नियम के तहत रोज़गार सहायको को BLO बनाना नियम विरुद्ध, अधिकारियों का तत्काल होना चाहिए इसमें ध्यान आकर्षित
नियम के तहत रोज़गार सहायको को BLO बनाना नियम विरुद्ध, अधिकारियों का तत्काल होना चाहिए इसमें ध्यान आकर्षित
कटनी | लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव आयोग की भूमिका अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण होती है। मतदाता सूची का शुद्धीकरण, बूथ स्तर की जानकारी एकत्र करना और मतदान प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करना बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की मुख्य जिम्मेदारियाँ होती हैं। दूसरी ओर ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत रोज़गार सहायक MGNREGA, पंचायत व्यवस्था और ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाते हैं। परंतु हाल के वर्षों में कई जिलों और विकासखंडों में यह दबाव देखा गया है कि रोज़गार सहायकों को BLO की जिम्मेदारी भी सौंप दी जाए।
प्रश्न यह उठता है कि क्या यह उचित है? क्या यह नियमों के तहत संभव है? और क्या यह प्रशासनिक नैतिकता तथा संवैधानिक प्रक्रियाओं के अनुरूप है? सभी नियमों और प्रावधानों के संदर्भ में स्पष्ट रूप से यह सामने आता है कि रोज़गार सहायकों को BLO बनाना नियम-विरुद्ध, विभागीय कार्यों के विपरीत तथा प्रशासनिक संरचना के लिए हानिकारक है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा BLO की नियुक्ति को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। BLO केवल स्थायी सरकारी कर्मचारी होना चाहिए निर्वाचन आयोग के आदेशों के अनुसार BLO वही कर्मचारी हो सकता है जो स्थायी सरकारी कर्मचारी हो शिक्षा, राजस्व, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास या स्थानीय निकायों से संबद्ध हो जिसकी नियुक्ति संविदा, ठेका या मानदेय आधारित न हो रोज़गार सहायक संविदा/मानदेय आधारित कर्मचारी होते हैं, अतः आयोग के मूल नियमों के अनुसार उन्हें BLO बनाया ही नहीं जा सकता। चुनावी कामकाज पूर्णत: निष्पक्ष और स्वतंत्र होना अनिवार्य BLO को मतदाता सूची संबंधी दस्तावेज, फॉर्म 6/7/8 की प्रक्रिया, घर-घर सत्यापन और बूथ की निगरानी जैसे कार्य करने होते हैं। इसके लिए ऐसी नियुक्ति आवश्यक मानी गई है जो किसी प्रशासनिक दबाव से मुक्त हो।
रोज़गार सहायकों की नियुक्ति, नवीनीकरण और कार्य पर सीधा प्रभाव पंचायतों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों का होता है, ऐसे में उनका BLO बनना निष्पक्षता के सिद्धांत के विपरीत है।
*रोज़गार सहायक भूमिका, कार्य और नियम*
रोज़गार सहायक MGNREGA और पंचायत विभाग की मुख्य कड़ी होते हैं। उनके कामों में शामिल हैं नरेगा मजदूरों का पंजीयन जॉब कार्ड का सत्यापन मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया लेखा-जोखा कार्यस्थल प्रबंधन ग्राम पंचायत स्तर की विकास योजनाओं का संचालन इन सभी कामों को करने के बाद रोज़गार सहायक पहले से ही काम के अत्यधिक दबाव में रहते हैं। उन्हें अतिरिक्त रूप से BLO बनाना न सिर्फ उनके मूल कार्यों को प्रभावित करता है बल्कि यह विभागीय नियमों के भी विरोध में है।
*दोहरी जिम्मेदारी की समस्या प्रशासनिक दृष्टि से अव्यवहारिक*
चुनाव आयोग और ग्रामीण विकास विभाग दो अलग-अलग प्रणालियाँ एक संविदा कर्मचारी को दो अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी सौंपना व्यवस्थागत टकराव पैदा करता है। BLO का काम चुनाव आयोग के अधीन है जबकि रोज़गार सहायक पंचायत विभाग के अधीन। कानूनी रूप से एक संविदा कर्मचारी दो विभागीय दायित्व नहीं निभा सकता। मूल विभाग के कार्य प्रभावित होना जब रोज़गार सहायक BLO की जिम्मेदारी निभाते हैं, तो विकासात्मक गतिविधियाँ मजदूरों को समय पर भुगतान जॉब कार्ड सत्यापन पंचायत स्तर की फाइलिंग स्पष्ट रूप से प्रभावित होती हैं, जिससे ग्रामीण विकास गति खो देता है। BLO के लिए प्रतिदिन फील्ड विजिट की आवश्यकता
