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जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वहीं व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं

 जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वहीं व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं ढीमरखेड़ा |  सफलता की यात्रा आसान नहीं होती। यह एक ऐसी राह है जो धैर्य, मेहनत, समर्पण, आशा और आत्मविश्वास की नींव पर टिकी होती है। जीवन में कोई भी व्यक्ति तभी ऊंचे शिखरों को छू सकता है, जब उसके भीतर आशा की किरणें और आत्मविश्वास की जड़ें मजबूत हों। जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता और निरंतर प्रयास करता है, वही वास्तव में सफल कहलाने का अधिकारी बनता है। *आशा, जीवन की दिशा* आशा वह शक्ति है जो निराशा में भी संभावना तलाश लेती है। यह वह दीपक है जो अंधकार में भी रोशनी करता है। जब कोई व्यक्ति किसी कठिन समय से गुजरता है, तब आशा ही उसे सहारा देती है कि वह इस अंधेरे से बाहर निकल सकता है। उदाहरण के लिए, थॉमस एडीसन को ही लीजिए जब उन्होंने बिजली के बल्ब पर काम करना शुरू किया तो हजारों बार विफल हुए, लेकिन आशा ने उन्हें रोके रखा। उन्होंने कहा था "मैं असफल नहीं हुआ, मैंने 10,000 ऐसे तरीके खोजे जो काम नहीं करते थे।" आशा यह विश्वास दिलाती है कि परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, बदल सकती है। यह...

निखिल कुमार चौधरी, गांव के शासकीय स्कूल से 95.4% की उपलब्धि, बना क्षेत्र की प्रेरणा

 निखिल कुमार चौधरी, गांव के शासकीय स्कूल से 95.4% की उपलब्धि, बना क्षेत्र की प्रेरणा ढीमरखेड़ा |  गांवों से भी प्रतिभा कभी पीछे नहीं रहती। सुविधाओं की कमी भले हो, लेकिन यदि संकल्प मजबूत हो और परिवार व शिक्षकों का सहयोग हो, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। ऐसा ही एक नाम आज पूरे पोड़ी कला बी खिरवा गांव और आसपास के क्षेत्र में गर्व और प्रेरणा का प्रतीक बन गया है निखिल कुमार चौधरी, जिसने कक्षा 10 वीं की बोर्ड परीक्षा में 95.4% अंक हासिल करके न सिर्फ अपने परिवार और विद्यालय का नाम रोशन किया बल्कि यह साबित कर दिया कि मेहनत और लगन ही असली सफलता की कुंजी है। *पारिवारिक पृष्ठभूमि मेहनतकश माता-पिता की संतान* निखिल के पिता संतोष चौधरी एक साधारण किसान हैं। रोज़ सुबह खेतों में पसीना बहाकर वे अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। उनकी माता अनीता बाई चौधरी एक गृहिणी हैं, जिन्होंने बेटे की पढ़ाई के लिए हर संभव सहयोग किया। सीमित संसाधनों के बावजूद दोनों ने कभी भी निखिल के सपनों में कोई कमी नहीं आने दी। जब गांव के अन्य बच्चे ट्यूशन पढ़ने शहर जाते थे, तब निखिल घर पर ही पुस्तकें पढ़कर अपनी तैयारी करता था।...

ढीमरखेड़ा पुलिस की सतर्कता से टली अनहोनी, अवैध गुप्ती नुमा चाकू के साथ युवक गिरफ्तार

