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निर्माणाधीन एसडीएम ऑफिस में रिसने लगा पानी गणवत्ताहीन तरीके से किया जा रहा ढीमरखेड़ा में एसडीएम ऑफिस का निर्माण

 निर्माणाधीन एसडीएम ऑफिस में रिसने लगा पानी  

गणवत्ताहीन तरीके से किया जा रहा ढीमरखेड़ा में एसडीएम ऑफिस का निर्माण 



ढीमरखेड़ा। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय भवन का निर्माण ढीमरखेड़ा तहसील परिसर में ही चल रहा है जिसमें विभागीय अधिकारियों की लापरवाही कहें या ठेकेदार के साथ संगामित्ती, 1 करोड़ 31 लाख की लागत से होने वाले इस कार्यालय में इस कदर से भ्रष्टाचार किया गया है कि अभी से दीवारों में सीवेज आ रहा है और गुणवत्ताहीन तरीके से ठेकेदार चंद्रकांता कंस्ट्रक्शन कटनी के द्वारा निर्माण कार्य करवाया जा रहा है जिसमें तकनीकि बिन्दुओं को भी ध्यान में नहीं रखा जा रहा है। 

*पिलर को खुदवाया जाए और चेक करें बिल्डिंग की गुणावत्ता*

तकनीकी रूप से भी उक्त भवन में ठेकेदार के द्वारा  लापरवाही बरती जा रही है। कालम के बाहर से दीवार उठाई जा रही है। सवाल यह उठता है कि ठेकेदार के द्वारा इस तरह से कार्य किया जा रहा है लेकिन शासन के नुमाइंदे बनकर बैठे तथाकथित अधिकारी क्या कर रहे है। पिलर के बाहर से दीवार का निर्माण करवाने के कारण उक्त भवन कितने दिन चलेगा  यह कहां नहीं जा सकता। 

*नियमों को ताक में रखकर हों रहा कार्य*

गुणवत्ता की दुहाई देने वाले ठेकेदार चंद्रकांता कंस्ट्रक्शन कटनी के द्वारा भवन निर्माण में गुणवत्ता को ताक पर रखकर निर्माण कार्य करवाया जा रहा है, यहीं नहीं उसके द्वारा छज्जा के ऊपर से दीवाल खड़ी कर दी गई जो उचित नहीं है, आम तौर पर जहां से पहले दीवार उठी होती है वहीं से आगे का निर्माण कार्य किया जाता है लेकिन यहां पर ठेकेदार के द्वारा छज्जा के ऊपर से ही दीवारें खड़ी की जा रही है। अधिकारियों को नहीं है मतलब 

1 करोड़ 31 लाख की लागत से निर्माणाधीन एसडीएम कार्यालय के निर्माण में जिस तरह से ठेकेदार के गुणवत्ताहीन कार्य करवाया जा रहा है इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि विभागीय अधिकारियों को किसी तरह से का कोई सरोकार नहीं है। लिहाजा अधिकारियों से मिले संरक्षण के कारण ठेकेदार के द्वारा खानापूर्ति करते हुये गुण्वत्ताहीन निर्माण कार्य करवाया जा रहा है जो कितने दिन चलेगा यह नहीं कहा जा सकता। 

*कमीशनबाजी की भेंट चढ़ रही बिल्डिंग*

यह कोई पहला मामला नहीं है जब शासकीय बिल्डिंग के निर्माण में इस तरह ही लापरवाही बरती जा रही हो इसके पहले भी नायब तहसीलदार कार्यालय सिलौड़ी में बनी बिल्डिंग में भी जमकर अनियमित्ता बरती गई जिस कारण से निर्माण के कुछ ही वर्षों में जगह-जगह से दरारे आ गई। इस मामले को लेकर कलेक्टर के द्वारा भी मौका मुआवजा किया गया था और ठेकेदार एवं संबंधित अधिकारियों को नोटिस दिया गया था लेकिन यह महज एक दिखावा ही था, इस मामले में किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई, वहीं आज दिनांक तक दोषी ठेकेदार और दोषी अधिकारियों पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है जिस कारण से ठेकेदारों के हौसले और बुलंद हो गये है। 

*तहसील कार्यालय से कनेक्शन लेकर चल रहा काम* 

ठेकेदार की कारसतानी यही तक सीमित नहीं है बल्कि उसके द्वारा विधि विरूद्ध रूप से तहसील कार्यालय ढीमरखेड़ा के कार्यालय से ही कनेक्शन लेकर लाईट का उपयोग किया जा रहा है तो वहीं तहसील कार्यालय के बोर से पानी लेकर उसका उपयोग निर्माण कार्य में किया जा रहा है जबकि नियम अनुसार उसे पृथक से कनेक्शन लेकर निर्माण कार्य करवाया जाना था। 

*निर्धारित समय अवधि में नहीं हुई पूर्ण कार्य*

स्मरण रहे कि उक्त कार्य पूर्ण करने के लिये शासन के द्वारा समय सीमा 12 माह निर्धारित की गई लेकिन उक्त निर्धारित समय अवधि व्यतीत हो जाने के कारण भी निर्माण कार्य आज दिनांक तक अधूरा है और आगामी समय में लगभग 5 से 7 माह का समय और उक्त निर्माण को पूरा करने में लग सकता है लेकिन इस बात से ठेकेदार को किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ता है। 

*जनप्रतिनिधियों को भी नहीं सरोकार*

क्षेत्र का खराब भाग्य कहा जाये या फिर कुछ और, क्षेत्र में ऐसे जनप्रतिनिधियों का उदय हुआ है जिनके इस तरह के मामलों से किसी तरह का कोई सरोकार नहीं है। जबकि ठेकेदार तो कार्य करके चला गया वहीं संबंधित अधिकारी को भी कोई  लेना-देना नहीं है लेकिन क्षेत्रीय नेताओं को इस ओर ध्यान चाहिये क्योंकि उन्हें क्षेत्र में ही रहना है और यही चुनाव लड़ना है।

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