माइनिंग कांक्लेव पर सीएम और प्रशासन को ठोस भरोसा दिलाना होगा निवेशकों को कि - भविष्य में अफसरशाही हावी नहीं होगी, अन्यथा सांघी सीमेंट वेल्सपन एनर्जी जैसे बड़े उद्यमों जैसी विफलता फिर हाथ लगेगी , कटनी जिले में उद्योग और खनिज दोहन पर सवाल – किसानों को दोहरा नुकसान
माइनिंग कांक्लेव पर सीएम और प्रशासन को ठोस भरोसा दिलाना होगा निवेशकों को कि - भविष्य में अफसरशाही हावी नहीं होगी, अन्यथा सांघी सीमेंट वेल्सपन एनर्जी जैसे बड़े उद्यमों जैसी विफलता फिर हाथ लगेगी , कटनी जिले में उद्योग और खनिज दोहन पर सवाल – किसानों को दोहरा नुकसान
कटनी । तेइस अगस्त को कटनी में होने वाली माइनिंग कांक्लेव में सीएम सहित सचिवालय के स्तर के अफसरान मंत्री विधायक और आमंत्रित निवेशकों के बीच जिले के खनन उद्योग में निवेश करने के लिए शासन अपनी औऱ से सहूलियतों को सदन में रखेगा l स्वाभाविक है इसमें उन्हें प्रोत्साहित करने वाले प्रस्ताव ही सामने आएँगे l लेकिन खनन उद्योग के लिए विभिन्न एन ओ सी , भूमि का आवँटन (लीज ) आदि में जिस तरह से जिले से लेकर राजधानी भोपाल के सचिव स्तरीय कार्यालयों में कई लाखों की घूसखोरी की जो परम्परा है उसमें जितने अधिक प्रतिशत सुधार का भरोसा निवेशक पूंजीपतियों को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव दिला पाएंगे उतने अनुपात में पूंजी निवेश की सम्भावनाओं को बल मिलेगा l दूसरी खास बात यह कि जिले में वैध से कई गुणा अधिक अवैध खनन का कारोबार भाजपा से जुड़े पदाधिकारियों के संरक्षण में निर्भीकता से किया जा रहा है और अवैध खनन माफिया शासन के साथ साथ ईमानदार खनन्याधिपति (खनिज व्यापारी ) के हितों का भुर्ता बन जाता है l चलिए याद कर लेते हैं कि कैसे कटनी में स्टोन पार्क की योजना मिट्टी में मिल चुकी है l वेल्सपन एनर्जी जैसा वृहद उद्योग बुजबुजा (विजयराघवगढ़ ) में लगभग आ गया था लेकिन कोल आवँटन की केंद्रीय नीतियों के चलते वह स्थापित नहीं हुआ और इंतजार करते हुए वेल्सपन कम्पनी के लोगों ने आवंटित जमीन पर भैंस पालन करते हुए दूध बेचा और कारोबार समेटकर चले गए l सांघी सीमेंट भी कारखाना लगाने की बजाए जमीन बेचकर चले जाना लाभ का सौदा माना l कटनी की पहचान बनाने वाला चूना उद्योग आज नब्बे फीसद मर चुका है जिसके पुनर्जीवन की सभी उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं l कटनी जिले के विजयराघवगढ़ क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर भूमि सांघी सीमेंट , वेल्सपन एनर्जी और अन्य बड़े उद्योगों को आवंटित की गई थी, लेकिन हकीकत में यहां उद्योग स्थापित नहीं हो पाए। भूमि अधिग्रहण के बावजूद पुनर्वास और विस्थापन नियमों का पालन नहीं होने से किसानों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ा है।
*भूमि स्वामियों को मुआवजा तक नहीं मिला*
ए सीसी अडानी समूह, सांघी सीमेंट वेल्सपन एनर्जी जैसे बड़े समूहों द्वारा विस्थापित परिवारों को न तो आज तक उचित मुआवजा मिला और न ही स्थानीय लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो सके। इससे जिले के किसानों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं।
*पूर्व सीएम की उद्घाटन शिला भर लगी लघु उद्योग नहीं लगा*
लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देने के मामले में भी कटनी जिले की तस्वीर निराशाजनक है। विजयराघवगढ़ के गोइंद्रा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा उद्योग स्थापना की आधारशिला रखी गई थी, लेकिन वह योजना अब तक अमल में नहीं आ सकी और विस्मृति में खो गई।
*रेत उद्योग को माफिया के हाथों सौंपा अफसरशाहों ने*
कटनी जिले का सबसे बड़ा उद्योग रेत का कारोबार माना जाता है, लेकिन सरकारी उपेक्षा और प्रशासनिक मिलीभगत के चलते यह व्यवसाय माफियाओं के कब्जे में चला गया है। बीते दस वर्षों में नदियों से अवैध रेत उत्खनन कर पर्यावरणीय नियमों को ताक पर रखा गया और शासन को अरबों रुपये के राजस्व से वंचित कर दिया गया।
*करोड़ों का चूना पत्थर का अवैध खनन*
इसी तरह विजयराघवगढ़ व मैहर सीमा क्षेत्र से करोड़ों रुपये मूल्य का चूना पत्थर भी अवैध रूप से निकाला जा रहा है, जिसमें माफिया और खनिज, वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आती रही है। पर्यावरण विभाग पर भी ऐसे गिरोहों से सांठगांठ कर खनिज संपदा के अवैधानिक दोहन में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। पत्रकार सुरेंद्र दुबे का कहना है कि जब तक कटनी जिले की प्रशासनिक कार्यप्रणाली माफियाओं के चंगुल से मुक्त नहीं होगी, तब तक यहां औद्योगिक विकास असंभव है। यदि प्रशासन मजबूत होकर काम करे तो कटनी, मध्यप्रदेश के सबसे अधिक राजस्व देने वाले जिलों में शुमार हो सकता है।
*विभिन्न खनिज संपदा उपलब्ध है मगर......*
कटनी जिले में लौह अयस्क, चूना पत्थर, बॉक्साइट, तांबा, डोलोमाइट, फेल्डस्पार, मुल्तानी मिट्टी, सीसा, सोना, गेरू और मैंगनीज जैसे खनिज अपार मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके बावजूद शासन की नीतिगत कमियों और अव्यवस्थाओं के चलते यह जिला आज भी औद्योगिकीकरण में पिछड़ा हुआ है।
*सी एम से अपेक्षाएं*
मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि उद्योगों को आवंटित भूमि के उपयोग की समीक्षा की जाए। विस्थापित परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास नीतियां प्राथमिकता से लागू हों। खनिजों के अनियंत्रित दोहन और राजस्व चोरी रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाए, जिससे कटनी अपनी खनिज संपदा के बल पर आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ सके। कटनी में उद्योग और खनिज दोहन पर सवाल, जिले में उद्योगीकरण की तस्वीर निराशाजनक वास्तविकता में उद्योग स्थापित नहीं किसानों को मिला केवल विस्थापन और नुकसान। न मुआवजा, न रोजगार किसानों की मुश्किलें बढ़ीं।बीते 10 सालों में माफिया और अधिकारियों की मिलीभगत से अरबों की राजस्व चोरी। नदियों से अवैध उत्खनन कर पर्यावरणीय नियम ताक पर प्रशासन की माफियाओं से जुगलबंदी खत्म होने पर ही कटनी बनेगा राजस्व देने वाला अग्रणी जिला अवैध खनन व राजस्व चोरी रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं.
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