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जिसकी हैं छवि ख़राब वो अपनी प्रशंसा बताएगा ज्यादा, जिसके पास होगा ज्यादा ज्ञान वो रहेगा शांत, शांत होना बुद्धिजीवी होने की पहचान

 जिसकी हैं छवि ख़राब वो अपनी प्रशंसा बताएगा ज्यादा, जिसके पास होगा ज्यादा ज्ञान वो रहेगा शांत, शांत होना बुद्धिजीवी होने की पहचान 



ढीमरखेड़ा |  इंसान के भीतर की खामोशी और उसके बाहरी आचरण के बीच के अंतर को उजागर करता है। यहां एक रहस्यमय रूप से हमें यह बताया जा रहा है कि जिनमें गहरी समझ, अनुभव और आत्मीयता होती है, वे बाहर से शांत और शांतिपूर्ण दिखाई देते हैं। जबकि जो इंसान दिखावा करते हैं या जिनमें आंतरिक शांति की कमी होती है, उनका शोर अक्सर ज्यादा होता है । जब हम सोचते हैं, समझते हैं और अपने भीतर की गहराई को महसूस करते हैं, तो हम अपने विचारों को व्यक्त करते समय कम शोर करते हैं, और हमारी खामोशी में भी गहरी आवाज़ होती है। दूसरी ओर, जिनके पास आत्मिक गहराई नहीं होती या जिनके पास कहने के लिए कुछ ठोस नहीं होता, वे बाहरी शोर करते हैं, ताकि उनकी कमी छिपी रहे।

*समुंदर और दरिया का प्रतीकात्मक अर्थ*

"दरिया" और "समुंदर" दोनों ही विशाल जलराशियाँ हैं, जो अपने आप में एक दुनिया की तरह होती हैं। दरिया का शोर यह दर्शाता है कि यह अपने रास्ते पर बहुत तेजी से बहता है, और जो पानी इसमें होता है, वह सतह पर दिखाई देता है। दूसरी ओर, समुंदर गहरे होते हुए भी अपनी गहराई में चुप रहता है। इसका शोर, इसकी लहरों का आंदोलन, बाहर से अधिक दिखता है, जबकि इसका आंतरिक सुकून और गहराई अनदेखी रहती है। यह फर्क न केवल पानी के रूप में दिखता है, बल्कि इंसान की आत्मा और व्यवहार में भी देखा जा सकता है। जिनमें गहरे विचार होते हैं, वे अपनी आत्मीयता और समझ को बाहर नहीं आने देते, जबकि जो निहायत ही सतही होते हैं, वे बहुत अधिक शोर मचाते हैं, ताकि लोग उनके भीतर की असलियत को न जान पाएं। यह शेर हमसे यह भी कहता है कि सच्ची शांति वह होती है जो बिना दिखावा किए, बिना बाहरी शोर के, बस अपने भीतर से आती है।

*खामोशी का गहरा अर्थ*

खामोशी का महत्व इस शेर में गहरे तरीके से समाहित है। यह खामोशी सिर्फ शब्दों की कमी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी स्थिति है जहां इंसान के भीतर पूरी दुनिया समाई हुई होती है। यह खामोशी हमारी समझ, हमारी सोच और हमारी परिपक्वता को दर्शाती है। ऐसे लोग जो अपनी बातों को और अपनी भावनाओं को समझदारी से व्यक्त करते हैं, वे अक्सर शांत होते हैं, क्योंकि उनकी बातों में शक्ति होती है। वे जानते हैं कि शब्दों से ज्यादा काम आत्मिक शांति और व्यवहार से होता है।

*मूर्ख करते हैं बहस समझदार करते हैं अपने कार्य*

इस शेर में "ज़र्फ़" शब्द का उपयोग भी महत्वपूर्ण है। ज़र्फ़ का मतलब है क्षमता या समर्पण, जिसे हम आमतौर पर जीवन के हर पहलू में देख सकते हैं। जब इंसान का ज़र्फ़ बढ़ता है, उसकी आत्मा गहरी होती है, तो वह अपनी समझ के साथ व्यवहार करता है। इस गहराई में उसे शोर करने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि वह जानता है कि उसकी शांति और उसकी समझ ही सबसे बड़ी बात है।इस शेर को हम समाज और राजनीति के संदर्भ में भी देख सकते हैं। अक्सर हमें ऐसे लोग मिलते हैं, जो शोर मचाते हैं, क्योंकि उनके पास कुछ ठोस बात नहीं होती, जो दूसरों को प्रभावित कर सके। वे अपने शोर से अपनी कमजोरी छिपाने की कोशिश करते हैं। जबकि जिनके पास सही दृष्टिकोण, मजबूत विचार और आत्मीयता होती है, वे अक्सर चुप रहते हैं। उनका शोर उनके कामों और उनकी क्रियाओं से अधिक प्रभावी होता है । धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इस शेर का गहरा संबंध है। साधू, योगी या संत जो अपनी साधना में मग्न रहते हैं, वे बाहरी दुनिया से दूर रहते हैं और अपनी आत्मा की गहराई में समाहित रहते हैं। वे शांति का अनुभव करते हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी अंतरात्मा को पहचाना है और उनकी खामोशी में एक गहरी आवाज़ होती है। वे जानते हैं कि बाहरी शोर से कोई स्थायी बदलाव नहीं होता, केवल आंतरिक शांति से ही जीवन में असली परिवर्तन आता है गौरतलब हैं कि जीवन में गहरी समझ और वास्तविकता का अहसास करने वाले लोग अक्सर शांत रहते हैं, क्योंकि उनका आत्मविश्वास और ज्ञान शब्दों से नहीं, बल्कि उनके कार्यों और विचारों से व्यक्त होता है। जो लोग कम जानते हैं या जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है, वे ज्यादा शोर करते हैं ताकि अपनी कमजोरी को छिपा सकें। यह शेर जीवन के एक गहरे रहस्य को उजागर करता है और हमें अपनी अंदर की शांति को समझने का एक अवसर देता है।

टिप्पणियाँ

  1. आज कल ऐसे लोग बहुत ही कम देखने को मिलते हैं पत्रकार महोदय जी।

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