सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ढीमरखेड़ा क्षेत्र में आशा कार्यकर्ताओं का भुगतान फिर अटका, रुक-रुककर हो रहे भुगतान से बढ़ी परेशानियाँ

 ढीमरखेड़ा क्षेत्र में आशा कार्यकर्ताओं का भुगतान फिर अटका, रुक-रुककर हो रहे भुगतान से बढ़ी परेशानियाँ



कटनी  |  ढीमरखेड़ा क्षेत्र में आशा कार्यकर्ताओं का भुगतान लगातार अनियमित और रुक - रुककर मिलने के कारण स्थिति गंभीर होती जा रही है। पिछले कई महीनों से आशा कार्यकर्ता समय पर भुगतान न मिलने की समस्या झेल रही हैं, जिसके चलते उन्हें घरेलू खर्च, बच्चों की पढ़ाई और जरूरी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। भुगतान की पारदर्शिता न होने से कर्मचारियों को यह समझना भी मुश्किल हो रहा है कि किस माह का भुगतान आया है और कौन-सा अभी लंबित है। इसी कड़ी में आशा कार्यकर्ता ने बताया कि वे लगातार गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती हैं टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की देखरेख, जननी सुरक्षा अभियान, नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्य समय पर करने के बाद भी उन्हें मेहनताना समय पर नहीं मिल पाता । आशा कार्यकर्ताओ ने कहा, हम दिन-रात मेहनत करते हैं, हर मौसम में घर-घर जाकर सेवाएं देते हैं। लेकिन भुगतान समय पर नहीं मिलता। कई बार तो पता ही नहीं चलता कि किस महीने का पैसा आया और कौन-सा रह गया। ऐसे में परेशानी बढ़ने तय है। क्षेत्र की अन्य आशा कार्यकर्ताओं ने भी बताया कि भुगतान रुकने या देरी से आने के कारण उन्हें उधारी पर घर चलाना पड़ता है। कई बार उन्हें बैंक में जाकर बार-बार पासबुक अपडेट कराना पड़ता है, पर फिर भी भुगतान की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती।

*सरकारी योजनाएँ, पर जमीनी हकीकत अलग*

राज्य सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि देने की कई बार घोषणा की गई है, लेकिन ढीमरखेड़ा क्षेत्र में इन घोषणाओं का प्रभाव जमीन पर नजर नहीं आ रहा है। भुगतान प्रणाली में सुधार की बात लंबे समय से उठ रही है, परंतु स्थिति जस की तस बनी हुई है। स्थानीय स्तर पर यह भी कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग की भुगतान प्रक्रिया में तकनीकी खामियों और फाइलों के बार-बार अटकने के कारण देरी होती है। कई बार पोर्टल पर भुगतान स्वीकृति तो हो जाती है, लेकिन बैंक में राशि पहुंचने में हफ्तों लग जाते हैं।

*आशा कार्यकर्ताओं की नाराज़गी बढ़ी प्रशासन की चुप्पी बनी हुई*

उधर कार्यकर्ताओं का कहना है कि शासन-प्रशासन द्वारा उनके मोर्चे पर कोई ठोस समाधान नहीं दिया जा रहा है। क्षेत्र की कई आशा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि अधिकारी शिकायत सुन तो लेते हैं, पर कार्रवाई का कोई परिणाम नहीं दिखता।स्थानीय लोगों का कहना है कि आशा कार्यकर्ता गांव में स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ होती हैं। गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, टीकाकरण कार्यक्रमों और स्वास्थ्य जागरूकता में उनका योगदान अमूल्य है। ऐसे में यदि उन्हें मेहनताना समय पर नहीं मिलेगा तो इसका सीधा असर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा।

*सवालों के घेरे में आई व्यवस्था*

भुगतान प्रक्रिया में लगातार गड़बड़ी और देरी के कारण पूरा ढांचा संदेह के घेरे में नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की विभिन्न घोषणाओं और निर्देशों के बाद भी भुगतान व्यवस्था सुधरती नहीं दिख रही है, जिससे क्षेत्र में सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। आशा कार्यकर्ताओं ने शासन से मांग की है कि भुगतान को समयबद्ध, पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से जारी किया जाए, ताकि वे निर्भीक होकर अपने कार्यों का निर्वहन कर सकें और ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलती रहें।

*आशाओं के वेतन की वर्तमान व्यवस्था क्या है कहां हो रही है दिक्कत*

आशा कार्यकर्ताओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार आशा सहयोगियों द्वारा भुगतान पत्र के निरीक्षण के पश्चात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उमरियापान के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अकाउंटेंट पर निर्भर करता है कि वह कितने दिनों में यह भुगतान करते हैं, असल समस्या यह है कि कम वेतन होने के बाद भी उनके वेतन में विलंब करना, एकमुश्त राशि की बजाय टुकड़े - टुकड़े में भुगतान करना , पूरा भुगतान की बजाय अधूरा भुगतान करना जैसी बड़ी और गंभीर लापरवाही की जाती है।भुगतान की स्थिति पूछने पर अधिकारियों द्वारा आशाओं का अपमान करना आम बात बन गई है, उन्हें बार - बार बैंक के चक्कर काटने पड़ते हैं ताकि पासबुक अपडेट हो जाए , इसके बाद भी भुगतान पत्रक और बैंक अकाउंट में आए भुगतान के मध्य अंतर पाया जाता है, जो वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा करता है । वर्तमान में नवंबर माह खत्म होने को है किंतु अभी सितंबर माह के भुगतान में कहानी लटकी हुई है।मध्यम वर्गीय आशा कर्मचारियों की आर्थिक गतिविधियों और उनकी जरूरतों की पूर्ति में गहरा व नकारात्मक परिवर्तन पड़ता है।

