विधिक साक्षरता शिविर में जल संरक्षण पर जागरूकता प्रिंटिंग गतिविधि ने खींचा विद्यार्थियों का ध्यान
ढीमरखेड़ा | मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशों के पालन में जिले में विभिन्न स्तरों पर विधिक जागरूकता कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में अध्यक्ष, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेन्द्र कुमार शर्मा के दिशा – निर्देशन तथा न्यायाधीश पूर्वी तिवारी के मार्गदर्शन में मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल, ढीमरखेड़ा में एक महत्वपूर्ण विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में विधिक जागरूकता बढ़ाने के साथ–साथ सामाजिक विषय जल संरक्षण को रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत करना था। शिविर का शुभारंभ विद्यालय प्रबंधन, शिक्षकों और विधिक सेवा प्राधिकरण प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया गया। न्यायाधीश पूर्वी तिवारी ने कार्यक्रम के उद्देश्य बताते हुए कहा कि विधिक साक्षरता केवल कानूनों की जानकारी भर नहीं है, बल्कि यह नागरिकों को उनके अधिकारों, कर्तव्यों और समाज के प्रति जिम्मेदारियों का बोध कराना भी है। उन्होंने कहा कि आज जल संरक्षण जैसे मुद्दे पर युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए उन्हें स्कूल स्तर पर ही जागरूक करना आवश्यक है ।
*जल संरक्षण पर प्रिंटिंग गतिविधि रचनात्मकता का अनोखा माध्यम*
शिविर का मुख्य आकर्षण रहा ‘जल संरक्षण प्रिंटिंग गतिविधि’, जिसमें विद्यार्थियों को पोस्टर, कार्ड, पेंटिंग और क्रिएटिव प्रिंट तैयार करने के लिए प्रेरित किया गया। इस अभिनव पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों को जल संरक्षण के महत्व को समझाने के साथ – साथ यह दिखाना था कि कैसे कला और रचनात्मकता का उपयोग सामाजिक संदेश प्रसारित करने के लिए किया जा सकता है। विद्यार्थियों ने जल संकट, वर्षा जल संरक्षण, नदियों के बचाव और दैनिक जीवन में जल – संचयन के उपायों को रंगों और शब्दों के माध्यम से प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। कई विद्यार्थियों ने पोस्टर में ‘जल है तो कल है’, ‘हर बूंद की कीमत समझें’, ‘जल बचाओ जीवन बचाओ’, ‘वर्षा जल के संचयन से बढ़ेगा भू – जल’, जैसे प्रभावी संदेश शामिल किए।
*न्यायाधीश पूर्वी तिवारी का मार्गदर्शन*
अपने संबोधन में न्यायाधीश पूर्वी तिवारी ने कहा कि जल संकट आज वैश्विक मुद्दा बन चुका है और भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में इसकी चुनौती और भी गंभीर है। उन्होंने बताया कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 51A (ग) के अनुसार पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है।
उन्होंने विद्यार्थियों को सरल भाषा में समझाया कि जल का अत्यधिक दोहन भू – जल स्तर को तेजी से गिराता है, वर्षा जल का संचयन न केवल जल संरक्षण का माध्यम है बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित निवेश भी है, घर, विद्यालय, खेत और समुदाय स्तर पर छोटे – छोटे कदम जल संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं ।

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