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मंडी में करोड़ों का फल-सब्जी कारोबार और लाख रूपए रोजाना शुल्क वसूली की जगह सिर्फ 20 हजार की टैक्स वसूली कर रहे मंडी कर्मचारी, राजस्व में भारी सेंध, निरीक्षक-गेटकर्मी गठजोड़ पर उठे सवाल, प्राइवेट मंडी टैक्स घोटाले से लेकर टैक्स चोरी पर कलेक्टर से कठोर कार्रवाई की मांग तेज

 मंडी में करोड़ों का फल-सब्जी कारोबार और लाख रूपए रोजाना शुल्क वसूली की जगह सिर्फ 20 हजार की टैक्स वसूली कर रहे मंडी कर्मचारी, राजस्व में भारी सेंध, निरीक्षक-गेटकर्मी गठजोड़ पर उठे सवाल, प्राइवेट मंडी टैक्स घोटाले से लेकर टैक्स चोरी पर कलेक्टर से कठोर कार्रवाई की मांग तेज



 कटनी ।  कृषि उपज मंडी के सचिव द्वारा दी गई जानकारी ने मंडी व्यवस्थापन और राजस्व वसूली की पोल खोलकर रख दी है। आँकड़ों के अनुसार जिले में प्रतिदिन केवल 20-21 हज़ार रुपए मंडी शुल्क प्राप्त हो रहा है, जबकि वास्तविक कारोबार लाखों में है। जानकारों का कहना है कि कटनी में सिर्फ आलू–प्याज़–सेब की आवक ही प्रतिदिन 20 लाख रुपए से अधिक होती है। इसके अलावा महंगी सब्जियों और फलों की बड़े पैमाने पर थोक बिक्री मंडी प्लेटफार्म से अलग संचालित होती है। वास्तविकता में कम से कम 1 लाख रुपए दैनिक मंडी शुल्क बनना चाहिए, लेकिन इसका सिर्फ 20 प्रतिशत ही दर्ज हो रहा है, बाकी का राजस्व गायब है। सूत्र बताते हैं कि मंडी इंस्पेक्टर, फ्लाइंग स्क्वाड और गेट पास कर्मियों का गठजोड़ वर्षों से राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा है। यदि कलेक्टर विशेष दस्ता बनाकर छापामार कार्रवाई कराएं, तो करोड़ों की टैक्स चोरी का बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।* 


कटनी का वास्तविक व्यापार रोजाना 5-6 ट्रक आलू और 3-4 ट्रक प्याज की आवक प्रति ट्रक 85,000 से 1.25 लाख रुपए मूल्य केवल आलू-प्याज से 15-18 लाख का व्यापार इसके आधार पर 15-18 हजार रुपए का मंडी शुल्क प्रतिदिन बनता है।  सेब के दो ट्रक प्रतिदिन आते हैं 12 लाख रुपए मूल्य के। इसके अलावा लहसुन, अदरक, मिर्च, शिमला मिर्च, बीन्स, भिंडी, ककड़ी, कुम्हड़ा और अन्य महंगी सब्जियों का भारी कारोबार होता है। इन सबको मिलाकर 40 हज़ार रुपए का दैनिक मंडी शुल्क न्यूनतम बनता है, जो कहीं भी रिकॉर्ड में नहीं दिखता। 

