उच्च न्यायालय जबलपुर के अधिवक्ता देवेंद्र शर्मा द्वारा कटनी के पूर्व पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन के विरुद्ध की गई शिकायत पर संघ लोक सेवा आयोग ने लिया संज्ञान गृह मंत्रालय को भेजा पत्र
उच्च न्यायालय जबलपुर के अधिवक्ता देवेंद्र शर्मा द्वारा कटनी के पूर्व पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन के विरुद्ध की गई शिकायत पर संघ लोक सेवा आयोग ने लिया संज्ञान गृह मंत्रालय को भेजा पत्र
ढीमरखेड़ा | लोकतंत्र में प्रशासनिक एवं न्यायिक प्रणाली का संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक होता है। आमजन, अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता या कोई भी नागरिक जब किसी प्रशासनिक अधिकारी के विरुद्ध गंभीर आरोपों के साथ शिकायत करता है, तो उसका निष्पक्ष परीक्षण और उस पर कार्रवाई करना शासन की जवाबदेही को दर्शाता है। ऐसा ही एक मामला उच्च न्यायालय जबलपुर के अधिवक्ता देवेंद्र शर्मा द्वारा उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कटनी के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन पर गंभीर आरोप लगाए और संबंधित दस्तावेजों के साथ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को शिकायत प्रस्तुत की। इस शिकायत पर UPSC ने संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
*शिकायत का मूल आधार*
अभिजीत कुमार रंजन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने कटनी में पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए अपने अधिकारों का अनुचित प्रयोग किया, जिससे आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।शिकायत में यह भी कहा गया कि पुलिस अधीक्षक ने कुछ आपराधिक मामलों में पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की। दोषियों को बचाने और निर्दोषों पर दबाव बनाने जैसी गतिविधियों का आरोप देवेंद्र शर्मा ने लगाया।अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि अभिजीत कुमार रंजन ने मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों की वैध आवाजों को दबाने का प्रयास किया। पुलिसिंग के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करने की भी बात कही गई। पुलिस अभिरक्षा में हुई कथित मारपीट, अवैध हिरासत और किसी निर्दोष व्यक्ति को झूठे मामलों में फँसाने जैसी घटनाओं का भी विवरण शिकायत में दर्ज किया गया।
*संघ लोक सेवा आयोग की भूमिका*
UPSC का मूल कार्य भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, और अन्य सिविल सेवाओं के चयन की प्रक्रिया को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाना है। लेकिन जब किसी सेवाधिकारी के आचरण पर सवाल उठते हैं और उसका प्रभाव उनके चयन, पदोन्नति या आचरण मूल्यांकन पर पड़ता है, तब UPSC उस शिकायत पर ध्यान देता है। इस मामले में UPSC ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए, प्रारंभिक जांच की और उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर यह पाया कि आरोपों की जांच अनिवार्य है। अतः आयोग ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस शिकायत पर आवश्यक प्रशासनिक एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा की।
*अधिवक्ता देवेंद्र शर्मा का पक्ष*
देवेंद्र शर्मा ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि प्रशासनिक अधिकारी यदि जनता के अधिकारों का हनन करें, तो उनका विरोध करना नागरिक का कर्तव्य बनता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह शिकायत किसी व्यक्तिगत द्वेष के कारण नहीं बल्कि न्याय की स्थापना हेतु की गई है। देवेंद्र शर्मा का कहना है कि यदि सरकार इस प्रकार की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेती, तो लोकतंत्र और संविधान पर से आमजन का विश्वास उठ जाएगा। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इस शिकायत की जांच किसी स्वतंत्र न्यायिक संस्था के द्वारा की जाए।
*पूर्व एसपी अभिजीत कुमार रंजन का रुख*
फिलहाल अभिजीत कुमार रंजन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि यह एक सोची-समझी साजिश है, जिसका उद्देश्य उनकी छवि को धूमिल करना है। उनका प्रशासनिक रिकॉर्ड उत्कृष्ट रहा है और उन्होंने हमेशा निष्पक्षता से कार्य किया है। हालांकि, गृह मंत्रालय द्वारा जांच आरंभ किए जाने के बाद, संभव है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा और आरोपों पर स्पष्टता आएगी।
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