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मां त्रिपुरसुंदरी मंदिर, तेवर भेड़ाघाट रोड, जबलपुर की अद्भुत महिमा और मोहित पाण्डेय का श्रद्धा से जुड़ा भावनात्मक संबंध

 मां त्रिपुरसुंदरी मंदिर, तेवर भेड़ाघाट रोड, जबलपुर की अद्भुत महिमा और मोहित पाण्डेय का श्रद्धा से जुड़ा भावनात्मक संबंध



जबलपुर |  भारत के प्रत्येक कोने में देवी-देवताओं के ऐसे अनेक मंदिर हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होते हैं। कुछ मंदिरों की भव्यता मन मोह लेती है तो कुछ की चमत्कारी शक्तियाँ भक्तों को आत्मिक बल देती हैं। मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित "भेड़ाघाट रोड" के समीप बसे छोटे से गांव तेवर में एक ऐसा ही देवी मंदिर है, जिसे मां त्रिपुरसुंदरी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भावनाओं और आत्मिक जुड़ाव का एक जीवंत प्रतीक है। इस मंदिर के प्रति मोहित पाण्डेय की श्रद्धा और उनका भावनात्मक संबंध इसे एक भक्त की आस्था से जुड़ी गाथा बना देता है। मोहित पाण्डेय का मानना है कि यह मंदिर केवल आस्था का स्थल नहीं, बल्कि उनके दिल से जुड़ा एक ऐसा रिश्ता है, जहां उन्हें माँ की ममतामयी छांव मिलती है।त्रिपुरसुंदरी देवी को शक्ति का परम रूप माना गया है। वह शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं। ‘त्रिपुरा’ का अर्थ है तीनों लोकों की स्वामिनी, और ‘सुंदरी’ का तात्पर्य सौंदर्य की मूर्तिमान देवी से है। मां त्रिपुरसुंदरी को ललिता देवी, राजराजेश्वरी, श्रीविद्या आदि नामों से भी पूजा जाता है। तेवर गांव का यह मंदिर देवी त्रिपुरसुंदरी की प्राचीनतम और शक्तिशाली उपासना स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां मां स्वयं विराजती हैं, और जो भी सच्चे मन से उनके श्रीचरणों में आकर विनय करता है, उसे मनोवांछित फल अवश्य प्राप्त होता है।

 *मंदिर का भौगोलिक व ऐतिहासिक परिचय*

तेवर गांव, जबलपुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शांत, रमणीय और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण स्थान है। यह इलाका प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, जहां नर्मदा का प्रवाह, घाटियों की छांव और हरियाली का सामंजस्य देखने को मिलता है। मां त्रिपुरसुंदरी मंदिर एक ऊँचाई वाले स्थान पर स्थित है, जहाँ तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों का एक मार्ग है। मान्यता है कि इस स्थान पर कभी एक साधु तपस्या में लीन थे, और उन्हें स्वप्न में माता ने दर्शन दिए थे। तब से इस स्थान पर मां की मूर्ति स्थापित कर मंदिर की नींव रखी गई। आज यह मंदिर न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं, बल्कि दूर-दराज से आने वाले भक्तों के लिए भी आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है।

 *मोहित पाण्डेय का मंदिर से आत्मिक रिश्ता*

मोहित पाण्डेय जब मां त्रिपुरसुंदरी मंदिर की बात करते हैं, तो उनके चेहरे पर एक अद्भुत आभा और आंखों में एक गहराई दिखाई देती है। वह कहते हैं “यह मंदिर मेरे लिए केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि मेरी आत्मा का ठिकाना है। मैं जब भी जीवन की भागदौड़, तनाव और कठिनाइयों से थक जाता हूँ, तो मां के दरबार में आकर खुद को शांत और पूर्ण महसूस करता हूँ।” मोहित बताते हैं कि उन्होंने जीवन के हर उतार-चढ़ाव में मां की कृपा को अनुभव किया है। चाहे शिक्षा से जुड़ी समस्या रही हो, परिवार में संकट या मानसिक द्वंद्व – हर परिस्थिति में मां त्रिपुरसुंदरी की भक्ति ने उन्हें मार्गदर्शन और आत्मबल दिया।

*मंदिर की चमत्कारी मान्यताएँ मां त्रिपुरसुंदरी मंदिर को लेकर कई चमत्कारी कथाएँ प्रचलित हैं*

 यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि यदि कोई सच्चे मन से मां के सामने अपनी मन्नत रखे, तो वह अवश्य पूर्ण होती है। कई दंपत्ति जो वर्षों तक संतान सुख से वंचित थे, इस मंदिर में मन्नत माँगने के बाद संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त कर चुके हैं। कई विद्यार्थी परीक्षा से पूर्व मां के दर्शन करने आते हैं और मानते हैं कि उनकी सफलता का रहस्य मां की कृपा है। जिन लोगों ने कठिन रोगों में आशा छोड़ दी थी, उन्होंने मां के चरणों में श्रद्धा रखकर स्वास्थ्य लाभ पाया है।

