जंगली सुअर के हमले में घायल वृद्ध को चारपाई में लादकर डेढ़ किलोमीटर तक पैदल निकले ग्रामीण, यहाँ नहीं पहुचीं एम्बुलेंस फिर निजी वाहन से पहुँचाया उमरियापान अस्पताल,गांव तक सड़क नहीं होने से ग्रामीण परेशान,ढीमरखेड़ा तहसील के सारंगपुर से झकाझोर तक की सड़क खराब, प्रशासन की अनदेखी से नाराज ग्रामीण
जंगली सुअर के हमले में घायल वृद्ध को चारपाई में लादकर डेढ़ किलोमीटर तक पैदल निकले ग्रामीण, यहाँ नहीं पहुचीं एम्बुलेंस फिर निजी वाहन से पहुँचाया उमरियापान अस्पताल,गांव तक सड़क नहीं होने से ग्रामीण परेशान,ढीमरखेड़ा तहसील के सारंगपुर से झकाझोर तक की सड़क खराब, प्रशासन की अनदेखी से नाराज ग्रामीण
ढीमरखेड़ा | ग्रामीण क्षेत्र में सड़क के अभाव ने एक बार फिर व्यवस्था की पोल खोल दी है। झकाझोर में शनिवार को जंगली सुअर ने खेत पहुँचे एक वृद्ध पर हमला कर दिया।घायल वृद्ध को स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए परिजन व ग्रामीणों को एम्बुलेंस की जगह चारपाई का सहारा लेना पड़ा। कीचड़ भरे रास्ते और ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों से होकर चारपाई पर लिटाए मरीज को डेढ़ किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक लाया गया, जहाँ से निजी वाहन से अस्पताल भेजा गया।
ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत खंदवारा ग्राम पंचायत के सारंगपुर के झकाझोर निवासी हुकुमचंद पटेल (65) शनिवार सुबह फसल देखने खेत गए थे। इसी दौरान एक वन्य प्राणी(जंगली सुअर) ने वृद्ध पर हमला कर दिया। वन्यप्राणी ने जबड़े से घुटने के ऊपर पकड़ा और पूरा मांस नोच डाला। वृद्ध चीख पुकार करते हुए खेत से जान बचाकर गांव की तरफ भागा। ग्रामीणों ने वृद्ध को चिल्लाता सुन बचाव के लिए दौड़े। ग्रामीणों ने देखा कि वृद्ध खेत की मेढ़ पर घायल पड़ा हैं। घुटने के ऊपर से खून बह रहा है। ग्रामीणों ने एम्बुलेंस को फोन लगाया। एम्बुलेंस भी नहीं पहुँची। वृद्ध के परिजनों और ग्रामीणों ने आनन फानन चारपाई निकाली और वृद्ध को लिटाया। झकाझोर से सारंगपुर तक डेढ़ किलोमीटर कीचड़ से सने उबड़ खाबड़ रास्ते से चारपाई से लाये।यहाँ भी एम्बुलेंस नहीं पहुँची तो सारंगपुर से किराए से निजी वाहन कर उमरियापान अस्पताल पहुँचाया, जहाँ वृद्ध का उपचार जारी है। गांव के ग्रामीणों का कहना है कि झकाझोर से सारंगपुर तक सड़क खराब होने से बारिश के दिनों में आवागमन मुश्किल भरा होता है।गांव तक पहुँचने का कोई पक्का रास्ता नहीं है। बारिश के दिनों कीचड़ और दलदल से होकर गुजरना पड़ता है। कठिन डगर में ग्रामीण अपना सफर तय करते है। वर्षों से सड़क की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई। बरसात में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है।गांव में यदि किसी की तबीयत बिगड़ती है तो अस्पताल पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं होता।कई बार समय पर इलाज न मिलने से लोगों की जान तक खतरे में पड़ जाती है।
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