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विकास कार्य ठप्प, कार्यालय व्यय के नाम पर लग रहे फर्जी बिल ग्राम पंचायत घुघरी का मामला, सरपंच पति कर रहा पंचायत का संचालन

 विकास कार्य ठप्प, कार्यालय व्यय के नाम पर लग रहे फर्जी बिल
ग्राम पंचायत घुघरी का मामला, सरपंच पति कर रहा पंचायत का संचालन

ढीमरखेड़ा - जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा की ग्राम पंचायत घुघरी में जब से चुनाव हुये है और पंचायत को नया सरपंच मिला है तब से विकास कार्य ठप्प पड़े हुये है लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि फर्जी बिल लगने का सिलसिला जरुर जारी है। हर एक माह के अंतराल में 15 से 20 हजार रुपये का कार्यालय व्यय दर्षाकर फर्जी वेंडरों के नाम से बिल लगाये जा रहे है। अभी हाल ही मे दिनांक 22 जुलाई को - 5,000/-, 5,000/-, 3,000/-, 4,996/- राषि के चार बिल लगाये गये है। सभी में यह दर्शाई गई टीप कार्यालय व्यय बताई गई है। इसी प्रकार दिनांक 24 मई को फिर चार बिल लगाये गये जिनकी राषि - 8,000/-, 7,000/-, 5,000/-, 1,500/- के लगाये गये। इन सभी बिल में भी कार्यालय व्यय की टीप दर्शाई गई है।
सूत्रों ने बताया कि घुघरी पंचायत में सरपंच लक्ष्मी बाई मांझी है एवं सचिव दिलीप तंतुवाय है लेकिन असल किरदार सरपंच पति का रहता है वह ही तय करता है कि गांव में  किस हितग्राही का काम करवाना है नहीं। यही नहीं सरपंच पति के द्वारा बकायदा पंचायत भवन में बैठकर संपूर्ण कार्य निपटाये जाते है और यहां तक कि स्वयं हस्ताक्षर भी कर दिये जाते है। 

दलाल चला रहे पंचायत

स्मरण रहे कि घुघरी पंचायत को वर्तमान समय में दलालों की टोली चला रही है और सरपंच पति को अपने साथ लेकर सुबह से निकल जाते है  और पंचायत में क्या काम करने है, किस हितग्राही को शासन की योजना का लाभ देना है या नही ये भी दलाल ही तय करते है। 

दिखावा साबित हो रहा प्रमुख सचिव का आदेश

इस संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आदेश क्रमांक 462/176/2015/22/पी/2 भोपाल दिनांक 28/4/2015 के आदेश का पुनः अवलोकन करने के निर्देश कलेक्टर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत व जनपद पंचायतों को दिए हैं। जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने और पंचायतों में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व के उद्देश्य जिला जनपद और ग्राम पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत पद आरक्षित किए गए हैं। त्रिस्तरीय पंचायतों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास में उनकी भूमिका को मजबूत बनाने के उद्देश्य यह आवश्यक है कि ग्राम सभा की बैठकों में महिला सरपंचों,पंचों की सक्रिय भागीदारी हो। महिला आरक्षित पदों पर निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के एवज में ग्राम पंचायत और ग्राम सभा की बैठकों का संचालन उनके पुरुष पति एवं अन्य परिजनों द्वारा किया जाना वर्जित है। यदि कोई सरपंच पति या पंच पति महिला सरपंच या पंच के स्थान पर ग्राम सभा की बैठकों में भाग लेता पाया जाता है तो संबंधित महिला सरपंच व पंच के विरुद्ध पद से विधिवत हटाए जाने की कार्रवाई प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए थे। उपरोक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए भी कहा गया था लेकिन इसके बाद भी इस मामले में किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी। लिहाजा यही कारण है कि वर्तमान में ग्राम पंचायत घुघरी और घुघरा में सरपंच पति पंचायत का संचालन कर रहे है। इस बात की जानकारी जनपद के अधिकारियों को भी है लेकिन जानबूझकर विभाग प्रमुख का आदेश दरकिनार कर कार्यवाही नहीं की जाती है।
गौरतलब है प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए महिला सशक्तिकरण जैसे कई कार्यक्रम आयोजन कर रहे हैं। ताकि महिलाओं की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा शासकीय कार्यक्रमों में हो और उन्हें अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध हों लेकिन सरपंच पति की मनमानी के चलते मुख्यमंत्री की इस मंशा पर पानी फेरने का काम कर रहे है।