मतदाता सूची सत्यापन, मृत मतदाताओं का विलोपन, नए मतदाताओं का पंजीयन और घर-घर सर्वेक्षण जैसे कार्य रोज़गार सहायक अपनी मूल जिम्मेदारियों के साथ नहीं निभा पाते।
*संविदा पद पर अतिरिक्त दायित्व सौंपना कानूनी रूप से गलत*
रोज़गार सहायक स्थायी कर्मचारी नहीं होते। उनकी नियुक्ति अनुबन्ध पर आधारित होती है। अनुबंध में कहीं भी BLO जैसे चुनावी दायित्व का उल्लेख नहीं किया गया है। ऐसे में उन्हें BLO बनाने का कोई भी मौखिक या लिखित निर्देश नियमों के बाहर माना जाएगा।कानूनी रूप से संविदा कर्मचारी को अनुबंध से बाहर काम नहीं दिया जा सकता। यह श्रम कानूनों और कार्य सेवा नियमों के विरुद्ध है।
*न्यायालयों के आदेश और प्रशासनिक सिद्धांत*
कई राज्यों में न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि संविदा कर्मचारी को विभागीय कार्यों से हटाकर चुनावी कार्य कराना अनुचित है संविदा कर्मियों की नौकरी असुरक्षित होती है, ऐसे में उन पर अतिरिक्त दबाव डालना असंगत है जिम्मेदारी केवल उसी कर्मचारी को दी जानी चाहिए जिसके पास स्थायी अधिकार और सरकारी सुरक्षा हो यह सिद्धांत रोज़गार सहायकों पर पूर्णत: लागू होता है।
*व्यावहारिक कठिनाइयाँ और जमीनी समस्याएँ*
रोज़गार सहायक पहले से ही पंचायत सचिव और जनप्रतिनिधियों के दबाव में कार्य करते हैं। BLO बनने पर राजनीतिक हस्तक्षेप और बढ़ जाता है, जिससे उनका काम और निष्पक्षता दोनों खतरे में पड़ते हैं। यात्रा और समय का अभाव BLO को प्रतिदिन फील्ड में रहना पड़ता है। रोज़गार सहायक पंचायत और नरेगा के काम से ही मुक्त नहीं हो पाते, ऐसे में BLO का कार्य अव्यवहारिक है। डेटा और तकनीकी प्रशिक्षण का अभाव BLO के कार्य तकनीकी और डाटा आधारित होते हैं NVSP, GARUDA, BLO App
संविदा कर्मचारी को इनका उचित प्रशिक्षण न होना त्रुटियाँ उत्पन्न करता है।
*इस पर होना चाहिए तत्काल ध्यान आकर्षित*
यह चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन है। यह रोज़गार सहायकों के अनुबंध का उल्लंघन है। यह दोहरी विभागीय जिम्मेदारी देकर अव्यवस्था उत्पन्न करता है।इससे मतदाता सूची की गुणवत्ता प्रभावित होती है। ग्रामीण विकास योजनाओं का कार्य बाधित होता है। संविदा कर्मचारियों पर अनुचित प्रशासनिक दबाव बढ़ता है। यह कानूनी और नैतिक रूप से अवैध है। सभी प्रावधानों, नियमों और वास्तविक परिस्थितियों का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि रोज़गार सहायकों को BLO बनाना पूरी तरह नियम-विरुद्ध, असंवैधानिक और प्रशासनिक दृष्टि से अव्यवहारिक है।
चुनाव आयोग को इस मामले में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करते हुए संविदा पदों को BLO की जिम्मेदारी से मुक्त करना चाहिए, ताकि मतदाता सूची की गुणवत्ता बनी रहे नरेगा और पंचायत योजनाएँ बाधित न हों संविदा कर्मियों का शोषण रुक सके प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता कायम रहे यदि आवश्यक हो तो BLO के लिए अलग से स्थायी पद सृजित किए जाएँ या मौजूदा स्थायी कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी जाए। एक सुदृढ़ लोकतंत्र में नियम सर्वोपरि हैं, और नियमों की अनदेखी करके संविदा कर्मचारियों को दोहरे दायित्व देना न तो न्यायसंगत है और न ही व्यावहारिक।

बिलकुल सही 🙏
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