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आरोग्यम उप स्वास्थ्य केन्द्र बांध, बरही , रीठी के निर्माण में घोटाला, जिम्मेदार बेखबर, कलेक्टर जांच नहीं संभागायुक्त करे जांच निर्माण एजेंसी के लाइसेंस हो रद्द, ठेकेदार के विरुद्ध हों एफ. आई. आर.

 आरोग्यम उप स्वास्थ्य केन्द्र बांध, बरही , रीठी के निर्माण में घोटाला, जिम्मेदार बेखबर, कलेक्टर जांच नहीं संभागायुक्त करे जांच निर्माण एजेंसी के लाइसेंस हो रद्द, ठेकेदार के विरुद्ध हों एफ. आई. आर.



ढीमरखेड़ा |  कटनी जिले के अंतर्गत आने वाले बांध, बरही , रीठी में जो आरोग्यम उप स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण हुआ हैं, हों रहा हैं उसमे बड़ा घोटाला सामने निकल के आ रहा हैं। गौरतलब हैं कि भसुआ रेत का उपयोग, ईट में भी दिक्कत, सीमेंट को ताक में रखकर बिल्डिंग का निर्माण किया गया हैं। जहां लक्ष्मी का काम ऊपर से नीचे तक हों वहां कुछ भी संभव है। निर्माण स्थल पर निर्माण संबंधी सूचना बोर्ड नहीं लगने के कारण भवन निर्माण का एजेन्सी कौन है, इसकी जानकारी ग्रामीणों को नहीं है। ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता को दर किनार कर भवन का निर्माण कार्य कराया गया है । भवन निर्माण में प्रा-लन की अनदेखी की जा रही है । निर्माण के बाद पानी से तराई नहीं कराया गया है। ऐसे में भवन की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

*निर्माण स्थल पर नहीं लगा है सूचना बोर्ड*

शासन के अधिनस्थ किसी विभाग द्वारा जब भी कोई निर्माण कार्य कराया जाता है तो निर्माण स्थल पर निर्माण से संबंधित जानकारी के लिए सूचना बोर्ड लगाया जाना अनिवार्य होता है । जिसमें निर्माण का स्वरूप , निर्माण की अनुमानित लागत , ठेकेदार का नाम , निर्माण एजेंसी का नाम , कार्यादेश की तिथि , निर्माण पूर्ण होने की समयावधि आदि का उल्लेख रहता है । अनुबंध के प्रावधान अनुसार निर्माण स्थल पर सूचना बोर्ड लगवाने की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है जिसका उल्लेख अनुबंध पत्र में रहता है। इसके बावजूद उप स्वास्थ्य केन्द्र बांध, बरही , रीठी भवन निर्माण स्थल पर सूचना बोर्ड नही लगाकर ठेकेदार द्वारा नियम शर्तों की अवहेलना की गई है तथा संबंधित विभाग के सक्षम तकनीकी व अन्य अधिकारी तमाशबीन बने हुए हैं।

*नियमों को ताक में रखकर किया गया कार्य*

स्वास्थ्य केन्द्र के निर्माण के लिए सरकार द्वारा भारी भरकम बजट आवंटित किया गया था। लेकिन निर्माण कार्य में लापरवाही, घटिया सामग्री का उपयोग और बजट की हेराफेरी जैसी गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। भवन का निर्माण अधूरा है और जो हिस्सा बना है, वह भी मानकों पर खरा नहीं उतरता। स्थानीय निवासियों और जनप्रतिनिधियों ने कई बार इन अनियमितताओं की शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

*जिम्मेदार अधिकारी और उनकी भूमिका*

निर्माण कार्य में शामिल अधिकारी और ठेकेदार पूरी तरह से बेखबर हैं या अनदेखी कर रहे हैं। पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े हुए हैं। कलेक्टर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अब तक उन्होंने इस मामले में कोई गंभीर कदम नहीं उठाया है।

*संभागायुक्त से जांच की मांग*

स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस मामले की जांच कलेक्टर नहीं, बल्कि संभागायुक्त करें। कलेक्टर पर विश्वास न करते हुए, लोग चाहते हैं कि संभागायुक्त स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करें ताकि सच्चाई सामने आ सके।

*निर्माण एजेंसी के लाइसेंस की समीक्षा*

इस मामले में सबसे बड़ी जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी की है जिसने इस परियोजना को अंजाम दिया। अगर जांच में दोष सिद्ध होते हैं, तो एजेंसी का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। निर्माण एजेंसी की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के कारण आम जनता का स्वास्थ्य खतरे में पड़ा है।

*ठेकेदार के विरुद्ध एफ. आई. आर.*

इसके साथ ही, ठेकेदार के विरुद्ध एफ. आई. आर. दर्ज की जानी चाहिए। ठेकेदार की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से निर्माण कार्य अधूरा और घटिया हुआ है। इस मामले में कानूनी कार्रवाई आवश्यक है ताकि अन्य ठेकेदारों को भी यह संदेश मिल सके कि सरकारी योजनाओं के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

*जनाक्रोश और सामाजिक दबाव*

इस घोटाले को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। गांव के लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं और शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। इस प्रकार के घोटालों से बचने के लिए आवश्यक है कि निर्माण कार्य की निगरानी और जांच की प्रभावी व्यवस्था हो। साथ ही, पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियमों और दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए शासन को ठोस कदम उठाने होंगे और ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। आरोग्यम उप स्वास्थ्य केन्द्र बांध, बरही, रीठी के निर्माण में हुआ घोटाला न केवल सरकारी धन की बर्बादी है बल्कि ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकारों का हनन भी है। इस घोटाले की निष्पक्ष जांच, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए। इससे न केवल जन विश्वास बहाल होगा बल्कि भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।

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