*त्यौहार और विशेष आयोजन*

इस मंदिर में विशेष रूप से नवरात्रि पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इन नौ दिनों में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मां का श्रृंगार अत्यंत भव्य होता है। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन, हवन-पूजन, कन्या पूजन, और गरबा जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता है। मोहित पाण्डेय नवरात्रि के आयोजन में स्वयं सेवक के रूप में कार्य करते हैं। वह मां के लिए विशेष पूजा सामग्री लाते हैं, श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं और भक्ति भाव से मां की आरती में सम्मिलित होते हैं।

 *मंदिर परिसर का सौंदर्य और शांति*

तेवर गांव का यह मंदिर एक शांतिपूर्ण वातावरण में स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के रास्ते में हरियाली और प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। मंदिर के पास बैठ कर ध्यान करना एक आध्यात्मिक अनुभव जैसा है। वहां की हवा में भक्ति और विश्वास का स्पर्श महसूस होता है। मोहित कहते हैं कि जब वह मां के दर्शन कर मंदिर परिसर में बैठते हैं, तो उन्हें लगता है जैसे समय रुक गया है। सारे तनाव, चिंता, भय सब मां की कृपा से समाप्त हो जाते हैं। वहां का शांत वातावरण एक सुकून प्रदान करता है, जो कहीं और मिलना दुर्लभ है।

 *मोहित पाण्डेय का योगदान और सेवा कार्य*

मोहित पाण्डेय केवल मंदिर के भक्त नहीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका में भी नजर आते हैं। मंदिर की साफ-सफाई में भाग लेते हैं।मंदिर में आने वाले वृद्धों और विकलांगों की सहायता करते हैं।नवरात्रि और अन्य पर्वों पर जरूरतमंदों के लिए अन्न वितरण करते हैं। मंदिर परिसर में वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियान चलाते हैं। उनकी सेवा भावना इस बात को दर्शाती है कि मां त्रिपुरसुंदरी के प्रति उनका प्रेम केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के प्रति भी उत्तरदायित्व निभाने की प्रेरणा है।

*आस्था और विज्ञान का संतुलन*

कुछ लोग धार्मिक स्थलों को केवल अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं, परंतु मोहित पाण्डेय इस धारणा को सिरे से नकारते हैं। उनका मानना है कि “आस्था और विज्ञान दोनों साथ-साथ चल सकते हैं। मां त्रिपुरसुंदरी के मंदिर में आने वाले भक्त केवल किसी चमत्कार की अपेक्षा नहीं रखते, बल्कि वह वहां आकर आत्मबल, सकारात्मक सोच और मानसिक शांति प्राप्त करते हैं, जो हर समस्या से लड़ने की शक्ति देती है।”

*मां के मंदिर को विश्व स्तर तक ले जाने का सपना*

मोहित पाण्डेय का सपना है कि मां त्रिपुरसुंदरी मंदिर को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले। मंदिर की वेबसाइट बनाना। सोशल मीडिया के माध्यम से मंदिर की जानकारी प्रसारित करना। धार्मिक पर्यटन के नक्शे में इस स्थान को शामिल कराना। मंदिर में सुविधाओं का विस्तार, जैसे शुद्ध पेयजल, बैठने की व्यवस्था, रेस्ट रूम, वृद्धजनों के लिए सहायक उपकरण आदि।

 *जब श्रद्धा बन जाए जीवन का मार्गदर्शन*

इस विस्तृत चर्चा का निष्कर्ष यही निकलता है कि मां त्रिपुरसुंदरी का यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि लाखों भक्तों के विश्वास, प्रेम, और आत्मिक शांति का केंद्र है। मोहित पाण्डेय जैसे श्रद्धालु न केवल मंदिर की महिमा का प्रचार करते हैं, बल्कि अपनी सेवा और आचरण से उसे जीवंत बनाते हैं। उनकी यह भावना कि “मंदिर मेरे लिए केवल आस्था का विषय नहीं, दिल का रिश्ता है” वास्तव में हमें यह सिखाती है कि जब कोई मंदिर आपके हृदय से जुड़ जाता है, तो वह पत्थर नहीं, परमात्मा बन जाता है। यदि आप कभी जबलपुर आएं, तो भेड़ाघाट रोड पर स्थित तेवर गांव अवश्य जाएं, और मां त्रिपुरसुंदरी के चरणों में श्रद्धा से शीश नवाएं। शायद वहां आपको भी वही आत्मिक अनुभव प्राप्त हो, जिसे मोहित पाण्डेय जी ने जीवन का मार्गदर्शक बनाया।

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