मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) संदेह के घेरे में बॉन्ड के तहत कार्यरत डॉक्टरों का चार माह से अटका वेतन, लापरवाही से बढ़ी परेशानी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) संदेह के घेरे में बॉन्ड के तहत कार्यरत डॉक्टरों का चार माह से अटका वेतन, लापरवाही से बढ़ी परेशानी
कटनी । जिले के स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। बॉन्ड (एग्रीमेंट) के तहत कार्यरत डॉक्टरों को पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। यह वही डॉक्टर हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर सेवाएं दे रहे हैं गांव-गांव जाकर मरीजों की जांच करना, टीकाकरण अभियान चलाना, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं का संचालन करना, अस्पतालों की निगरानी और आपात स्थितियों में 24 घंटे ड्यूटी निभाना लेकिन फिर भी इन्हें अपने परिश्रम का उचित पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा। विभागीय लापरवाही के कारण ये डॉक्टर आज आर्थिक संकट में घिर चुके हैं।
*वेतन न मिलने से डॉक्टरों में बढ़ा आक्रोश*
ब्लॉक स्तर पर तैनात कई डॉक्टरों ने बताया कि वे लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन चार महीनों से उनके खातों में एक रुपया तक नहीं आया है। कई डॉक्टरों को अपने परिवार के खर्च, बच्चों की फीस और दवाइयों के लिए उधार लेना पड़ रहा है। इनका कहना है कि वे सरकार द्वारा तय बॉन्डिंग व्यवस्था के तहत कार्यरत हैं, फिर भी उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा, जिससे मानसिक और आर्थिक दोनों तरह की परेशानी बढ़ गई है। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि “हम अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार हैं, लेकिन हमारी ईमानदारी का यह परिणाम मिलना बेहद दुखद है।”
*भुगतान के नाम पर रिश्वतखोरी के आरोप*
सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग के कुछ जिम्मेदार अधिकारी “आईडी अपडेट” या “ड्राफ्ट शेड्यूल” के नाम पर डॉक्टरों से पैसों की मांग कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक नैतिकता पर प्रश्न उठाती है बल्कि सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। यदि यह आरोप सत्य हैं, तो यह बेहद गंभीर मामला है और स्वास्थ्य जैसी संवेदनशील व्यवस्था पर कलंक है। बॉन्डेड डॉक्टरों से रिश्वत मांगना न केवल कानूनन अपराध है बल्कि उन युवाओं के मनोबल को भी तोड़ता है, जिन्होंने सरकारी सेवा के माध्यम से समाज की सेवा करने का संकल्प लिया है।
*स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने का खतरा*
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि डॉक्टरों को समय पर वेतन नहीं मिला, तो इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात डॉक्टर स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ होते हैं। वे न केवल जनस्वास्थ्य कार्यक्रमों की निगरानी करते हैं बल्कि आपात बीमारियों, महामारी नियंत्रण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में उनका मनोबल टूटना या सेवा से असंतोष बढ़ना जिले की स्वास्थ्य प्रणाली को कमजोर कर सकता है।
*शासन और प्रशासन को लेना होगा संज्ञान*
इस पूरे मामले को लेकर सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी चिंता जताई है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री, जिला कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि जो डॉक्टर निष्ठा और ईमानदारी से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें समय पर वेतन मिलना चाहिए। वहीं जो अपने कर्तव्यों की अवहेलना करते हैं या लापरवाही दिखाते हैं, उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए। मेहनती और ईमानदार डॉक्टरों को परेशान करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।

Katni ke doctor bhut pareshan h
जवाब देंहटाएंGaav ke sarkari aspatalon me duty krne ke bavjood bhi unhe unki vetan nhi di jaa rhi
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