यूपीएससी 2024 की टॉपर शक्ति दुबे एक प्रेरणादायक सफर , मेहनत लाई रंग कलेक्टर बनने का सपना होगा पूरा
ढीमरखेड़ा | संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। हर साल लाखों छात्र-छात्राएं इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन केवल कुछ सौ लोग ही सफलता प्राप्त करते हैं। इस कठिन परीक्षा में जो प्रथम स्थान प्राप्त करता है, वह न केवल देशभर में सुर्खियों में आ जाता है, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन जाता है। वर्ष 2024 की यूपीएससी परीक्षा में यह गौरव हासिल किया प्रयागराज की प्रतिभाशाली बेटी शक्ति दुबे ने। उन्होंने तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल कर इतिहास रच दिया। उनका यह सफर मेहनत, समर्पण, और आत्मविश्वास की एक बेहतरीन मिसाल है।
*शक्ति दुबे का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा*
शक्ति दुबे का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में हुआ। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं, जहाँ शिक्षा को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। उनके माता-पिता ने शुरुआत से ही उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। शक्ति बचपन से ही होनहार और मेहनती छात्रा रही हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एसएमसी इंटर कॉलेज, घूरपुर से प्राप्त की। 12वीं तक की पढ़ाई में वह हमेशा अव्वल रहीं और शिक्षकों की प्रिय छात्रा मानी जाती थीं। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण इस बात से झलकता है कि उन्होंने 12वीं की परीक्षा में भी बेहतरीन अंक प्राप्त किए और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जहाँ उन्होंने बीएससी (विज्ञान वर्ग) की पढ़ाई की। यहाँ भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और गोल्ड मेडलिस्ट बनीं। इसके बाद उनका अगला कदम था पोस्ट ग्रेजुएशन की ओर, जो उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से बायोकैमेस्ट्री में एमएससी करके पूरा किया। यहाँ भी वह गोल्ड मेडल हासिल कर अपने परिवार और शिक्षकों को गौरवान्वित करने में सफल रहीं।
*सिविल सेवा की ओर झुकाव*
वैज्ञानिक शिक्षा में उच्च स्थान पाने के बावजूद शक्ति दुबे का मन हमेशा समाजसेवा और प्रशासन में योगदान देने की ओर आकृष्ट रहा। उनका मानना था कि देश के विकास और समाज की बेहतरी के लिए केवल वैज्ञानिक शोध ही नहीं, बल्कि एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था भी जरूरी है। इसी सोच ने उन्हें यूपीएससी की तैयारी की ओर प्रेरित किया। शक्ति दुबे ने एमएससी के बाद प्रयागराज आकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान उन्होंने अपने समय का विवेकपूर्ण उपयोग किया और पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को भी गहराई से समझना शुरू किया। कई बार वह तैयारी के लिए दिल्ली भी जाती रहीं, जहाँ उन्होंने बेहतर गाइडेंस और टॉपिक-क्लियरिटी पर काम किया।
*कोरोना काल की चुनौती और आत्मनिरीक्षण*
साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में थी, उस समय शक्ति दुबे भी अनेक चुनौतियों का सामना कर रही थीं। दिल्ली से लौटकर वह प्रयागराज में ही रह गईं और वहीं से तैयारी जारी रखी।लॉकडाउन के दौरान उन्होंने आत्मनिरीक्षण किया और अपनी रणनीतियों में बदलाव किए। यह वह समय था जब डिजिटल माध्यमों का अधिक उपयोग हुआ और उन्होंने विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से मटेरियल प्राप्त करके अपने विषयों की गहराई से तैयारी की। उनके भीतर की प्रेरणा और खुद पर विश्वास ने उन्हें आगे बढ़ने से कभी नहीं रोका, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी रही हों।
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