*रेलवे से उतरने वाला धना पूरी तरह टैक्स फ्री*

 रेलवे से आने वाला धना सीधे फल–सब्जी फड़ों पर उतरता है। इसका मंडी टैक्स शून्य दर्ज किया जा रहा है। मंडी प्रशासन की विफलता और जनता पर बोझ पिछले चार महीनों तक सब्जियों के दाम आसमान छूते रहे। अनार 150 रु किलो, नारियल पानी 80 रु नग, पपीता 50 रु किलो, मोरार, चकुंदर, गाजर, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां महंगी। जब उपभोक्ता महंगा खरीद रहे थे, तब भी मंडी टैक्स का राजस्व 20-21 हज़ार से ऊपर नहीं बढ़ा, जो स्पष्ट रूप से व्यापक स्तर की हेराफेरी को दर्शाता है। कटनी जिले के व्यापारी, सामाजिक संगठन और जागरूक नागरिक कलेक्टर आशीष तिवारी से अपेक्षा कर रहे हैं कि  प्राइवेट मंडी के टैक्स अपवंचन की गहन जांच कराई जाए, मंडी कर्मचारियों-अधिकारियों की मिलीभगत उजागर की जाए, वास्तविक फल–सब्जी कारोबार की भौतिक जांच कराकर राजस्व की हो रही हानि पर तत्काल रोक लगाई जाए। सरकारी खजाने में हर दिन जल रही टैक्स चोरी की होलिका को अब बुझना ही होगा, कटनी की जनता यही उम्मीद कर रही है। कृषि उपज मंडी के सचिव की जानकारी के अनुसार कटनी जिले में प्रतिदिन एक प्रतिशत मंडी शुल्क की दर से 20 से 21 हजार रूपए का टैक्स प्राप्त हो रहा है यानि सिर्फ 20 से 21 लाख रूपयों की सब्जी फल और घना की आवक हो रही है। यह पूरी तरह अविश्वसनीय आय है क्योंकि कटनी में आलू-प्याज-सेव की ही आवक ही बीस लाख रूपयों से अधिक होती है, ढेरों महंगी सब्जियों की बिक्री मंडी के प्लेटफार्म से अलग से होती है। जानकार कहते हैं और प्रत्यक्ष दिखाई भी देता है कि जिस तरह का व्यापार जिले में प्रतिदिन होता है उसमें रोजाना एक लाख रूपयों का मंडी टैक्स आना ही चाहिएँ इस लक्ष्य को 80 फीसदी नष्ट करने का काम मंडी के इंस्पेक्टर, फ्लाइंग स्क्वाड, गेट पास कर्मी मिलकर सालों से कर रहे हैं, कलेक्टर को इस संबंध में विशेष दस्ते से छापामार चेकिंग करानी होगी तो मंडी टैक्स चोरी का बड़ा घोटाला पकड़ा जाएगा।

*निजी मंडी घोटाले को बचाने व्यापक टेक्स चोरी करवाना चर्चित* 

 इतने व्यापक पैमाने पर सब्जी फल मंडी टैक्स चोरी करवाने की कूटनीति चलाने का एक कारण यह भी चर्चित है कि मंडी प्रशासन ने सन 2012 से 2022 तक चलने वाली अवैध सब्जी मंडी में हुई मंडी शुल्क की चोरी की वसूली को सिर्फ 8 करोड़ की न्यूनतम सीमा में बांधकर शासन को 30-35 करोड़ रूपयों का चूना लगाया है l उसे कोर्ट में साबित करने के लिए मंडी शुल्क चोरी का व्यापक हेराफेरी की जा रही है ताकि वे दर्शा सकें कि प्राइवेट मंडी ने 5 रूपए साल में सालाना मात्र दस-पंद्रह लाख रूपयों का मंडी शुल्क चुराया है।

