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पुलिस के जन- कलेवा ऑपरेशन के शिकार हुए न्याय मांग रहे ग्रामीण और पत्रकार, अवैध कब्जे के खिलाफ आवाज उठाती जनता पर भारी पड़ा पुलिस की तीव्र गालियों का शोर

 पुलिस के जन- कलेवा ऑपरेशन के शिकार हुए न्याय मांग रहे ग्रामीण और पत्रकार, अवैध कब्जे के खिलाफ आवाज उठाती जनता पर भारी पड़ा पुलिस की तीव्र गालियों का शोर



 कटनी ।  खोखली तारीफों के मैजेजमेंट में माहिर एसपी अभिजीत रंजन के प्रोत्साहन से उनका अधीनस्थ पुलिस स्टॉफ इन दिनों जन-कलेवा अभियान निडरता से पूरे जिले में चला रहा है, ठीक उसी तरह जैसे ट्रिपल-एस (सट्टा-शराब-शबाब) के गोरखधंधे ने जन-सेवा के मायने ध्वस्त कर दिए थे। अब जनसेवा आरक्षी केन्द्रों में प्रोफेशनल थानेदारों ने जन-कलेवा अभियान सख्ती से शुरू किया है, जिससे सभ्य नागरिकों में हडक़ंप मचा है। जनता की बेइज्जती करने का नया अध्याय ग्राम कन्हवारा में पुलिस ने लिखा है l जहां के आम देहाती नागरिकों के विरोध प्रदर्शन को पुलिस ने सफलतापूर्वक कुचलते हुए उनके वस्त्र पकड़कर गालियां देकर धरने से उठाया जिससे उनके कपड़े फट गए और इसकी वीडियो रिकार्डिग कर  रहे पत्रकार का हाथ पकडक़र उमेठ दिया गया। पुलिस प्रभावशाली अतिक्रामकों के पक्ष में अपनी ताकत का दुरूपयोग करते हुए जन-कलेवा अभियान चला रही थी l शिकायतें एसपी को दी गई, जिसे न कोई पढ़ेगा, न समझेगा। कुठला थाना के कन्हवारा गांव में सार्वजनिक मेला मैदान और सरकारी अस्पताल की मूल्यवान जमीन पर प्रभावशाली सफेदपोश अवैध कब्जा कर रहे हैं। जमीन पर फेंसिंग लगाकर बाऊंड्री तैयार है, बस निर्माण करना बाकी है। राजस्व विभाग का मौन समर्थन अतिक्रामकों को मिला है। अवैध कब्जा हटाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने सडक़ पर धरना दे दिया।

प्रजातांत्रिक विधि के अनुसार किसी जिम्मेदार प्रशासनिक दूत को अनशनकारियों से बात कर उनकी मांग पर विधिसम्मत कार्यवाही करके समस्या का हल कराने का भरोसा दिलाकर अनशन खत्म किया जा सकता था। लेकिन इससे सफेदपोशों के कुप्रयासों को नुकसान पहुंचता इसलिए पुलिस से दमनकारी कार्यवाही कराई गई। कुठला पुलिस पहुंची, धरने पर बैठे चन्द निर्धन लोगों की कालर-कमीज पकडक़र उठाया। साथ में अपशब्दों की बौछार से उन्हे अपमानित कर डाला।

*मीडियाकर्मी पर पुलिस बल का प्रयोग*

पुलिस की अभद्रता का वीडियो बना रहे पत्रकार महेन्द्र सोनी का हाथ मरोडक़र पुलिस  ने मोबाईल छीनने का प्रयास किया औैर वीडियोग्राफी रोकने में अपनी बल का प्रयोग किया। पत्रकार श्री सोनी ने आरक्षक सतेन्द्र सिंह और बालकिशन तिवारी की नामजद शिकायत एसपी को देकर कार्यवाही की मांग की है।

*प्रदर्शकारियों ने भी शिकायत दी*

प्रदर्शनकारी ग्रामीणोंं की तरफ से जियालाल कुशवाहा ने भी एसपी रंजन को पुलिसिया दुव्र्यवहार की शिकायत करते हुए आरोपी सिपाहियों पर कार्यवाही की मांग की है।

*गालियों का वीडियो वायरल, मगर जांच से एसपी न्यूट्रल*

पत्रकार और प्रदर्शनकारी जनता की दो-दो शिकायतों के साथ सोशल मीडिया पर कुठला पुलिस द्वारा गालियां देते हुए जनता को उठाने के वीडियो वायरल हुए। 48 घंटे बाद तक एसपी रंजन ने कोई कार्यवाही नहीं की है।

*कब तक चलेगा जनकलेवा अभियान*

चर्चित सवाल जनता में उठा है कि जिले में पुलिस का जनकलेवा अभियान कब तक चलता रहेगा। महिला थानेदार फरियादियों को अपमानित कर थाने से भगाती हैं। कर्जदारों की सुरक्षा-सेवा पुलिस करती है। नई बस्ती में बमबाजी करने वालों को खोजने में पुलिस के पसीने छूट जाते हैं। माधवनगर की चोरियों का सुराग लगाने में न तो सीएसपी का मार्गदर्शन मिल पाया, न एसपी का सफल नायकत्व मिल सका है। जनता एसपी आफिस में जाकर जहर खा रही है। यह सब जन-कलेवा नहीं है तो क्या जनसेवा मानी जाएगी। निश्चित रूप से जनकलेवा करवाने के लिए वे सभी प्रभावशाली भाजपा राजनेता जिम्मेदार हैं, जो व्यवस्था की दुर्गति करने वाले अफसरों की सेवा से गले-तक संतुष्ट हैं।

 *एसपी आफिस में आत्महत्या के प्रयास पर आयोग संज्ञान ले*

 जबलपुर एसपी आफिस में एक पीडि़त महिला ने पिछले दिनों आत्महत्या करने की काशिश की थी, इस महिला की शिकायत पर पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही थी। इस घटना की जानकारी मडिया से पाकर मप्र मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेकर एसपी से रिपोर्ट तलब की है। कटनी एसपी की अफसरशाला में भी चार दिन पहले एक फरियादी विकास पांडे ने चूहामार दवा खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। यह घटना भी पूरी तह जबलपुर की घटना से मेल खाती है, दोनों मामले की प्रवृत्ति भी एक समान है। कटनी जिला भी अपेक्षा कर रहा है कि-मानवाधिकार आयोग इस घटना पर संज्ञान लेकर प्रतिवेदन तलब करे। यह इसलिए भी अनिवार्य है कि एसपी अभिजीत रंजन की कार्यप्रणाली में जन शिकायतों के प्रति घोर उदासीनता का समावेश मिलता है। आज तक वे इस मामले की जांच नहीं करवा पाए कि-विकास पांडे को जहर खाने की हद तक विवश करने वाली विभागीय-गलती किसकी थी। यही नहीं, अबोध बालिका को बदनीयती से निरुद्ध करने की रिपोर्ट लिखाने गए परिवार को महिला थाना प्रभारी मधु पटेल ने दुत्कार कर भगाया था, जिसकी रिपोर्ट पर एसपी ने जांच का आश्वासन दिया था, जो टालमटोल जांच में पूरा नहीं हो पाया। आन्दोलन करने वाली जनता पर कुठला पुलिस द्वारा गालियां देने वाले वीडियो के वायरल होने की शिकायत पर भी एसपी की अफसरशाला से कोई जांच न होना, ताज्जुब है। जबकि ये सभी शिकायतें संविधान प्रदत्त मौलिक मानवाधिकारों के प्रत्यक्ष हनन से सम्बद्ध हैं।

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