समर्पण और सेवा की प्रतीक, पोड़ी कला बी की आशा कार्यकर्ता सुमन मिश्रा
ढीमरखेड़ा | भारत जैसे विशाल और विविधताओं से भरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाना एक अत्यंत कठिन कार्य होता है। ग्रामीण भारत में विशेष रूप से यह चुनौती और भी बढ़ जाती है, जहाँ संसाधनों की कमी, साक्षरता का अभाव, और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता का स्तर अपेक्षाकृत कम होता है। ऐसी परिस्थितियों में जो व्यक्ति अपने सीमित साधनों के साथ पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ कार्य करता है, वह समाज का असली नायक होता है। तहसील ढीमरखेड़ा के ग्राम पोड़ी कला बी की आशा कार्यकर्ता सुमन मिश्रा ऐसी ही एक मिसाल हैं, जिनका कार्य न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि प्रेरणास्रोत भी है।
*आशा कार्यकर्ता का दायित्व*
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को सुलभ बनाने के लिए की गई थी। आशा कार्यकर्ता एक तरह से गाँव की 'स्वास्थ्य सेविका' होती हैं, जो गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, बुजुर्गों, बीमारों, और गरीबों के स्वास्थ्य की देखभाल में सरकार और समुदाय के बीच पुल का काम करती हैं। सुमन मिश्रा ने इस जिम्मेदारी को केवल एक नौकरी के रूप में नहीं, बल्कि सेवा के रूप में अपनाया है। उन्होंने न केवल स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई हैं, बल्कि लोगों के जीवन को छूने का काम किया है। उनकी कार्यशैली, समर्पण और मानवीय संवेदना ने उन्हें पोड़ी कला बी की जनता का प्रिय बना दिया है।
*गर्भवती महिलाओं और मातृत्व स्वास्थ्य में योगदान*
सुमन मिश्रा ने पोड़ी कला बी गाँव में गर्भवती महिलाओं के लिए जो काम किया है, वह सराहना के योग्य है। उन्होंने न केवल महिलाओं को समय-समय पर टीकाकरण, प्रसव पूर्व जांच और संतुलित आहार के बारे में जागरूक किया, बल्कि उन्हें प्रसव के लिए स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहाँ उन्होंने स्वयं गर्भवती महिलाओं को ऑटो या किसी अन्य वाहन की व्यवस्था कर अस्पताल पहुँचाया। सुमन जी यह सुनिश्चित करती हैं कि हर गर्भवती महिला को सरकारी योजनाओं जैसे जननी सुरक्षा योजना, मातृ वंदना योजना, और संस्थागत प्रसव के लाभ मिलें। गाँव की महिलाएं आज गर्भावस्था को लेकर जागरूक हैं, और इसका बहुत बड़ा श्रेय सुमन मिश्रा को जाता है।
*नवजात और शिशु स्वास्थ्य*
नवजात बच्चों की देखभाल में भी सुमन मिश्रा का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने जन्म के बाद नवजात को समय पर टीकाकरण दिलवाना, माँ को स्तनपान के महत्व के बारे में जानकारी देना, और बच्चों के विकास पर सतत निगरानी रखना सुनिश्चित किया। कई अवसरों पर उन्होंने कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) तक पहुँचाया। आज पोड़ी कला बी गाँव में कुपोषण के मामले पहले की तुलना में बहुत कम हो गए हैं, और यह परिवर्तन केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि सुमन मिश्रा जैसी कर्मठ कार्यकर्ताओं के परिश्रम से संभव हुआ है।
बहुत ही सराहनीय कार्य
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