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पुलिस विभाग के बब्बर शेर, सहायक उप निरीक्षक अवध भूषण दुबे का गौरवशाली पुलिस जीवन, 31 मार्च को ढीमरखेड़ा थाने से होगे सेवानिवृत्त, सेवानिवृत्त की जानकारी सुनके आंखे हुई नम

 पुलिस विभाग के बब्बर शेर, सहायक उप निरीक्षक अवध भूषण दुबे का गौरवशाली पुलिस जीवन, 31 मार्च को ढीमरखेड़ा थाने से होगे सेवानिवृत्त,  सेवानिवृत्त की जानकारी सुनके आंखे हुई नम 



ढीमरखेड़ा |   "सच्चे प्रहरी, अडिग संकल्प, निर्भीक कर्म" इन शब्दों को अगर किसी एक व्यक्ति पर लागू किया जाए, तो वह हैं अवध भूषण दुबे। अपराध की दुनिया में जिनका नाम सुनते ही अपराधियों के दिल कांप उठते थे, आम जनता जिन्हें एक रक्षक के रूप में देखती थी, और जिनकी उपस्थिति मात्र से ही लोग सुरक्षित महसूस करते थे ऐसे थे ढीमरखेड़ा थाने के सहायक उप निरीक्षक अवध भूषण दुबे। 01 मार्च 1982 को जब उन्होंने मध्य प्रदेश पुलिस की सेवा में कदम रखा था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह व्यक्ति आने वाले चार दशकों तक अपने साहस, कर्तव्यपरायणता और निडरता के लिए बब्बर शेर के नाम से जाना जाएगा। 43 वर्षों से अधिक की सेवा के बाद, 31 मार्च 2025 को वे ढीमरखेड़ा थाने से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन उनके किए गए कार्य और उनकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी।

*अपराधियों के लिए काल "बब्बर शेर"*

अपराध की दुनिया में कुछ पुलिस अधिकारी ऐसे होते हैं जिनका नाम ही अपराधियों के लिए डर पैदा करता है। अवध भूषण दुबे भी उन्हीं चुनिंदा अधिकारियों में से एक थे। उनके करियर में ऐसे कई मामले आए जहां दूसरे पुलिस अधिकारी असमंजस में पड़ गए, लेकिन जब यह कार्य अवध भूषण दुबे को सौंपा गया, तो उन्होंने उसे इतनी सरलता से पूरा किया कि लोग अचंभित रह गए। जब भी कोई बड़ा अपराध होता था, कोई मुश्किल केस सामने आता था, तो पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी यही कहते थे  "अवध भूषण दुबे हैं, चिंता करने की जरूरत नहीं।" अवैध शराब माफिया, कुख्यात लुटेरे, गैंगस्टर, और संगठित अपराधियों पर उन्होंने बब्बर शेर की तरह हमला किया और उन्हें जेल के अंदर पहुंचाया। उनके साहसिक कार्यों की वजह से अपराधी थाना क्षेत्र से दूर भागने में ही अपनी भलाई समझते थे।

*अद्वितीय सेवा भावना और पुलिसिंग का नया मापदंड*

अवध भूषण दुबे सिर्फ अपराधियों के लिए ही काल नहीं थे, बल्कि आम जनता के लिए एक संरक्षक, मार्गदर्शक और मददगार अधिकारी भी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में हमेशा जनता की सेवा को प्राथमिकता दी।

*न्याय की नई परिभाषा दी*

उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में सिर्फ कानून का पालन ही नहीं किया, बल्कि न्याय को प्राथमिकता दी। कई मामलों में जहां लोग अन्याय का शिकार हुए, वहां उन्होंने बिना किसी दबाव के निष्पक्ष न्याय दिलाया।

 *गरीबों और असहाय लोगों की मदद की*

पुलिस की वर्दी पहने कई अधिकारी अपने कार्यों को सिर्फ एक औपचारिकता मानते हैं, लेकिन अवध भूषण दुबे ने इसे समाज सेवा का जरिया बनाया। उन्होंने उन गरीब और असहाय लोगों की मदद की, जो न्याय के लिए दर-दर भटक रहे थे।

