कटनी वनमंडल में वनभूमि को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए रेंजर अजय मिश्रा एवं टीम का सराहनीय अभियान
ढीमरखेड़ा | वनों का संरक्षण एवं अतिक्रमण से मुक्ति आज के समय में अत्यंत आवश्यक है। बढ़ती जनसंख्या, लालच और असंवेदनशीलता के चलते देशभर के वन क्षेत्र सिकुड़ते जा रहे हैं। ऐसे समय में कटनी जिले के ढीमरखेड़ा परिक्षेत्र में रेंजर अजय मिश्रा और उनकी टीम द्वारा जो अदम्य साहस और कर्तव्यनिष्ठा दिखाई गई है, वह पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श बनकर उभरी है। ढीमरखेड़ा परिक्षेत्र के शाहडार गांव के समीप बीट पोड़ी का कक्ष क्रमांक आर-279 वर्षों से अतिक्रमण की समस्या से जूझ रहा था। आसपास के ग्रामवासियों की मिलीभगत से बाहरी जिलों के लोगों ने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध कब्जा कर रखा था। लगातार समझाइश के बावजूद अतिक्रमणकारी पीछे हटने को तैयार नहीं थे। भारतीय संविधान और वन कानूनों को धत्ता बताते हुए ये लोग महिलाओं को आगे कर प्रशासन और वन विभाग को दबाव में लेने का प्रयास करते थे।
*रेंजर अजय मिश्रा का संघर्ष*
रेंजर अजय मिश्रा ने अपनी नियुक्ति के बाद इस समस्या को गंभीरता से लिया। पहले उन्होंने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए अतिक्रमणकारियों को समझाने का प्रयास किया। कई बार बैठकें बुलाई गईं, गांव में जागरूकता अभियान चलाए गए, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने इसे उनकी कमजोरी समझा। महिलाएं लाठी-डंडों के साथ सामने लाकर प्रतिरोध किया जाने लगा, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
*कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत*
अजय मिश्रा ने नियमानुसार कार्यवाही करते हुए वन अपराध प्रकरण दर्ज किए और भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 80 के तहत बेदखली का आदेश कटनी वनमंडल अधिकारी श्री गौरव शर्मा के माध्यम से प्राप्त किया। इसके बावजूद अतिक्रमणकारी हटने को तैयार नहीं थे। यह स्थिति अब केवल विभागीय चुनौती नहीं रही, बल्कि कानून व्यवस्था का भी विषय बन गई थी।
*जिला प्रशासन से समन्वय*
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रेंजर अजय मिश्रा ने उच्चाधिकारियों से संपर्क साधा। जिला कलेक्टर श्री दिलीप कुमार यादव और पुलिस अधीक्षक श्री अभिजीत रंजन के निर्देशन में वन, राजस्व और पुलिस विभाग का संयुक्त अभियान चलाने का निर्णय लिया गया।
*बेदखली अभियान की योजना*
यह अभियान अत्यंत संवेदनशील था। इसमें किसी भी तरह की हिंसा या अप्रिय घटना की आशंका को देखते हुए विशेष रणनीति बनाई गई। पुलिस विभाग से 10 सशस्त्र जवानों की तैनाती सुनिश्चित की गई, वहीं राजस्व विभाग से नायब तहसीलदार स्लीमनाबाद श्री राजकुमार नामदेव के नेतृत्व में 5 सदस्यीय टीम तैयार हुई।वन विभाग से उप वनमंडलाधिकारी पश्चिम कटनी श्री सुरेश बरौले के मार्गदर्शन में तीन वन परिक्षेत्र अधिकारियों ढीमरखेड़ा से श्री अजय मिश्रा, बहोरीबंद से श्री देवेश गौतम और रीठी से श्री महेश पटेल ने नेतृत्व संभाला। 70 वन कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण देकर इस कार्य के लिए तैयार किया गया। दिनांक 26 अप्रैल 2024 को प्रातः 8 बजे पूरे दल ने अभियान की शुरुआत की। पुलिस बल ने पहले क्षेत्र को चारों ओर से घेरा, ताकि अतिक्रमणकारी भाग न सकें या अव्यवस्था उत्पन्न न करें। वन विभाग के अधिकारी हर कदम पर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवा रहे थे ताकि किसी भी आरोप-प्रत्यारोप से बचा जा सके।
*अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही*
जैसे ही बेदखली की कार्यवाही शुरू हुई, अतिक्रमणकारियों ने फिर महिलाओं को आगे कर विरोध करने का प्रयास किया, परंतु इस बार प्रशासन पूरी तैयारी के साथ आया था। महिला पुलिस बल भी मौके पर मौजूद था, जिसने स्थिति को सहेजते हुए कानून सम्मत तरीके से महिलाओं को समझाइश दी और अलग किया। वन विभाग की टीम ने जेसीबी मशीनों का उपयोग करते हुए अवैध झोपड़ियां, खेतों की मेड़बंदी और अन्य निर्माणों को हटाया। कई जगहों पर फसलें बोई गई थीं, जिन्हें भी हटाया गया। दोपहर होते-होते स्थिति पूरी तरह से प्रशासन के नियंत्रण में आ गई।
*अभियान की सफलता*
संध्या तक करीब 30 से 35 हेक्टेयर क्षेत्र को अतिक्रमणमुक्त कर लिया गया। यह केवल भूमि को खाली कराना नहीं था, बल्कि वन क्षेत्र की रक्षा के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था। इस सफलता के साथ विभाग ने यह संदेश भी दिया कि अवैध अतिक्रमण अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
*कलेक्टर दिलीप कुमार यादव की प्रशासनिक भूमिका सराहनीय*
जिला कलेक्टर श्री दिलीप कुमार यादव ने स्वयं अभियान की मॉनिटरिंग की। कटनी पुलिस अधीक्षक श्री अभिजीत रंजन ने पुलिस व्यवस्था की कमान संभाली। पूरे अभियान के दौरान समय-समय पर अधिकारियों द्वारा समीक्षा बैठकें ली जाती रहीं, ताकि किसी प्रकार की चूक न हो।
*रेंजर अजय मिश्रा की भूमिका*
इस अभियान में रेंजर अजय मिश्रा की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उनकी कुशल रणनीति, धैर्य और नेतृत्व क्षमता ने इस मुश्किल कार्य को सफल बनाया। वे लगातार टीम के साथ सक्रिय रहे, कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाते रहे और हर छोटे-बड़े निर्णय में मार्गदर्शन करते रहे। अभियान के बाद आसपास के जागरूक नागरिकों ने भी वन विभाग के प्रयासों की सराहना की। कई सामाजिक संगठनों ने रेंजर अजय मिश्रा और उनकी टीम को सम्मानित करने की घोषणा की। वहीं जो लोग जंगल का दोहन कर रहे थे, उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही का डर अन्य संभावित अतिक्रमणकारियों के लिए भी चेतावनी बन गया।
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