 ढीमरखेड़ा पुलिस की सतर्कता से टली अनहोनी, अवैध गुप्ती नुमा चाकू के साथ युवक गिरफ्तार ढीमरखेड़ा |  दिनांक 06 मई 2025 को थाना ढीमरखेड़ा पुलिस की चौकी सिलौड़ी ने एक महत्वपूर्ण कार्यवाही करते हुए समाज में संभावित खतरे को समय रहते टाल दिया। ग्राम गोपालपुर तिराहा, नंदू चौधरी के घर के सामने एक संदिग्ध युवक को अवैध गुप्ती नुमा धारदार चाकू के साथ खड़ा पाए जाने की मुखबिर द्वारा सूचना प्राप्त होने के बाद, पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मौके पर पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इस कार्यवाही से यह स्पष्ट होता है कि ढीमरखेड़ा पुलिस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के प्रति पूरी तरह सजग और प्रतिबद्ध है। थाना ढीमरखेड़ा अंतर्गत चौकी सिलौड़ी को एक विश्वसनीय मुखबिर से सूचना मिली कि ग्राम गोपालपुर तिराहा पर नंदू चौधरी के घर के सामने एक युवक अवैध रूप से गुप्ती नुमा धारदार चाकू लिए खड़ा है, तो पुलिस ने तुरंत कार्रवाई का निर्णय लिया। इस सूचना को हल्के में न लेते हुए थाना प्रभारी निरीक्षक मोहम्मद शाहिद के नेतृत्व में एक टीम तत्काल मौके पर रवाना की गई। टीम में उपनिरीक्षक विष्णुशंकर जायसवाल, प्रधान ...

अगर आपके पास हौसला है, मेहनत करने का जज्बा है, और अपने सपनों पर भरोसा है तो रास्ता खुद- ब- खुद बन जाता है, संघर्ष से सफलता तक शिवानी पांचाल की कहानी हर बेटी के लिए एक प्रेरणा

 अगर आपके पास हौसला है, मेहनत करने का जज्बा है, और अपने सपनों पर भरोसा है तो रास्ता खुद- ब- खुद बन जाता है, संघर्ष से सफलता तक शिवानी पांचाल की कहानी हर बेटी के लिए एक प्रेरणा ढीमरखेड़ा |  हरियाणा के एक छोटे से गांव भोड़वाल माजरी की बेटी शिवानी पांचाल ने UPSC 2024 में ऑल इंडिया रैंक 53 प्राप्त कर एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने न केवल अपने गांव और जिले, बल्कि पूरे हरियाणा और देश का नाम रोशन किया है। यह उपलब्धि केवल एक शैक्षणिक सफलता नहीं है, बल्कि एक सामाजिक प्रेरणा है जो दिखाती है कि सच्ची मेहनत, समर्पण और स्पष्ट लक्ष्य के साथ कोई भी बाधा पार की जा सकती है। शिवानी का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के भोड़वाल माजरी गांव में हुआ था। जब वह मात्र 4 वर्ष की थीं, तब उनके पिता दिलबाग सिंह का एक सड़क हादसे में निधन हो गया। यह हादसा उनके जीवन की दिशा ही बदल गया। इतनी कम उम्र में पिता को खो देना किसी भी बच्चे के लिए गहरा आघात होता है। लेकिन यहीं से उनके संघर्ष की कहानी शुरू होती है। *मां सविता देवी एक सशक्त स्त्री की भूमिका* शिवानी की मां सविता देवी एक आंगनवाड़ी वर्कर हैं। पति की असमय मृत...

शिवानी पटैल, एक प्रेरणादायक कहानी परिश्रम, लगन और सफलता का संगम

 शिवानी पटैल, एक प्रेरणादायक कहानी परिश्रम, लगन और सफलता का संगम ढीमरखेड़ा |  सफलता किसी विशेष वर्ग, स्थान या परिस्थिति की मोहताज नहीं होती, बल्कि यह उस साधना का प्रतिफल है जो व्यक्ति निरंतरता, समर्पण और आत्मविश्वास के साथ करता है। इसी भावना को चरितार्थ किया है उमरियापान के सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की मेधावी छात्रा शिवानी पटैल ने।शिवानी ने कक्षा दसवीं में 95% अंक अर्जित कर अपने विद्यालय, अपने माता-पिता और सम्पूर्ण क्षेत्र का नाम रोशन किया है। यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है, बल्कि क्षेत्र के अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई है। *पारिवारिक पृष्ठभूमि संस्कारों और सेवा की छाया में पला-बढ़ा जीवन* शिवानी पटैल का जन्म एक सामाजिक रूप से सक्रिय और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। वह बनेहरी ग्राम निवासी समाजसेवी श्री पारस पटैल और जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती दुर्गा पटैल की पुत्री हैं। उनका परिवार सामाजिक सेवा, शिक्षा के प्रति समर्पण और ग्रामीण विकास के कार्यों में हमेशा अग्रणी रहा है। शिवानी को बचपन से ही एक ऐसा परिवेश मिला जहाँ शिक्षा को सर्वोपरि मानते हु...

