सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का सीधा चुनाव, लोकतंत्र की सशक्त दिशा, जिस तरीके से विधायक और सांसद का होता हैं चुनाव उसी तरीके से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का भी होना चाहिए चुनाव, चुनाव होने से अपना नेता जनता खुद चुन सकेगी और गरीब तबके के व्यक्ति को भी उस कुर्सी में बैठने का मौका मिलेगा तभी होगा विकास

 मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का सीधा चुनाव, लोकतंत्र की सशक्त दिशा, जिस तरीके से विधायक और सांसद  का होता हैं चुनाव उसी तरीके से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का भी होना चाहिए चुनाव, चुनाव होने से अपना नेता जनता खुद चुन सकेगी और गरीब तबके के व्यक्ति को भी उस कुर्सी में बैठने का मौका मिलेगा तभी होगा विकास



कटनी  |  भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहाँ जनता पाँच साल में एक बार मतदान करती है और अपने क्षेत्र से प्रतिनिधियों को चुनकर विधानसभाओं और संसद में भेजती है। यही विधायक (MLA) और सांसद (MP) मिलकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चुनाव करते हैं। लेकिन जब देश और प्रदेश का सर्वोच्च नेतृत्व अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है, तो इसमें कई बार राजनीतिक समीकरण, जातीय समीकरण, धनबल और दलगत दबाव हावी हो जाते हैं।परिणामस्वरूप जनता को वह नेता नहीं मिल पाता जिसकी वह वास्तव में चाहत रखती है। यदि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चुनाव भी उसी तरह सीधे जनता द्वारा किया जाए, जैसे विधायक और सांसद का चुनाव होता है, तो लोकतंत्र और मज़बूत होगा।जनता सीधे अपने नेता को चुनेगी, गरीब वर्ग के लोगों के लिए भी अवसर बढ़ेंगे और वास्तविक विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। जनता विधायक और सांसद चुनती है, लेकिन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चयन चुने गए प्रतिनिधियों की पार्टी या गठबंधन करता है। बहुत बार नेता का चयन पार्टी हाईकमान या गठबंधन की मजबूरी से होता है, जनता की पसंद से नहीं। कई बार सरकारें दल बदल, पैसे और पद के लालच से बनती और बिगड़ती हैं। इससे लोकतंत्र की साख गिरती है। जनता अपने प्रतिनिधि को चुनकर चुप हो जाती है, लेकिन प्रदेश और देश का असली नेता उसके मत से सीधे तय नहीं होता। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को सीधे जनता ने नहीं चुना होता, इसलिए वे ज़्यादा जवाबदेह पार्टी नेतृत्व के प्रति रहते हैं, जनता के प्रति नहीं।

*सीधा चुनाव क्यों ज़रूरी है जनता की वास्तविक इच्छा का प्रतिबिंब*

 यदि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी जनता चुनती है तो यह साफ़ होगा कि जनता किसे अपना नेता मानती है। वर्तमान व्यवस्था में बड़े दलों के नेता या धनवान लोग ही इस पद तक पहुँचते हैं। लेकिन सीधे चुनाव में कोई भी ईमानदार, लोकप्रिय और मेहनती व्यक्ति चुनाव लड़कर जनता का विश्वास जीत सकता है। जब जनता सीधा नेता चुनेगी तो पार्टी की जोड़-तोड़, हाईकमान की मर्जी और अंदरूनी राजनीति का असर कम होगा। सीधे चुना गया मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री अपनी नीतियों, कामों और निर्णयों के लिए सीधे जनता के प्रति जवाबदेह होगा। यदि जनता सीधे नेता को चुनती है, तो पाँच साल तक स्थिर सरकार चलेगी। जोड़-तोड़ या अविश्वास प्रस्ताव की राजनीति से मुक्ति मिलेगी।

*लोकतंत्र और विकास पर प्रभाव पारदर्शिता*

सीधा चुनाव नेताओं को पारदर्शी बनाता है क्योंकि जनता से सीधा संपर्क ज़रूरी होगा। जब नेता सीधे जनता के वोट से चुना जाएगा, तब उसे अपनी छवि और विश्वसनीयता बनाए रखने की ज़रूरत होगी। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। अक्सर गरीब, किसान, मजदूर और साधारण वर्ग के लोग सत्ता से दूर रहते हैं। सीधे चुनाव में यदि किसी गरीब तबके का व्यक्ति लोकप्रियता के आधार पर चुनाव जीतता है, तो वह समाज की जमीनी समस्याओं को बेहतर समझेगा और हल करेगा । अमीर या दलगत नेता ही नहीं, बल्कि शिक्षक, किसान, डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता या कोई भी नागरिक इस पद पर पहुँच सकता है। यह लोकतंत्र को सही मायने में "जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा" बनाएगा। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के चुनाव में बहुत खर्च होगा। कभी-कभी लोकप्रिय व्यक्ति चुनाव जीत सकता है, लेकिन उसके पास प्रशासनिक क्षमता कम हो सकती है। जाति और धर्म का असर, भारत जैसे विविध देश में जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है।संवैधानिक बदलाव, इस व्यवस्था को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन ज़रूरी होगा। अमेरिका, राष्ट्रपति को जनता सीधे चुनती है। फ्रांस, राष्ट्रपति का सीधा चुनाव होता है। जहाँ जनता का सर्वोच्च नेतृत्व सीधे चुना जाता है, वहाँ जनता की भागीदारी अधिक और जवाबदेही सीधी रहती है।

