मध्यप्रदेश पटवारी संघ के जिला और तहसील स्तर पर नेतृत्व में बदलाव, अशोक सिंह बागरी बने कार्यकारी जिलाध्यक्ष, ढीमरखेड़ा तहसील की कमान महेंद्र त्रिपाठी को सौंपी गई
मध्यप्रदेश पटवारी संघ के जिला और तहसील स्तर पर नेतृत्व में बदलाव, अशोक सिंह बागरी बने कार्यकारी जिलाध्यक्ष, ढीमरखेड़ा तहसील की कमान महेंद्र त्रिपाठी को सौंपी गई
ढीमरखेड़ा | सरकारी तंत्र के आधारभूत स्तंभों में से एक पटवारी व्यवस्था है, जो भूमि संबंधी मामलों की निगरानी, रिकॉर्ड संधारण और शासन की नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाती है। मध्यप्रदेश में पटवारी संघ एक मजबूत और संगठित इकाई के रूप में उभरा है, जो न केवल अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि प्रशासनिक संरचना को सुदृढ़ करने में भी सहायक होता है। ऐसे ही एक महत्त्वपूर्ण संगठनात्मक निर्णय के तहत कल रेस्ट हाउस कटनी में मध्यप्रदेश पटवारी संघ का निर्वाचन संपन्न हुआ, जिसमें अनेक पदाधिकारियों का सर्वसम्मति से चयन किया गया। इस ऐतिहासिक निर्णय में पूर्व तहसील अध्यक्ष अशोक सिंह बागरी को कार्यकारी जिलाध्यक्ष और महेंद्र त्रिपाठी को तहसील अध्यक्ष ढीमरखेड़ा चुना गया। कटनी के रेस्ट हाउस में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में जिलेभर के पटवारीगण, वरिष्ठ अधिकारीगण, संघ के सदस्य एवं विशेष आमंत्रित अतिथि उपस्थित रहे। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए चुनाव की पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी एवं शांति पूर्ण ढंग से संपन्न हुई। इस चुनाव में किसी प्रकार की गुटबाजी या विवाद की कोई खबर नहीं आई, जो दर्शाता है कि संघ के सदस्य अपने संगठनात्मक मूल्यों के प्रति सजग हैं। अशोक सिंह बागरी को उनके कार्य, अनुभव एवं संगठनात्मक निष्ठा को देखते हुए सर्वसम्मति से कार्यकारी जिलाध्यक्ष चुना गया। वहीं महेंद्र त्रिपाठी को उनके अनुशासन, सक्रियता और जनसंपर्क कौशल को मद्देनज़र रखते हुए तहसील अध्यक्ष ढीमरखेड़ा की जिम्मेदारी दी गई।
*अशोक सिंह बागरी सेवा, संघर्ष और संगठन के प्रतीक*
अशोक सिंह बागरी का नाम ढीमरखेड़ा तहसील और कटनी जिले में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। पटवारी संघ में उनकी लंबी सेवा यात्रा, संगठन के लिए उनका समर्पण और प्रशासनिक कुशलता उन्हें एक लोकप्रिय एवं प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित करती है। उन्होंने पहले तहसील अध्यक्ष के रूप में भी अपनी योग्यता और दूरदर्शिता का परिचय दिया था। उनके कार्यकाल में अनेक समस्याओं का समाधान हुआ, चाहे वह भू-अभिलेखों की डिजिटाइजेशन, पटवारियों की सेवा शर्तों में सुधार या फिर राजस्व अभिलेखों की पारदर्शिता की बात हो।अशोक बागरी उन गिने-चुने नेतृत्वकर्ताओं में से हैं जो केवल भाषणों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करके अपनी भूमिका सिद्ध करते हैं। कार्यकारी जिलाध्यक्ष का पद न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान का सम्मान है, बल्कि यह पद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी देता है, ताकि वे पूरे जिले के पटवारी समुदाय की आवाज़ बन सकें।
*महेंद्र त्रिपाठी नवाचार और नेतृत्व के युवा प्रतीक*
महेंद्र त्रिपाठी की नियुक्ति ढीमरखेड़ा तहसील के लिए एक उत्साहवर्धक संकेत है। वे युवा हैं, ऊर्जावान हैं और अपने कार्य के प्रति पूर्णतः समर्पित हैं। वे पटवारी संघ के प्रति अपनी निष्ठा और कार्यक्षमता के लिए जाने जाते हैं। उनकी कार्यशैली में अनुशासन, न्यायप्रियता और संगठनात्मक समन्वय की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। पटवारियों की नियमित समस्याओं का समाधान, स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता, तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था, विभागीय समन्वय को मजबूत बनाना। उनके पास डिजिटल टेक्नोलॉजी की समझ भी है, जिससे वे भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण को और गति प्रदान कर सकते हैं।
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