व्यापारियों के अनुसार मंडी प्लेटफार्म पर रोजाना 5-6 ट्रक आलू और तीन-दिन ट्रक प्याज की आवक होती है। एक ट्रक में 15 से 30 टन सब्जी लदी होत है और एक ट्रक की कीमत 85 हजार से सवा लाख रूपयों की होती है। आलू प्याज से लगभग 15-18 लाख का कारोबार हो रहा है और 15 से 18 हजार का शुल्क रोजाना बनना चाहिए। इसके अलावा 12 लाख रूपए कीमत में एक ट्रक सेव आता है, औसतन दो ट्रक रोज कटनी में आ रहे हैं। महंगी सब्जियों में लहसुन, अदरक, मिर्ची, ककड़ी, बीन्स, भिंडी, तरोई (गिल्की), भूरा कुम्हड़ा, शिमला मिर्च, धनिया की रोजाना खपत कारोबार को देखते हुए न्यूनतम 40 हजार रूपए की प्रतिदिन मंडी शुल्क से आय होनी चाहिए। इससे इतर रेलवे से आने वाला धना भी मंडी न उतरकर सीधे फड़ों पर उतर रहा है। जिसका मंडी टैक्स संग्रह शून्य के बराबर है। केले और टमाटर, मटर के ट्रक प्रतिदिन यहां-वहां कहीं भी उतर रहे हैं, बिक्री हो रही है, बस मंडी को आय नहीं हो रही है। पिछले चार माह से सब्जियों के दामों में आग लगी हुई थी, निम्र मध्यम वर्ग की थाली से तो महंगी सब्जियां ही गायब थीं। ब्लड संक्रमण के रोगियों में खपत होने वाला अनार (डेढ़ सौ रूपए किलो) पपीता (पचास रूपए किलो) बिकता है, नारियल पानी प्रति नग 80 रूपए बिका, आज 60 रूपए बिक रहा है।  बिही, गाजर, चकुंदर, कमल   ककड़ी (मोरार) अनेक महंगी सब्जी फल बिकते हैं लेकिन मंडी के इंस्पेक्टर टैक्स कलेक्टर, न जाने क्यों प्रतिदिन होने वाले करोड़ों रूपए के सब्जी फल के कारोबार पर बीस हजार रूपए प्रतिदिन (यानि सिर्फ बीस लाख रूपए) की मंडी टैक्स वसूल कर रहे हैं।

*संतरा-तरबूज-अंगूर का करोड़ों का कारोबार निकट सीजन में*

 संतरा-तरबूज-अंगूर यूपी की ककड़ी के कारोबार के लिए जिले के फल सब्जी विक्रेता अभी से फील्डिंग जमा चुके हैं। नासिक-जलगांव-नागपुर-काटोल-पांडुरना में दलाल जाएंगे और ट्रकों में रेल्वे के लगेज से रोज कई लाख की डिलीवरी कटनी भेजेंगे। मगर कटनी कृषि उपज मंडी के कर्मचारी अफसर राजस्व वृद्धि के हर अवसरों को कत्ल करेंगे।

*लोकायुक्त में चल रही मंडी टैक्स चोरी की जांच*

बता दें क प्राइवेट मंडी के नाम पर दस वर्षों तक मंडी और नगर निगम के टैक्स की जिस तरह करोड़ों रूपयों की टैक्स चोरी की गई थी, उसकी शिकायत लोकायुक्त तक पहुंच चुकी है। लोकायुक्त के संज्ञान पर कटनी के कुंभकर्ण मंडी प्रशासन को मजबूर होना पड़ा कि वह दस वर्षों के मंडी टैक्स अपवंचन और उस शुल्क के ऊपर पांच गुना पेनाल्टी लगाकर टैक्स वसूली करे। दुर्भाग्य कि मंडी को अफसरों ने जबलपुर के संचालक स्तर के अफसरों के साथ घालमेल  कर इस टैक्स अपवंचन को मात्र 8 करोड़ तक सीमित कर दिया है। इसक विरूद्ध भी मामला हाईकोर्ट और लोकायुक्त में भेजा जा रहा है कि मंडी शुल्क अपवंचन का आंकलन करने में मंडी के सहायक संचालक सचिव लेखापाल की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है। कलेक्टर आशीष तिवारी से आशा की जा रही है कि वे प्राइवेट मंडी की टैक्स चोरी पेनाल्टी की जांच कराएं तथा रोजाना होने वाले वास्तविक फल सब्जी धना व्यापार की भौतिक जांच कराते हुए शासकीय राजस्व की जलाई जा रही होलिका को बुझाएं।

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