सरपंच को पंचायत कार्यालय में रहना होगा उपस्थित

सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पंचायत मुख्यालय में सरपंच को उपस्थित रहना होगा।  राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार स्पष्ट किया है कि सरपंच स्वयं प्रतिदिन कार्यालय समय में कार्यालय में उपस्थित रहेंगे। यदि कुछ सरपंच लगातार तीन दिन तक कार्यालय से अनुपस्थित रहे तो ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा इसकी लिखित सूचना विकास अधिकारी पंचायत समिति तथा जिला परिषद के नियंत्रण कक्ष में नोट कराई जाएगी। ऐसे सरपंच को पंचायती राज अधिनियम की धारा 32 (2) (ख) के तहत अनुपस्थित मानकर उपसरपंच को सरपंच का कार्य करने के लिए अधिकृत किया जा सकेगा।

शिकायत पर हाेगी कार्रवाई

ग्राम पंचायतों के सभी कार्मिकों तथा विकास अधिकारियों का विधिक दायित्व है कि पंचायती राज संस्थाओं के दैनिक कार्य संचालन में विधिक प्रावधानों तथा राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करावे। यदि किसी जिम्मेदार अधिकारी को शिकायत मिलने के उपरांत भी कार्रवाई नहीं की जाती है तथा अन्य स्रोतों से शिकायत की पुष्टि होती है तो ऐसे अधिकारी अवचार व अपकीर्तिकर आचरण का दोषी होगा।

शिकायत पर विकास अधिकारी करेंगे जांच

 आरोप पत्र तैयार कर सीईओ को भिजवाएंगे
यदि सरपंच कार्यालय से अनुपस्थित है तथा उसका कोई परिजन सरपंच की सीट पर बैठता है कर्मचारियों को सरपंच की हैसियत बताकर निर्देश करता है या ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड सरपंच को अवलोकन करवाने या हस्ताक्षर करवाने के लिए ग्राम पंचायत कार्यालय से बाहर ले जाता है तो सचिव द्वारा इसकी सूचना पंचायत समिति के विकास अधिकारी को की जाएगी। विकास अधिकारी ऐसे मामले में स्वयं जांच करेंगे तथा पंचायती राज अधिनियम की धारा 38 (1) के तहत सरपंच के विरुद्ध आरोप पत्र तैयार कर मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद को भिजवाएंगे।

ग्राम पंचायत घुघरा और घुघरी में सरपंच पति चला रहे पंचायत

पंचायतीराज विभाग ने इस दिशा में प्रभावी कदम उठाया है। पंचायतीराज चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू होने से पहले तक ग्राम पंचायतों में महिला सरपंचों की जगह उनके पति ही सरपंचाई कर लेते थे, बहाना था कि अनपढ़ होने के कारण वह कामकाज नहीं कर सकती, लेकिन अब ऐसा नहीं चल सकेगा। नए आदेश के तहत निकट संबंधी और रिश्तेदार पंचायतों की बैठकों में भाग ले रहे हों या उनके कार्यालय का कार्य संपादित कर रहे हों, ऐसी सूरत में उनकी सरपंची तक छिन जाएगी। नियम के उल्लंघन होने पर महिला वार्ड पंच, पंचायत समिति जिला परिषद सदस्यों के खिलाफ भी यही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। ग्राम पंचायत घुघरा और घुघरी में सरपंच पति जिस तरह पंचायत का संचालन कर रहे हैं तो पंचायती राज अधिनियम के तहत कार्यवाही का प्रावधान हैं। पंचायतीराज कानून 1994 की धारा 38 में सरपंच को हटाने एवं निलंबन करने का प्रावधान है। इसके तहत सरकार यह कार्रवाई अमल में ला सकती है। इसके तहत दोषी जनप्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।





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