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शासकीय प्राथमिक शाला तिघरा में प्रभारी शिक्षक वीरेंद्र कुमार तिवारी पाए गए नदारद, बच्चों का भविष्य अधर में, तानाशाही चरम पर पूरा गांव इनके नाम को रो रहा

 शासकीय प्राथमिक शाला तिघरा में प्रभारी शिक्षक वीरेंद्र कुमार तिवारी पाए गए नदारद, बच्चों का भविष्य अधर में, तानाशाही चरम पर पूरा गांव इनके नाम को रो रहा 



ढीमरखेड़ा |  जनपद शिक्षा केंद्र ढीमरखेड़ा के अंतर्गत आने वाले जन शिक्षा केंद्र शासकीय उत्कृष्ट माध्यमिक विद्या बालक उमरियापान की आश्रित शाला तिघरा में शिक्षक प्रभारी वीरेंद्र कुमार तिवारी मौके पर पाए गए नदारद लिहाज़ा शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है। यही वह माध्यम है जिससे आने वाली पीढ़ियाँ न केवल ज्ञान प्राप्त करती हैं, बल्कि वे अपने जीवन को एक दिशा भी देती हैं। भारत जैसे विशाल और विविधताओं वाले देश में प्राथमिक शिक्षा की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां यही एकमात्र साधन होता है जिससे बच्चे मुख्यधारा से जुड़ सकते हैं। किंतु जब इस शिक्षा व्यवस्था में लापरवाही, अनदेखी और गैरजिम्मेदारी प्रवेश कर जाए, तो वह बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल देती है। ऐसा ही एक चिंताजनक मामला सामने आया है शासकीय प्राथमिक शाला तिघरा से, प्रभारी शिक्षक वीरेंद्र कुमार तिवारी मौके पर नहीं थे जब दूसरे शिक्षक से पता किया गया तो बताया कि घर में कोई काम आ गया है तो घर गए हैं अब सोचा जा सकता है कि हाज़िरी स्कूल में लगाकर घर चले जाते है जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।

*गरीब बच्चों के जीवन से खिलवाड़, शिक्षा पर पड़ रहा असर*

तिघरा एक छोटा सा गाँव है जो विकासखण्ड ढीमरखेड़ा के एक आदिवासी और ग्रामीण बहुल इलाके में स्थित है। यहाँ की अधिकांश आबादी खेती और मजदूरी पर निर्भर है। शिक्षा का स्तर अभी भी काफी पीछे है और जागरूकता की भारी कमी है। इस गांव में एकमात्र शासकीय प्राथमिक शाला ही बच्चों के लिए शिक्षा का केंद्र है, जिससे न केवल बच्चों को बल्कि पूरे समाज को दिशा देने की उम्मीद की जाती है। यहाँ पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगभग 45 के आसपास है। अधिकतर विद्यार्थी अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों से हैं। 

*शिक्षक का दायित्व और जिम्मेदारी*

सरकारी शिक्षक केवल पाठ पढ़ाने वाला नहीं होता। वह बच्चों का मार्गदर्शक, समाज का आदर्श और शिक्षा तंत्र का प्रतिनिधि होता है। उसे समय पर उपस्थित रहना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षण देना, बच्चों की उपस्थिति बनाए रखना, मिड-डे मील की निगरानी करना, अभिभावकों से संवाद बनाए रखना जैसे अनेक कार्यों की जिम्मेदारी दी जाती है। प्रभारी शिक्षक होने के नाते वीरेंद्र कुमार तिवारी पर यह सभी जिम्मेदारियाँ और भी अधिक महत्वपूर्ण थीं स्मरण रहे कि ग्रामवासियों और कुछ जागरूक सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा यह जानकारी दी गई कि प्रभारी शिक्षक श्री वीरेंद्र कुमार तिवारी का रवैया ऐसा है कि अपनी मनमर्जी के मालिक है। 

*इनका कहना है*

आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है जांच कराकर कार्यवाही की जायेगी.

*लखन लाल बागरी प्रभारी बीईओ ढीमरखेड़ा*

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