा उदाहरण है, जिसने पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया। कुछ महीनों पहले उन्हें अचानक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां शुरू हुईं। शुरुआत में इसे सामान्य कमजोरी समझा गया, लेकिन जब स्थिति बिगड़ती गई, तो परिवार ने उन्हें बड़े अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने गंभीर बीमारी की पुष्टि की, जिसके बाद इलाज का लंबा दौर शुरू हुआ। बीमारी के दौरान भी उन्होंने मानसिक रूप से हार नहीं मानी। अस्पताल में रहते हुए भी वे पंचायत के काम और लोगों के हालचाल के बारे में पूछते थे। परिवारजन और मित्र उन...

शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने दबंगता के साथ पैकारी का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर कार चढ़ाई , रौंदा घायल नागरिकों ने आंदोलन तेज किया कहा - सभी गुर्गों सहित सरगना पर संगीन धाराओं में केस दर्ज करो पुलिस- प्रशासन के पसीने छूटे , कारण बेईमान अफसरों के पैसे से चलते हैं शराब ठेके तो मंचू उनका अज़ीज़ है

 शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने दबंगता के साथ पैकारी का विरोध करने वाले ग्रामीणों पर कार चढ़ाई , रौंदा घायल नागरिकों ने आंदोलन तेज किया कहा - सभी गुर्गों सहित सरगना पर संगीन धाराओं में केस दर्ज करो पुलिस- प्रशासन के पसीने छूटे , कारण  बेईमान  अफसरों के पैसे से चलते हैं शराब ठेके तो मंचू उनका अज़ीज़ है  कटनी ।  स्लीमनाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम संसारपुर में  अवैध पैकारियों का विरोध करने वाले ग्रामीणों के ऊपर शराब ठेकेदार मंचू असाटी ने अपनी कार चढ़ाकर उन्हें घायल कर दिया और चला भी गया l  घटना मंगलवार देर रात को हुई और दो दिन बाद तक पुलिस और प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है कि  ठेकेदार  मंचू की दबंगई के खिलाफ चूँ भी कर सके l कारण यही चर्चित है कि कटनी सहित एमपी के अधिकांश जिलों में महाभृष्ट पुलिस और आबकारी अधिकारियों की हराम की पूंजी शराब के ठेकों में लगती है और गुंडे मवाली टाइप के लोग ठेके चलाते हैं, मारपीट उपद्रव का तांडव मचाते हैं पुलिस की हिम्मत नहीं होती कि उनकी गुंडई को रोक सके । कुछ दिन पहले कटनी में शराब ठेकेदार एंड गैंग ने मिशन चौक पर कार सवार...