*इनका कहना हैं*

पोर्टल अपडेट होने के कारण भुगतान में दिक्कत हो रही हैं इसमें उमरियापान स्वास्थ्य केंद्र का कोई रोल नहीं हैं भुगतान भोपाल से होने लगा हैं, भुगतान पूरा होगा समय जरूर लग रहा हैं।

*बीएमओ बी. के. प्रसाद*

टिप्पणियाँ

popular post

रोटावेटर की चपेट में आया मासूम, ढीमरखेड़ा में दर्दनाक हादसा, ट्रैक्टर चालक गिरफ्तार, वाहन जब्त

 रोटावेटर की चपेट में आया मासूम, ढीमरखेड़ा में दर्दनाक हादसा, ट्रैक्टर चालक गिरफ्तार, वाहन जब्त कटनी  |  ढीमरखेड़ा थाना क्षेत्र में रविवार सुबह एक हृदय विदारक हादसा सामने आया, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। ग्राम सगौना निवासी सुशील कुमार पिता कोदो लाल मेहरा के खेत में जुताई-बुवाई का कार्य चल रहा था। रविवार सुबह लगभग 9:25 बजे खेत में खड़ा उनका 14 वर्षीय मासूम बेटा दिव्यांशु मेहरा अचानक एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गया। जानकारी के अनुसार खेत में कार्यरत ट्रैक्टर लाल रंग का मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर था, जिसे नारायण यादव नामक व्यक्ति चला रहा था। जुताई के दौरान दिव्यांशु ट्रैक्टर पर बैठा हुआ था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ट्रैक्टर चालक की लापरवाही और असावधानी के चलते दिव्यांशु अचानक ट्रैक्टर के हिस्से में फंस गया। मशीनरी की तेज कटनी और भारी उपकरणों की वजह से हादसा इतना भीषण था कि बच्चे ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।घटना के बाद खेत में चीख-पुकार मच गई। परिवारजन और ग्रामीण दौड़कर पहुँचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मासूम की मौत की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। घर मे...

खमतरा निवासी मनोज साहू की नदी में मिली लाश, क्षेत्र में सनसनी, प्रशासन लगातार सक्रिय

 खमतरा निवासी मनोज साहू की नदी में मिली लाश, क्षेत्र में सनसनी, प्रशासन लगातार सक्रिय ढीमरखेड़ा  |  ढीमरखेड़ा थाना अंतर्गत ग्राम खमतरा निवासी 40 वर्षीय मोटरसाइकिल मैकेनिक मनोज साहू का रहस्यमयी ढंग से लापता होना अब दुखद मोड़ ले चुका है। बीते कई दिनों से गायब चल रहे मनोज की लाश महानदी में मिली, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। जानकारी के मुताबिक मनोज साहू किसी वैवाहिक समारोह में शामिल होने के लिए घर से निकले थे, लेकिन देर रात तक घर न लौटने पर परिजनों को अनहोनी की आशंका होने लगी । वहीं महानदी पुल के पास उनकी मोटरसाइकिल खड़ी मिली, जबकि मनोज का कहीं पता नहीं चला। इसे परिजनों ने गहरी शंका जताते हुए मुख्य मार्ग पर चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन भी किया था। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल खोजबीन की मांग की थी। घटना की गंभीरता को देखते हुए एसडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। कई घंटों की तलाश के बाद एक शव दिखाई दिया, जिसकी पहचान मनोज साहू के रूप में की गई। शव मिलते ही मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया और बड़ी संख्या में ग्रामीण व परिजन वहां पहुंच गए।...

माधवनगर में सट्टा माफिया की दहशत पर जनाक्रोश: झूठी रिपोर्ट और धमकियों के आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग तेज* वर्षों से सक्रिय सट्टा किंग गिरोह पर कार्रवाई के बावजूद क्षेत्र में दहशत कायम; महिलाओं के माध्यम से झूठे केस दर्ज कराने और पीड़ितों को फँसाने की संगठित साज़िश के आरोप उभरे

 माधवनगर में सट्टा माफिया की दहशत पर जनाक्रोश: झूठी रिपोर्ट  और धमकियों के आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग तेज* वर्षों से सक्रिय सट्टा किंग गिरोह पर कार्रवाई के बावजूद क्षेत्र में दहशत कायम; महिलाओं के माध्यम से झूठे केस दर्ज कराने और पीड़ितों को फँसाने की संगठित साज़िश के आरोप उभरे कटनी  l  माधवनगर क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय सट्टा किंग विनय वीरवानी उर्फ नीरू मैडम और उसके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद भी गैंग की दहशत समाप्त नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा विवादास्पद पूर्व एसपी को हटाए जाने तथा नए एसपी अभिनव विश्वकर्मा के पदभार ग्रहण करने के बाद ही कुख्यात विनय वीरवानी और उसका हिंसक वसूली गिरोह गिरफ्तार हुआ था। लेकिन गिरफ्तारी के बाद भी गैंग के बाहरी सहयोगियों द्वारा दबाव, धमकियों और झूठी रिपोर्ट  दर्ज कराने की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। सबसे ताज़ा मामला जितेंद्र शिवलानी और मूलचंद के खिलाफ महिला के माध्यम से दर्ज कराई गई छेड़छाड़ की कथित झूठी रिपोर्ट का है, जिसके पीछे सट्टा गिरोह के प्रमुख सहयोगी अज्जू मामा की सक्रिय भूमिका बताई जा रही है। उ...