खमरिया बागरी सरपंच अनिल बागरी अपने धार्मिक कार्यों के लिए समर्पित, अमरता दे मनुजता को, वो दर्शन मिट नहीं सकता न जाने मिट गए कितने मिटाने का लिए सपना अमर है जो युगों से वो सनातन मिट नहीं सकता
खमरिया बागरी सरपंच अनिल बागरी अपने धार्मिक कार्यों के लिए समर्पित, अमरता दे मनुजता को, वो दर्शन मिट नहीं सकता न जाने मिट गए कितने मिटाने का लिए सपना अमर है जो युगों से वो सनातन मिट नहीं सकता
ढीमरखेड़ा | आज के समय में, जब भारतीय संस्कृति और परंपरा को तोड़ने-मिटाने के प्रयास किए जा रहे हैं, तब अनिल बागरी जैसे समाजसेवी और नेतृत्वकर्ताओं के विचार हमें यह संदेश देते हैं कि सनातन संस्कृति केवल धार्मिक परंपराओं तक सीमित नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जो युगों-युगों से मानवता को राह दिखाता आया है। "अमरता दे मनुजता को", यह पंक्ति यह दर्शाती है कि सनातन संस्कृति केवल आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं, बल्कि यह संपूर्ण मानवता को अमरत्व प्रदान करने वाला एक दर्शन है। सनातन का अर्थ ही होता है – जो सदा से है, जो अनश्वर है, जो कभी समाप्त नहीं हो सकता। सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश, सनातन धर्म केवल एक संप्रदाय या समूह की भलाई की बात नहीं करता, बल्कि यह समस्त मानव जाति के कल्याण की बात करता है। "सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः" का विचार संपूर्ण विश्व को सुखी और स्वस्थ देखने की कामना करता है वसुधैव कुटुंबकम् , यह विचारधारा यह मानती है कि पूरा विश्व एक परिवार है। इसलिए इसमें संप्रदाय, जाति, धर्म, भाषा, रंग, क्षेत्र जैसी सीमाएँ गौण हो जाती हैं। धर्म और कर्म का महत्व, सनातन धर्म में धर्म को केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि इसे जीवन का मार्गदर्शन करने वाला तत्व माना गया। कर्म ही धर्म है, और यही जीवन का मूल है। अनेक विचारधाराओं का समावेश, यह दर्शन संकीर्ण नहीं है, बल्कि यह भिन्न-भिन्न विचारधाराओं को स्वीकार करता है। इसलिए इसमें वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत, रामायण जैसी विभिन्न ग्रंथों का समावेश किया गया है। ज्ञान और विज्ञान का संगम, प्राचीन भारत में आध्यात्मिकता और विज्ञान का गहरा संबंध था। योग, आयुर्वेद, खगोलशास्त्र, गणित, वास्तुशास्त्र जैसे विषयों में भारतीय ऋषि-मुनियों ने अद्वितीय योगदान दिया।
*सनातन पर हुए आघात और फिर भी इसकी अमरता*
"न जाने मिट गए कितने, मिटाने का लिए सपना", यह पंक्ति उन आक्रांताओं और षड्यंत्रकारियों की ओर इशारा करती है जिन्होंने सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए कई प्रयास किए। भारतीय संस्कृति और इसकी मूल विचारधारा को मिटाने के लिए कई विदेशी आक्रमणकारियों ने हमले किए। चाहे वह मुगल आक्रमण हों, ब्रिटिश शासन हो, या वर्तमान में सांस्कृतिक विघटन की योजनाएँ, हर युग में सनातन धर्म को मिटाने की कोशिश की गई। लेकिन यह संस्कृति हर बार पुनर्जीवित हुई।
*मुगलों और ब्रिटिश शासन का प्रभाव*
मुगलों ने कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों को नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन फिर भी भारतीय संस्कृति जीवंत रही। ब्रिटिश शासन के दौरान भी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को तोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन सनातन परंपराएँ जीवित रहीं। आज के समय में भी वैश्वीकरण, पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिक विचारधाराएँ सनातन मूल्यों को चुनौती दे रही हैं। लेकिन फिर भी भारतीय संस्कृति, योग, ध्यान, आयुर्वेद और वेदांत का महत्व बढ़ता ही जा रहा है।
*धर्म के पुजारी अनिल बागरी*
"अमर है जो युगों से, वो सनातन मिट नहीं सकता।" – यह पंक्ति सनातन संस्कृति की अमरता को दर्शाती है।सनातन धर्म केवल धार्मिक आस्थाओं का समूह नहीं है, बल्कि यह एक जीने की शैली है। यह मानवता को प्रेम, सहिष्णुता और शांति का संदेश देता है। आज जब दुनिया में मानसिक तनाव, अशांति, युद्ध और पर्यावरणीय संकट बढ़ रहे हैं, तब सनातन संस्कृति के विचार पहले से अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। योग और ध्यान को विश्वभर में अपनाया जा रहा है, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लोग लौट रहे हैं, और भारतीय दर्शन को वैश्विक स्तर पर सम्मान मिल रहा है।खमरिया बागरी के सरपंच अनिल बागरी का यह कथन केवल एक सामान्य विचार नहीं, बल्कि एक गहरी सोच और दर्शन को प्रकट करता है। यह हमें यह समझाने का प्रयास करता है कि सनातन विचारधारा केवल अतीत का हिस्सा नहीं, बल्कि यह भविष्य की भी दिशा तय करने वाली शक्ति है। सनातन धर्म एक ऐसी ज्वाला है जिसे समय-समय पर बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन वह और अधिक प्रज्वलित होती चली गई। इसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसे हिलाना संभव नहीं। चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, चाहे कितने भी षड्यंत्र रचे जाएँ, सनातन संस्कृति और इसकी विचारधारा को मिटाया नहीं जा सकता। यही कारण है कि भारत की सनातन संस्कृति केवल एक धर्म नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण का मार्गदर्शन करने वाली एक दिव्य शक्ति है।
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