*गरीब तबके को कैसे मिलेगा अवसर जनता के बीच लोकप्रियता*

 गरीब तबके का व्यक्ति जनता के बीच काम करके पहचान बना सकता है। जब चुनाव सीधा होगा तो गरीब और अमीर के बीच बराबरी का मुकाबला होगा। अभी गरीब नेता को पार्टी से टिकट लेना पड़ता है, लेकिन सीधे चुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार भी मौका पा सकते हैं। गरीब वर्ग से आने वाला नेता शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और किसान की समस्याओं को बेहतर समझेगा।

टिप्पणियाँ

popular post

पोड़ी कला बी निवासी अजय पटैल का निधन, रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर, उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा

 पोड़ी कला बी निवासी अजय पटैल का निधन, रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर, उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा ढीमरखेड़ा  |  पोड़ी कला बी ग्राम के प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय शिक्षक अजय पटैल का असामयिक निधन हो गया। उनके निधन से समूचे क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। अजय पटैल अपने पीछे पुत्र योगेश पटैल तथा पुत्रियाँ अनुराधा पटैल, पूजा पटैल और आस्था पटैल को शोकाकुल छोड़ गए हैं। परिवार के साथ ही पूरा समाज उनकी इस अनुपम क्षति से व्यथित है। शिक्षण क्षेत्र में अजय पटैल का योगदान अमूल्य माना जाता है। गणित जैसे कठिन विषय को वे इतनी सरलता और सहजता से समझाते थे कि छात्र न केवल विषय में दक्ष होते, बल्कि पढ़ाई के प्रति उनमें रुचि भी जागृत होती। उनके पढ़ाने का अंदाज़ विद्यार्थियों के दिल को छू लेने वाला था। दैनिक ताज़ा खबर के संपादक राहुल पाण्डेय ने गहरे दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि जब मैं स्वयं पढ़ाई करता था, तब अजय पटैल जी से गणित पढ़ना मेरे लिए सौभाग्य था। उनकी शिक्षा देने की कला अद्वितीय थी। आज यह समाचार लिखते समय मेरी आँखें बार-बार भर आ रही हैं और आँसू रुकने का नाम नहीं ले...

थाना उमरियापान पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोपियों को किया गिरफ्तार, भेजा जेल

 थाना उमरियापान पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोपियों को किया गिरफ्तार, भेजा जेल   कटनी |  थाना उमरियापान पुलिस ने हत्या के प्रयास के मामले में फरार चल रहे आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने में सफलता प्राप्त की है, लिहाजा दिनांक 18 अगस्त 2025 को प्रार्थी बेडीलाल चौधरी निवासी पकरिया थाना उमरियापान ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गांव के ही सूरज चौधरी, सुरेन्द्र चौधरी एवं सोनाबाई चौधरी ने उसे गंदी-गंदी गालियां दीं और जान से मारने की नीयत से मारपीट कर गंभीर चोटें पहुंचाईं। प्रार्थी की रिपोर्ट पर थाना उमरियापान में अपराध क्रमांक 293/25 धारा 296, 109(1), 3(5) बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक कटनी श्री अभिनय विश्वकर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री संतोष डेहरिया तथा अनुविभागीय अधिकारी पुलिस स्लीमनाबाद श्रीमती आकांक्षा चतुर्वेदी के निर्देशन में आरोपियों की तलाश शुरू की गई। इस दौरान लगातार प्रयासों के बाद थाना उमरियापान पुलिस ने फरार चल रहे आरोपी सूरज चौधरी पिता शिवकुमार चौधरी उम्र 35 वर्ष एवं सुरेन्द्र चौधरी पिता शिवकुमार चौध...

कटनी में पदस्थ बीईओ ऑफिस में फैज़ अहमद संविदा लिपिक की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर हुआ खेल, जांच हुई तो खुलेंगे बड़े राज

 कटनी में पदस्थ बीईओ ऑफिस में फैज़ अहमद संविदा लिपिक की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर हुआ खेल, जांच हुई तो खुलेंगे बड़े राज कटनी  |  मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग हमेशा चर्चा में रहा है। एक ओर जहां सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर विभागीय कार्यालयों से आए दिन ऐसे समाचार सामने आते हैं जो पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देते हैं।खासकर संविदा नियुक्तियाँ, जिन्हें बेरोजगार युवाओं के लिए अवसर माना जाता है, वे ही भ्रष्टाचार और मनमानी का अड्डा बन गई हैं। कटनी जिले के बीईओ ऑफिस में पदस्थ संविदा लिपिक फैज़ अहमद की नियुक्ति का मामला भी इसी तरह का है। आरोप है कि उनकी नियुक्ति नियमों और प्रक्रिया को ताक पर रखकर की गई। अगर इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो, तो कई ऐसे राज सामने आ सकते हैं जो यह साबित करेंगे कि संविदा नियुक्तियाँ पारदर्शी नहीं बल्कि “संपर्क और सिफारिश तंत्र” पर आधारित होती जा रही हैं। *बीईओ ऑफिस और उसकी भूमिका* बीईओ ऑफिस किसी भी ब्लॉक की शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होता है। यहाँ से प्राथमिक और माध...