अलविदा पत्रकारिता, राहुल पाण्डेय का आत्ममंथन और विदाई का निर्णय

 अलविदा पत्रकारिता, राहुल पाण्डेय का आत्ममंथन और विदाई का निर्णय ढीमरखेड़ा |  पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है जो केवल समाचारों को संप्रेषित करने का कार्य नहीं करता, बल्कि वह समाज की आत्मा को आवाज़ देता है। वह जनता और सत्ता के बीच की वह कड़ी है, जो न सिर्फ सवाल उठाती है, बल्कि जवाब मांगती है। और जब इसी पत्रकारिता को जीवंत करने वाला कोई पत्रकार, विशेष रूप से एक ऐसा संपादक जो सच्चाई की मिसाल बन गया हो जब वह इस पेशे को छोड़ने का मन बनाता है तो यह केवल एक व्यक्ति का फैसला नहीं होता, बल्कि यह समाज के सामने कई प्रश्न खड़े कर देता है। ‘दैनिक ताज़ा खबर’ के प्रधान संपादक राहुल पाण्डेय ने पत्रकारिता से संन्यास लेने का जो निर्णय लिया है, वह सिर्फ एक व्यक्तिगत संघर्ष की कहानी नहीं है, बल्कि यह मौजूदा पत्रकारिता जगत में व्याप्त पीड़ा की परतों को भी उजागर करता है। राहुल पाण्डेय का नाम जब लिया जाता है, तो साथ में ईमानदारी, निर्भीकता और जनपक्षधर पत्रकारिता की तस्वीर भी उभरती है। वर्षों से उन्होंने 'दैनिक ताज़ा खबर' के माध्यम से ग्रामीण भारत की अनकही कहानियों, गरीबों के संघर्ष, स्थानीय राजनीति की सच्...

समाज सुधार करते - करते नेता अपना जीवन दूसरी स्त्रियों से संबंध रखते हुए सुधारने लगते हैं यह कैसी नेतागिरी, राजनैतिक संरक्षण का उठाते हैं फायदा, जब नेता का अपना घर नहीं संभलता, तो समाज कैसे सुधरेगा

 समाज सुधार करते - करते नेता अपना जीवन दूसरी स्त्रियों से संबंध रखते हुए सुधारने लगते हैं यह कैसी नेतागिरी, राजनैतिक संरक्षण का उठाते हैं फायदा, जब नेता का अपना घर नहीं संभलता, तो समाज कैसे सुधरेगा ढीमरखेड़ा |  राजनीति को एक ऐसा माध्यम माना जाता है जिसके द्वारा जनता की सेवा की जाती है, समाज के विकास के लिए निर्णय लिए जाते हैं और जनता के दुख - दर्द को समझकर उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है। लेकिन जब वही राजनेता अपने व्यक्तिगत जीवन में विफल रहता है, अपने घर की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाता, तो प्रश्न उठना स्वाभाविक है क्या ऐसा व्यक्ति समाज को दिशा दे सकता है? *राजनैतिक संरक्षण और उसका दुरुपयोग* आज के समय में कई राजनेता अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल निजी लाभ और गलत कार्यों को छिपाने के लिए करते हैं। उन्हें जो संरक्षण शासन, दल या सत्ता से प्राप्त होता है, वह न केवल उनके राजनीतिक जीवन को सुरक्षित करता है बल्कि निजी जीवन की असफलताओं और अनैतिक आचरणों को भी ढक देता है। जब किसी नेता की पत्नी मायके चली जाती है और वर्षों तक वापस नहीं लौटती, तब यह एक पारिवारिक मामला नहीं रह जाता। यदि...