 *पुलिस छवि को सुधारने का कार्य किया*

जहां आमतौर पर पुलिस को कठोर और निर्मम माना जाता है, वहीं अवध भूषण दुबे ने अपने व्यवहार, सौम्यता और न्यायप्रियता से पुलिस की छवि को सकारात्मक बनाया। लोगों में उनका इतना विश्वास था कि अगर किसी को कोई समस्या होती थी, तो वे सबसे पहले अवध भूषण दुबे को याद करते थे।

*सबसे चुनौतीपूर्ण मामले जिनमें अवध भूषण दुबे ने दिखाई अपनी वीरता*

अनेकों जगह में कुख्यात डकैत गिरोह का सफाया, एक समय था जब चोरों का कुछ इलाकों में डकैतों का आतंक था। ये गिरोह न केवल लूटपाट करते थे बल्कि आम लोगों के जीवन के लिए भी खतरा बन गए थे। तब अवध भूषण दुबे ने साहस और रणनीति से इस गिरोह का सफाया किया। अवध भूषण दुबे ने अपनी सेवा के दौरान एक बड़े मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया, जिसमें कई मासूम बच्चियों को गलत कामों में धकेला जा रहा था। इस मामले में उन्होंने न केवल अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया, बल्कि पीड़ित परिवारों को भी न्याय दिलाया। मध्य प्रदेश के कई इलाकों में अवैध हथियारों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन अवध भूषण दुबे की सक्रियता के कारण कई तस्कर गिरफ्तार किए गए और अवैध हथियार जब्त किए गए।

*कर्मठता और ईमानदारी का दूसरा नाम*

एक पुलिस अधिकारी के रूप में अवध भूषण दुबे की ईमानदारी और कर्मठता ने उन्हें अन्य अधिकारियों से अलग बनाया। उन्होंने कभी किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं किया और कभी गलत तरीके से किसी से एक पैसा तक नहीं लिया। वे हमेशा कानून के प्रति जवाबदेह रहे और उन्होंने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी यही सिखाया कि पुलिस का असली कार्य जनता की सेवा करना है। कई बार उन्हें राजनीतिक दबावों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्य से कोई समझौता नहीं किया।

*सेवानिवृत्ति एक युग का अंत लेकिन प्रेरणा की शुरुआत*

31 मार्च 2025 को जब अवध भूषण दुबे ढीमरखेड़ा थाने से सेवानिवृत्त होंगे, तो उनके साथ सिर्फ एक पुलिस अधिकारी नहीं, बल्कि एक युग समाप्त हो जाएगा। उनके सेवानिवृत्त होने की खबर से लोगों की आंखें नम हो गई हैं। आम जनता और उनके सहकर्मी उनकी कमी महसूस करेंगे, क्योंकि अब जब भी कोई मुश्किल काम आएगा, तो यह सोचना पड़ेगा कि "अब अवध भूषण दुबे नहीं हैं, अब यह काम कौन करेगा?" लेकिन उनका कर्म, उनकी बहादुरी और उनकी ईमानदारी हमेशा पुलिस विभाग और जनता के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।

*अवध भूषण दुबे की सेवा को सलाम*

"अपराधियों के लिए काल,

जनता के लिए ढाल।

कभी न किया अन्याय,

हमेशा रखा पुलिस का मान।

अब सेवानिवृत्त हो रहे हैं,

पर यादों में सदा रहेंगे।

ढीमरखेड़ा की जनता कहेगी,

हमारे बब्बर शेर हमेशा जिएंगे।" 

लिहाजा अवध भूषण दुबे का 43 वर्षों और 1 महीने का यह सफर सिर्फ पुलिस सेवा तक सीमित नहीं था, बल्कि यह समाज सेवा और न्याय की लड़ाई का सफर था। आज वे सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन उनकी कहानियां, उनकी बहादुरी और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। ढीमरखेड़ा और पूरे पुलिस विभाग के लिए यह एक भावनात्मक पल है, लेकिन सच यह है कि बब्बर शेर का प्रभाव हमेशा बना रहेगा। अवध भूषण दुबे को उनकी शानदार सेवा के लिए शत-शत नमन!

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