विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक द्वारा ग्रामीण स्कूलों के उन्नयन की मांग, शिक्षा सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक द्वारा ग्रामीण स्कूलों के उन्नयन की मांग, शिक्षा सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
ढीमरखेड़ा | शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है, और जब बात ग्रामीण शिक्षा की आती है, तो इसकी महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की स्थिति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस संदर्भ में, विजयराघवगढ़ विधानसभा के विधायक संजय पाठक द्वारा विधानसभा में कैमोर, गुड़ेहा, डोकरिया सहित अन्य ग्रामों के स्कूलों के उन्नयन की पुरजोर मांग उठाना एक सराहनीय कदम है। श्री पाठक ने विधानसभा में जोर देकर कहा कि इन स्कूलों को शीघ्र हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्तर पर उन्नत किया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को अपने ही गांव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए अन्य गांवों या शहरों की ओर न जाना पड़े। यह पहल न केवल छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को मजबूत करेगी, बल्कि ग्रामीण समाज में शिक्षा को नई दिशा और गति भी प्रदान करेगी।
*अधूरी बुनियादी सुविधाएँ*
ग्रामीण स्कूलों की सबसे बड़ी समस्या बुनियादी सुविधाओं की कमी है। अधिकांश गांवों में स्कूल तो हैं, लेकिन उनमें पर्याप्त कक्षाएं, योग्य शिक्षक, पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं और खेलकूद की सुविधाएँ नहीं हैं। कई स्कूलों में बिजली, पानी, शौचालय और बैठने की व्यवस्था भी नहीं होती, जिससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित होती है।
*उच्च शिक्षा के लिए दूसरे गांव या शहर जाना*
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर स्कूल केवल प्राथमिक या माध्यमिक स्तर तक ही सीमित होते हैं। ऐसे में, जब बच्चे हाईस्कूल या हायर सेकेंडरी में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो उन्हें दूसरे गांवों या कस्बों में जाना पड़ता है। यह न केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए मुश्किल होता है, बल्कि छात्राओं के लिए तो और भी बड़ी चुनौती बन जाता है, क्योंकि ग्रामीण समाज में लड़कियों की शिक्षा को लेकर कई सामाजिक और पारिवारिक बंदिशें होती हैं।
*आर्थिक और सामाजिक बाधाएँ*
ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति आमतौर पर कमजोर होती है। माता-पिता के लिए बच्चों को दूर भेजकर पढ़ाना कठिन होता है, क्योंकि इससे न केवल अतिरिक्त खर्च बढ़ता है, बल्कि सुरक्षा और परिवहन की समस्या भी उत्पन्न होती है। परिणामस्वरूप, कई होनहार छात्र या तो अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं या कम गुणवत्ता वाले निजी स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए मजबूर होते हैं।
*शिक्षकों की कमी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव*
ग्रामीण स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। कई स्कूलों में एक ही शिक्षक को कई कक्षाओं को संभालना पड़ता है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है और छात्र-छात्राओं का बौद्धिक विकास सही तरीके से नहीं हो पाता।
*बालिका शिक्षा की समस्या*
ग्रामीण इलाकों में आज भी लड़कियों की शिक्षा को लेकर जागरूकता की कमी है। माता-पिता उन्हें दूर भेजने से हिचकते हैं और कई बार सुरक्षा कारणों से उनकी पढ़ाई रोक दी जाती है। यदि गांव में ही हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल होंगे, तो लड़कियों को भी आगे की शिक्षा जारी रखने का अवसर मिलेगा।
*शिक्षा का अधिकार और सामाजिक समानता*
विधायक संजय पाठक द्वारा विधानसभा में ग्रामीण स्कूलों के उन्नयन की मांग करना शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है और स्कूलों का उन्नयन किया जाता है, तो ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को समान अवसर मिलेंगे और उन्हें भी शहरों के छात्रों के समान शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
*ग्रामीण विकास को बढ़ावा*
शिक्षा केवल व्यक्तिगत विकास तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह संपूर्ण समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों का उन्नयन होगा, तो वहां के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी और वे उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर हो सकेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ेगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और समाज में सकारात्मक बदलाव आएंगे।
*छात्राओं के लिए शिक्षा सुलभ होगी*
यदि गांवों में ही हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी विद्यालय होंगे, तो लड़कियों को आगे की पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा और वे निर्बाध रूप से अपनी शिक्षा पूरी कर सकेंगी। इससे महिला सशक्तिकरण को भी बल मिलेगा और समाज में लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
*पलायन की समस्या में कमी*
ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के अभाव के कारण कई परिवार अपने बच्चों की शिक्षा के लिए शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर होते हैं। यदि विधायक संजय पाठक की इस मांग को स्वीकार कर लिया जाता है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति सुधरेगी और पलायन की दर में भी कमी आएगी।
*रोजगार और स्थानीय विकास में सुधार*
जब गांवों में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल खोले जाएंगे, तो नए शिक्षकों की भर्ती होगी, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा, शिक्षा के स्तर में सुधार होने से ग्रामीण क्षेत्र के युवा बेहतर नौकरियों के लिए योग्य बनेंगे और उनका आर्थिक स्तर ऊपर उठेगा।
*कैसे किया जा सकता है स्कूलों का उन्नयन?*
सरकार को ग्रामीण स्कूलों के उन्नयन के लिए विशेष बजट आवंटित करना होगा। विधायक संजय पाठक ने विधानसभा में यह मांग उठाकर सही दिशा में पहल की है। अब सरकार को चाहिए कि वह इस पर त्वरित कार्रवाई करे और संसाधनों को सही जगह निवेश करे।
*आधारभूत संरचना का विकास*
स्कूलों में पर्याप्त कक्षाएं, फर्नीचर, पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं, खेल के मैदान और अन्य आवश्यक सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए। इससे छात्रों का शैक्षणिक माहौल बेहतर होगा और वे अधिक रुचि लेकर पढ़ाई कर सकेंगे।
*योग्य शिक्षकों की नियुक्ति*
केवल स्कूलों का उन्नयन ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि वहां योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति भी आवश्यक है। इसके लिए सरकार को शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तेज करना चाहिए और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।
*परिवहन सुविधाओं में सुधार*
ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली बच्चों के लिए बस या अन्य परिवहन सुविधाओं की उपलब्धता भी आवश्यक है। सरकार को इस दिशा में भी कार्य करना चाहिए ताकि दूरदराज के छात्र बिना किसी परेशानी के स्कूल आ-जा सकें।
*सामुदायिक भागीदारी*
ग्रामीण शिक्षा के सुधार के लिए स्थानीय समुदाय, पंचायतों और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी भी आवश्यक है। सामुदायिक सहभागिता से स्कूलों का संचालन और प्रबंधन अधिक प्रभावी होगा। विधायक संजय पाठक द्वारा विधानसभा में ग्रामीण स्कूलों के उन्नयन की मांग उठाना निस्संदेह एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बच्चों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि पूरे राज्य में शिक्षा के प्रति एक नई जागरूकता भी पैदा करेगा। सरकार को चाहिए कि वह इस मांग को गंभीरता से ले और शीघ्र अति शीघ्र इन स्कूलों का उन्नयन करे ताकि बच्चों को इसी शैक्षणिक सत्र से लाभ मिल सके। जब शिक्षा की जड़ें मजबूत होंगी, तभी समाज में सकारात्मक बदलाव आएंगे और ग्रामीण भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा।
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