उमरियापान में कल धूमधाम से मनाई जाएगी नागपंचमी, पर्व के उपलक्ष्य में बंद रहेंगे चौरसिया समाज के सभी प्रतिष्ठान
उमरियापान में कल धूमधाम से मनाई जाएगी नागपंचमी, पर्व के उपलक्ष्य में बंद रहेंगे चौरसिया समाज के सभी प्रतिष्ठान
ढीमरखेड़ा | भारत एक सांस्कृतिक देश है जहाँ हर दिन कोई न कोई पर्व या त्योंहार किसी न किसी क्षेत्र, समुदाय या परंपरा के अनुसार मनाया जाता है। इन पर्वों का सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इन्हीं पर्वों में से एक है नागपंचमी, जो नाग देवताओं की पूजा के लिए समर्पित होती है। इस अवसर पर विशेष रूप से चौरसिया समाज की आस्था और सहभागिता देखने को मिलती है।
*उमरियापान नगर श्रद्धा और भक्ति का केंद्र*
उमरियापान के लोग इस बार नागपंचमी पर भव्य आयोजनों की तैयारी में जुटे है। स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार नागपंचमी पर पूजा करने से संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। खासकर चौरसिया समाज इस पर्व को अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाता है। यही कारण है कि कल यानी नागपंचमी के दिन उमरियापान में चौरसिया समाज के सभी प्रतिष्ठान पूर्णतः बंद रहेंगे और समाज के सभी सदस्य पूजा-पाठ और आयोजन में हिस्सा लेंगे। नागपंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। हिन्दू शास्त्रों में नागों को धरती के रक्षक, पाताल लोक के अधिपति और भगवान शिव के गले का आभूषण माना गया है। इसी कारण नागपंचमी का दिन विशेष होता है। उमरियापान में नागपंचमी को लेकर इस बार विशेष उत्साह है। नगर के प्रमुख मंदिरों की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई का कार्य हो चुका है।
*चौरसिया समाज की भूमिका*
चौरसिया समाज परंपरागत रूप से नागपंचमी को अत्यधिक श्रद्धा से मनाता है। इस समाज की मान्यता है कि नाग देवता उनकी कुलदेवी-देवता के रूप में पूजनीय हैं। इसीलिए समाज के सभी सदस्य इस दिन अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखते हैं और पूजा, भजन-कीर्तन, प्रसाद वितरण जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं।
*प्रतिष्ठानों का बंद रहना एक सामाजिक संदेश*
प्रतिष्ठानों को बंद रखने का निर्णय समाज की एकता और परंपराओं के प्रति आस्था का प्रतीक है। यह एक सकारात्मक संदेश देता है कि व्यवसाय से भी पहले हमारी संस्कृति और आस्था है। इस दिन प्रातःकाल स्नान करके लोग नाग देवता की पूजा करते हैं। चंदन, दूध, कुशा, अक्षत और दूब से नाग देवता को प्रसन्न किया जाता है। मिट्टी से नाग की मूर्ति बनाकर घर के दरवाजे या दीवार पर स्थापित किया जाता है और वहां पर पूजा की जाती है। दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत) दूर्वा, चंदन, कुश, के साथ पूजा की जाती हैं।
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