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प्रसूतिका की मौत के बाद भी नहीं जागा विभाग,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव में बंद हुई प्रसव सुविधा, परेशान हो रहीं प्रसूता सिर्फ एक ड्रेसर के भरोसे पूरा अस्पताल, मरीजों के साथ स्वास्थ्य विभाग कर रहा छलावा, जिम्मेदार मौन

 प्रसूतिका की मौत के बाद भी नहीं जागा विभाग,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव में बंद हुई प्रसव सुविधा, परेशान हो रहीं प्रसूता


सिर्फ एक ड्रेसर के भरोसे पूरा अस्पताल, मरीजों के साथ स्वास्थ्य विभाग कर रहा छलावा, जिम्मेदार मौन 




कटनी | जनपद पंचायत रीठी की बड़ी पंचायतों में शामिल ग्राम पंचायत बड़गांव में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब दो माह से प्रसव सुविधा बंद है। बताया गया कि क्षेत्र के दर्जन भर से अधिक गावों की हजारों प्रसूताएं इसी स्वास्थ्य केंद्र पर आश्रित थी। लेकिन वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग में मची अंधेरगर्दी के चलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव में एक भी महिला नर्स उपलब्ध नहीं है। लिहाजा प्रसव पूर्व होने वाली जांच एवं प्रसव सुविधा पूर्ण रूप से बंद है। महिलाओं को मजबूरन भटकना पड़ रहा है। बताया गया कि पूर्व में पदस्थ महिला नर्सों के अवकाश पर जाने के बाद से अस्पताल परिसर सिर्फ एक ड्रेसर के भरोसे चल रहा है। यहां ना तो डॉक्टर हैं और ना ही नर्स। बड़गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रदेशभर में लड़खड़ाई स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल रहा है। बावजूद इसके जिले के हिटलरशाह जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। जिसके चलते ग्रामीण अंचलों के मरीजों स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। विकास खंड की कमान संभाल रहे बीएमओ की भूमिका सवालों के घेरे में दिखाई पड़ रही है। 

 *दर्जनों गांवों के लोगों के साथ छलावा*

सूत्रों की मानें तो रीठी विकास खंड के अंतर्गत संचालित शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव की व्यवस्था को स्ट्रेचर तक पहुंचाने में विभाग के ही कुछ कर्मचारियों की विशेष भूमिका रही है। बताया गया कि यहां पदस्थ कर्मचारियों को मनमाने ढंग से रीठी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अटैच कर रखा गया है। जिसके चलते रीठी जनपद की दूसरी सबसे बड़ी ग्राम पंचायत का दर्जा प्राप्त ग्राम पंचायत बड़गांव में संचालित शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अब सिर्फ एक ड्रेसर के भरोसे चल रहा है। प्रदेश सरकार के राज में बिना डॉक्टर और बिना दवाईयों के सरकारी अस्पताल चल रहे हैं, जो समझ से परे है। स्वास्थ्य विभाग बड़गांव सहित आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों के साथ छलावा कर रहा है। जिस ओर ना तो जिम्मेदार अधिकारियों की नजर जा रही है और ना ही जनप्रतिनिधियों की।

*..तो बच जाती वर्षा की जान*

ग्रामीणों का कहना है कि बीते 9 अक्टूबर को रीठी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम भेड़ा निवासी वर्षा आदिवासी पति रज्जन आदिवासी को प्रसव पीड़ा होने पर रीठी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने से पहले ही एम्बुलेंस में मौत हो गई थी। महिला की मौत के लिए मृतका के पति ने कहा कि प्रसव पीड़ा होने पर वाहन के लिए फोन किया था लेकिन समय से वाहन नहीं पहुंचा। उसे अस्पताल लाने में काफी देर हो गई जिसके कारण उसने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव में चिकित्सक और नर्स की तैनाती होती तो समय पर वर्षा का सुरक्षित प्रसव हो जाता और उसे इलाज मिल जाता तो शायद उसकी मौत नहीं होती। क्योंकि ग्राम भेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव से लगा हुआ है यहां के मरीजों को अस्पताल पहुंचाने महज दस मिनट का समय लगता है। लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव में नर्स ना होने के कारण प्रसूता वर्षा आदिवासी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रीठी लाया जा रहा था, इसी दौरान उसने रास्ते में दम तोड़ दिया। जबकि यह कहना ग़लत नहीं होगा कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने प्रसूतिका की जान ले ली। 

विभागीय सूत्र बताते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव में वर्तमान व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रीठी में पदस्थ एक स्टाफ नर्स को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन उक्त नर्स की राजनैतिक गलियारे में पकड़ मजबूत होने व बीएमओ की खास होने के चलते उसने भी बड़गांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से बाए-बाए कर लिया। ग्रामीणों ने प्रसूतिकाओं को हो रही समस्या को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़गांव में स्टाफ नर्स की नियुक्ति किए जाने की मांग की है।

*इनका कहना है -*

बड़गांव में पदस्थ नर्सों के अवकाश पर जाने से दिक्कत आई है। वहां रीठी से एक नर्स को भेजा गया था। लेकिन परिसर में पानी की व्यवस्था ना होने के कारण वो सेवाएं नहीं दे सकी। अब पानी की समुचित व्यवस्था कराई गई है और जल्द ही एएनएम और नर्स को पदस्थ कर व्यवस्थाएं सभांली जाएंगी। 

*मेघेनद्र श्रीवास्तव, बीएमओ रीठी*

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